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किसानों के विरोध में किसी फैसले में एनडीए का भागीदार नहीं बनना चाहते, इसलिए दिया इस्तीफा: हरसिमरत कौर

-आउटलुक,

लोकसभा में 14 सिंतबर को पेश किए गए कृषि अध्यादेशों के विरोध में उतरे एनडीए के प्रमुख घटक शिरोमणी अकाली दल(शिअद) ने इन अध्यादेशों को लेकर एनडीए से दूरी बना ली है। एनडीए सरकार में शिअद के कोटे से एक मात्र मंत्री हरसिमरत कौर के इस्तीफे से शिअद ने साफ संकेत देने की कोशिश की है कि पंजाब के किसानों के बीच अपनी सियासत को जिंदा रखना उसके लिए ज्यादा जरुरी है। इस्तीफा देने की नौबत क्यों आई, क्या इस्तीफे से पहले कृषि अध्यादेशों को वापस लिए जाने के लिए भाजपा पर बनाया गया दबाव काम नहीं आया। इस पर आउटलुक के हरीश मानव  ने हरसिमरत कौर से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश:

इस्तीफे की नौबत क्यों आई, क्या आपकी पार्टी का दबाव काम नहीं कर पाया?

पिछले दस दिन से हम केंद्रीय कृषि मंत्री और भाजपा के शीर्ष नेताओं से आग्रह कर रहे थे कि लोकसभा में पेश करने से पहले अध्यादेशों को लेकर किसानों की आंशकाओं को दूर किया जाए पर ऐसा नहीं हुआ। तीन अध्यादेशों की घोषणा के दौरान और बाद में, मैं मंत्रिमंडल को इस निर्णय के वास्तविक हितधारकों, किसानों को बोर्ड में लेने और उनकी आशंकाओं और चिंताओं को दूर करने के लिए राजी करने का भरसक प्रयास करती रही। यह सब करते हुए हमें एहसास कराय गया चूंकि अध्यादेश केवल एक अस्थायी व्यवथ्स्था है, इसीलिए संसद में इस मुददे पर कानून बनाते समय किसानों की चिंताओं और दलीलों का समाधान किया जाएगा। लेकिन कुछ नहीं हुआ। शिअद किसानों की पार्टी है और ऐसे किसी फैसले में एनडीए का भागीदार नहीं बनना चाहता जो किसानों के खिलाफ हो। ऐसा होता देख मैंने केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कह रहे हैं कि आपने इस्तीफा देने में बहुत देर कर दी, अब तो किसान शिअद के विरोधी हो गए हैं?

अध्यादेशों का विरोध करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस ही पंजाब के 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि उपज के मंडीकरण का प्रस्ताव लेकर आई थी। किसानों के हितेषी होने का दावा करने वाले अमरिंदर क्यों सिंसवां (मोहाली) के अपने फार्म हाउस में छिपे बैठे हैं क्यों नहीं अभी तक अपने पटियाला महल के बाहर धरना लगाए किसानों के साथ बैठे।

इस्तीफे के बाद आपका अगला कदम?

हमारी पार्टी ऐसी है जिसका हर सदस्य किसान है और जिससे किसानों को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। पार्टी हमेशा उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी है हमारे यहां पर भरोसा करने वाले किसान हमारे लिए सबसे पवित्र हैं। किसानों के हितों के लिए इस्तीफा दिया है। अब किसानों के साथ खड़े होकर उनकी लड़ाई सड़क से लेकर संसद तक लड़ेंगे। संसद में शिअद के सभी सांसद कृषि अध्यादेशों के विरोध में वोटिंग करेंगे।

केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफे के बाद क्या एनडीए से भी भागीदारी तोड़ने की नौबत आ सकती है?

किसानों के हितों के लिए कुछ भी संभव है। मेरा निर्णय मेरी पार्टी की दृष्टि उसकी गौरवशाली विरासत और किसानों के हितों की रक्षा करने में किसी भी हद तक जाने वाली उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मुझे गर्व है कि आज मैं उस विरासत को आगे ले जाने के लिए सक्षम हूं।

पता चला है कि आपके ससुर प्रकाश सिंह बादल ने आप पर केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफे का दबाव बनाया?

हमारे संरक्षक सरदार परकाश सिंह बादल की प्रतिष्ठित विरासत है। आज मेरा निर्णय उस विरासत का एक हिस्सा है। परकाश सिंह बादल और अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा गठित तीन दशक पुराने गठबंधन ने न केवल न्याय और निष्पक्ष लड़ाई में सिख जनता के विश्वास को पुनजीर्वित किया है, बल्कि पंजाब में शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द्र स्थापित हुआ।

आप एनडीए-वन में भी केंद्रीय खाद्य एंव प्रंसस्करण मंत्री थी और एनडीए टू में भी यही मंत्रालय आपके पास था, कहीं इस्तीफे का एक कारण यह भी तो नहीं कि सही समय आने पर इस्तीफा दिया जाए?

बिलकुल भी नहीं। केवल किसानों के साथ खड़े होने के लिए मैंने पार्टी के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर इस्तीफा दिया है।

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