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एक एकड़ में 15 हजार रुपये खर्च कर लौकी की खेती से साल भर में 1 लाख रुपये कमाता है ये किसान

-गांव कनेक्शन,

जहां पहले बाराबंकी क्षेत्र के किसान धान, गेहूं और मोटे अनाजों की पैदावार को अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे वहीं यहां के किसानों ने इस सोच से आगे बढ़कर आलू व लौकी, टमाटर और जैसी सह फसली खेती को कमाई का जरिया ही नहीं बनाया है बल्कि जिले का नाम भी रौशन किया है। जिला मुख्यालय से 38 किमी उत्तर दिशा मे फतेहपुर व सूरतगंज के ब्लॉकों के छोटे और मझोले किसानों के लिए आलू और लौकी, टमाटर और लौकी जैसी सह फसली खेती वरदान साबित हो रही है।

लौकी की फसल वर्ष में तीन बार उगाई जाती है जायद, खरीफ, रबी में लौकी की फसल ली जाती है। जैत की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ मध्य जून से प्रथम जुलाई तक और रबी सितम्बर अन्त और प्रथम अक्टूबर में लौकी की खेती की जाती है। अम्बिका प्रसाद रावत, किसान जायद की अगेती बुवाई के लिए मध्य जनवरी के लगभग लौकी की नर्सरी की जाती है। जिसके लिए मिट्टी को भुरभुरी करके एक मीटर चौड़ी क्यारी जैविक खाद मिला कर तैयार की जाती है नर्सरी लगभग 30 से 35 दिनों में तैयार हो जाती है।

अम्बिका प्रसाद रावत आगे बताते हैं "नर्सरी तैयार हो जाने पर 10 से 12 फीट पर पक्तियां बनाई जाती है जिसमें पौधे से पौधे की दूरी एक फीट रखी जाती है जिसे टमाटर की खेती में भी आसानी से की जा रही है टमाटर की खेती में लौकी की फसल को झाड़ बना कर उस पर फैला दिया जाता है जिससे दोनों फसलों में अच्छा उत्पादन कम लागत में मिलता है"।

लौकी के पौधे के अपशिष्ट से बनाते हैं खाद रामचंद्र मौर्य कहते हैं "कुछ किसान अक्टूबर में आलू की बुवाई के समय आलू की आठ लाईनों के बाद एक पक्ति उन्नत प्रजाति देशी लौकी की बुवाई करते हैं, जनवरी में आलू की खुदाई कर देते हैं और फरवरी के अंत से लौकी का उत्पादन शुरू हो जाता है यह सह फसली खेती भी किसानों को खूब भा रही है"। फसल समाप्त होने पर लौकी की लताओं को हैरो से जुताई करके मिट्टी में मिला देते हैं जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।

एक लाख तक का मुनाफा कस्बा बेलहरा के किसान शोभाराम मौर्य बताते हैं "लौकी की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 15 से 20 हजार की लागत आती है और एक एकड़ में लगभग 70 से 90 कुन्तल लौकी का उत्पादन हो जाता है बाजारों में भाव अच्छा मिल जाने पर 80 हजार से एक लाख रुपए का शुद्ध आय होने की सम्भावना रहती है"। वह आगे बताते हैं "रबी के मौसम में लौकी की खेती जो सितम्बर-अक्टूबर में होती है इसमें केवल हाईब्रेट वीज का प्रयोग किया जाता है जिससे जाड़ों के दिनों में भी अच्छा उत्पादन होता रहता है"।

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