Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]empowerment/सीखिये-रिक्शाचालक-बलराम-से-उमेश-यादव-4785.html"/> सशक्तीकरण | सीखिये रिक्शाचालक बलराम से- उमेश यादव | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

सीखिये रिक्शाचालक बलराम से- उमेश यादव

बलराम जब 17 साल का था तब उसे अपना घर-परिवार छोड़कर कोलकाता जाना पड़ा. पढ़ने-लिखने के उम्र में उसे परिवार चलाने के लिए काम में लगा दिया गया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उसके परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी. साल भर खाने के लिए अन्न नहीं जुटता था. ऐसी बात नहीं थी कि उसके घर में खेतीबारी नहीं थी. पिताजी लघु कृषक थे. आधी से ज्यादा जमीन बंजर थी. जो जमीन खेती लायक थी, उसमें इतनी उपज नहीं होती थी कि परिवार का सालभर गुजारा हो सके. लेकिन आज बलराम के पास न केवल सालभर खाने के लिए पर्याप्त अनाज है, बल्कि वह उसी खेतों में से उपजा अनाज बेचकर सालभर की खेतीबारी की व्यवस्था में लगे हैं. तीन साल पहले ही वह कोलकाता छोड़ चुके हैं और दुबारा नहीं जाना चाहते हैं. बलराम स्वयं पांचवीं तक पढ़े हैं, लेकिन अपने बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते हैं. तीन साल में उनकी पूरी जिंदगी बदल गयी है और यह सब हुआ है श्रीविधि से धान की खेती करने पर. श्रीविधि ने उनके मन को खेती की तरफ इस तरह मोड़ दिया कि वह अब कड़ी धूप में रिक्शा नहीं चलाते हैं बल्कि कंकड़ एवं पथरीली जमीन में हरियाली लाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने उस जमीन पर अमरूद के पेड़ लगाया है जिसे बंजर कहकर गांव के लोगों ने यूं ही छोड़ दिया है.


कैसे हुआ यह सब


नाबार्ड ने वर्ष 2009-10 में स्वयंसेवी संस्था ‘मैस्प’ को 200 किसानों के बीच श्रीविधि से खेती कराने का प्रोजेक्ट दिया. मैस्प ने इसके लिए मोहनपुर प्रखंड के बारा एवं रढ़िया पंचायत के कई गांवों का चयन किया. बलराम का गांव तरडीहा भी प्रोजेक्ट में शामिल हो गया. उस समय बलराम कोलकाता में ही थे. फोन पर पत्नी ने संस्था की ओर से एक किलो धान का बीज मिलने और इस बीज से 40 दिन में ही धान उपजने की बात बतायी. सावन का महीना था बलराम कुछ दिनों के लिए घर आये थे. इसी दौरान उनकी भेंट संस्था के कार्यकर्ताओं से हुई. कार्यकर्ताओं ने उन्हें कोलकाता छोड़कर घर में ही खेतीबारी करने का सुझाव दिया. बारिश की स्थिति अच्छी नहीं थी. फिर भी संस्था के कार्यकर्ताओं के आग्रह पर उन्होंने पंपिग सेट से खेत की सिंचाई के बाद जुताई की और श्रीविधि से धान की खेती के लिए बीज बोया, लेकिन बारिश की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण उनका मन डोलने लगा और अध बंटाई पर संस्था वालों को खेत देकर पुन: कोलकाता चले गये. इसके बाद दुर्गापूजा में घर आये तो देखा कि जिस खेत में 25 किलोग्राम बीज से बमुश्किल 4 क्विंटल धान होता था उसमें एक किलोग्राम बीज से 44 दिन ही में धान की बालियां लहलहा रही हैं और काटने के योग्य हो गयी है. काटने पर छह क्विंटल धान हुआ. इससे उनका दिल और दिमाग बदल गया. उन्होंने कोलकाता छोड़कर घर में सालोंभर खेती करनी की ठानी. इसके बाद रबी के सीजन में उसने एसडब्ल्युआई विधि से गेहूं की खेती कुछ अपने खेत में और कुछ अधबंटाई पर की तो 35 क्विंटल गेहूं उपजा. दूसरे साल 2010 में उसी खेत से चार की जगह 10 क्विंटल धान हुआ और 2011 में तो रिकॉर्ड 18 क्विंटल धान की उपज हुई. इसी अवधि में नाबार्ड ने ग्राम विकास कार्यक्रम के तहत तरडीहा का चयन कर लिया और मैस्प के माध्यम से पूरे गांव के साथ बलराम को भी आधुनिक तकनीक और व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण दिया. संयुक्त देयता समूह के तहत एसबीआई ने सस्ते ब्याज दर पर बलराम सहित गांव के चार किसानों को 25-25 हजार रुपये का लोन दिया है. जिला भूमि-संरक्षण कार्यालय से गांव को लिफ्ट एरीगेशन की सुविधा मुहैया करायी गयी है. इन सब का जबर्दस्त फायदा उठाते हुए बलराम ने पथरीली एवं बंजर जमीन पर हरियाली लाने का असंभव काम कर दिखाया है. इलाहाबादी सफेदा एवं एल-48 किस्म के अमरूद के सैंकड़ों पौधे लगाए हुए हैं. पूरे पंचायत में उनकी चर्चा आदर्श किसान के रूप में हो रही है. मां एवं पत्नी सहित पांच बच्चों का पूरा परिवार खेती में जुटा हुआ है और खुशहाली में जी रहा है. एक बेटा सातवीं कक्षा में पढ़ रहा है जिसे वह इंजीनियर बनाना चाहता है.

 


बलराम जैसे मेहनती किसान कुछ भी कर सकते हैं. पूरे पंचायत में नाबार्ड के एसआरआई प्रोजेक्ट एवं ग्राम विकास कार्यक्रम का सबसे ज्यादा फायदा बलराम ने उठाया है. इससे संस्था की भी प्रशंसा हो रही है.
बीके झा, सचिव, मैस्प.