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झारखंड: बोले पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी- राज्य में मानवीय विकास की स्थिति दयनीय है

पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि देश में सामाजिक उथल-पुथल की स्थिति है. हर आदमी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. जगह-जगह सांप्रदायिक हिंसा दिखायी पड़ रही है. स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश बंटा हुआ दिख रहा है. मानवीय विकास के पैमाने पर ही राज्य का विकास देखा जाता है. राज्य में मानवीय विकास की स्थिति दयनीय है. यही वजह है कि लोग भूखे मर रहे हैं. पत्थलगड़ी की समस्या क्यों उत्पन्न हुई, इसे समझने की जरूरत है. नीति गलत होगी, तो सिस्टम फेल होगा ही. सुनने में खराब लगता हो, लेकिन सच्चाई यह है कि जब आप कुछ नहीं कर रहे हैं, तो वो आपको क्यों घुसने देगा? जब तक भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (3) के तहत स्थानीय नीति नहीं बनती है, तब तक लक्ष्य की पूर्ति नहीं होगी. आप कैसे बाहर से आने वाले लोगों को रोकेंगे? श्री मरांडी ने वर्तमान राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर प्रभात खबर के वरीय संवाददाता सतीश कुमार से विशेष बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश.

Q.देश के वर्तमान राजनीतिक हालात को आप कैसे देखते हैं?


देश में टर्मऑयल (सामाजिक उथल-पुथल) की स्थिति है. आदमी छटपटा रहा है. अपने को ठगा महसूस कर रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जनता के सामने जो वायदा किया, अगर हम उन वायदों के बारे में एक-एक कर विचार करते हैं, तो निराशा होती है. जिन लोगों ने भाजपा का साथ दिया, वह भी ठगा सा महसूस कर रहे है. कुल मिला कर देश में भयावह स्थिति है. जो वायदा किया वह कर नहीं रहे हैं. जो नहीं कहा था वह दिखायी पड़ रहा है. जगह-जगह धार्मिक उन्माद व सांप्रदायिक हिंसा दिखायी पड़ रही है. स्वतंत्रता से पूर्व की स्थिति बन गयी है. स्वतंत्रता के बाद पहली बार समाज बंटा हुआ दिख रहा है. सुनियोजित तरीके से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है. आज देश चौराहे पर आकर खड़ा हुआ है.


Q. एक साल बाद लोकसभा व फिर विधानसभा का चुनाव होने वाला है. इसको लेकर पार्टी की क्या तैयारी है?

वर्ष 2006 में झाविमो राजनीतिक पार्टी बनी. इसके बाद से हम लगातार जनमुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. राजनीतिक पार्टी का दायित्व निभा रहे हैं. जब पार्टी सत्ता में नहीं रहती है, तो वह जन समस्याओं को लेकर संघर्ष करती है. राजनीतिक दल सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए नहीं बनी है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर पांच साल में चुनाव होते हैं.


Q. देश भर में हुए उप चुनाव में महागठबंधन की जीत हुई. क्या लगता है कि लोकसभा व विधानसभा में महागठबंधन बरकरार रहेगा?

हमारी कोशिश रहेगी कि आगामी लोकसभा व विधानसभा में गठबंधन बरकरार रहे. हमने 2006 में राजनीतिक पार्टी बनायी. इसके बाद 2009 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े. पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. परिणाम भी बढ़िया रहा. हम 11 सीट जीते व कांग्रेस ने 14 सीटें. उस समय भाजपा व जदयू गठबंधन को 20 सीटें मिली थी. 2014 में हमने कोशिश की कि गठबंधन हो, लेकिन किसी कारणवश नहीं हो पाया. 2019 में फिर गठबंधन का प्रयास करेंगे. उम्मीद करेंगे कि गठबंधन हो.


Q. महागठबंधन के तहत लोकसभा व विधानसभा में झाविमो को कितनी सीटें चाहिए?

सीटों के बारे में मेरा शुरू से यह मत रहा है कि जीत की संभावना को देख कर ही तालमेल होता है.यह एक आदर्श स्थिति होती है. गठबंधन में इस बात को मजबूती से ध्यान में रखना चाहिए.


Q. अगर महागठबंधन मिल कर चुनाव लड़ता है, तो इसका क्या असर देखने को मिलेगा?

अगर पिछले चुनाव के वोट शेयरिंग को देखें, तो हम पाते हैं कि अधिक वोट विपक्ष को मिला. अगर तमाम विपक्षी दल मिल कर चुनाव लड़ेंगे तो निश्चित रूप से बेहतर परिणाम मिलेगा.


Q. विपक्ष स्थानीय नीति, भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है. क्या आपको लगता है कि वर्तमान स्थानीय नीति से यहां के लोगों का भला होगा?

देखिए, हमने बार-बार कहा है कि जब तक संविधान के अनुच्छेद 16 (3) के तहत स्थानीय नीति नहीं बनती है, तब तक लक्ष्य की पूर्ति नहीं होगी. आप कैसे बाहर से आने वाले लोगों को रोकेंगे? इनको रोकने के लिए लिए ही संविधान के अनुच्छेद 16 (3) में प्रावधान किया गया है. इसको लेकर जब तक कानून नहीं बन जाता है, तब तक यहां के स्थानीय को लाभ नहीं मिल पायेगा. यहां के लोगों के लिए कानून बनाना जरूरी है.


Q. वर्तमान में हो रही पत्थलगड़ी को कैसे देखते हैं? इसका क्या समाधान है?

राज्य में उथल-पुथल चल रहा है. खूंटी के इलाके में लोग पत्थलगड़ी कर रहे हैं. कहने में खराब लगता है, लेकिन सच्चाई यह है कि जब आप कुछ नहीं कर रहे हैं, तो वो आपको क्यों घुसने देगा? पत्थलगड़ी की समस्या क्यों उत्पन्न हुई, इसे समझने की जरूरत है. अगर आप उसकी जमीन ले लेंगे तो उसके पास बचेगा क्या? सरकार की नीति गलत होगी, तो सिस्टम फेल होगा ही. पत्थलगड़ी वाले इलाके में लोग क्या कर रहे हैं? लोगों को पांचवीं अनुसूची के तहत प्रदत्त अधिकार के प्रति जागरूक कर रहे हैं. सरकार लोगों की जमाबंदी रद्द कर रही है. इस जमीन को लैंड बैंक में स्थानांतरित किया जा रहा है. जिस जमीन पर लोग वर्षों से रह रहे हैं. खेती कर रहे हैं. इस जमीन को लोगों से छीन कर बड़े-बड़े उद्योग घरानों जैसे टाटा, बिड़ला, अडाणी ग्रुप को दे रहे हैं. सरकार कह रही है कि यह गैर मजरूआ जमीन है. इस पर आपका कोई अधिकार नहीं है. ऐसे में लोगों में आक्रोश होना स्वाभाविक है.


Q. एक बार फिर चर्चा है कि झाविमो अगले चुनाव में भाजपा के साथ होगा? इसमें कितनी सच्चाई है?

हमारी ओर से भाजपा में जाने का सवाल नहीं है. हमने राज्य में जन्म लिया है. यहां की जनता की सेवा करते रहेंगे.


Q. क्या छह विधायकों के भाजपा में जाने से पार्टी कमजोर हुई है?

भाजपा हमको नहीं, लोकतांत्रिक व्यवस्था व संविधान को कमजोर कर रही है. जब आप सत्ता में होते हैं, तो सारी व्यवस्था अनुकूल होती है. कल जब आप कमजोर होंगे, तो आपके विधायक को भी कोई तोड़ा जायेगा. भाजपा ने गलत परंपरा को जन्म दिया है. संविधान की 10वीं अनुसूची में स्पष्ट लिखा हुआ है कि अगर निर्दलीय विधायक भी किसी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हैं, तो उनकी सदस्यता चली जायेगी. आज देश में संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की हालत देखें, तो चार-चार जज प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है. सीबीआइ का कैसे दुरुपयोग किया जा रहा है. यह किसी से छिपा हुआ नहीं है.