Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-alerts-57/क्या-असर-होगा-यूपी-के-खेतिहरों-पर-मांसबंदी-का--11374.html"/> चर्चा में.... | क्या असर होगा यूपी के खेतिहरों पर मांसबंदी का ? | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

क्या असर होगा यूपी के खेतिहरों पर मांसबंदी का ?

अगर आपके मन में यह सवाल कौंध रहा है कि 'मांसबंदी' के नये फरमान के एकबारगी अमल में आने से यूपी के पशुपालकों पर क्या असर पड़ेगा तो नीचे लिखे तथ्यों को पढ़िए !


पशुगणना के नये आंकड़ों के मुताबिक देश में भैंस प्रजाति के पशुओं की संख्या 10 करोड़ 80 लाख है. इसका एक चौथाई से ज्यादा (28.7प्रतिशत) केवल यूपी में है.


यूपी में भैंसों की संख्या राजस्थान से ढाई गुनी, आंध्रप्रदेश और गुजरात से तीन गुनी, महाराष्ट्र और बिहार से लगभग चार गुनी ज्यादा है.


लेकिन भैंस प्रजाति के इतनी बड़ी तादाद सभी समान रुप से उत्पादक नहीं हैं.


पशुगणना के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में भैंस प्रजाति के 3 करोड़ (कुल 3,062,5,334) पशुओं में मादा भैंस की संख्या लगभग ढाई करोड़ (2,57,10629) है. इसमें 34 लाख से ज्यादा (34,11,943) भैंसे विसूख चुकी हैं.


लगभग साढ़े 11 लाख(11,53,581) भैंसे एक बार भी नहीं ब्याईं जबकि सवा तीन लाख ( कुल 3,28844) मादा भैंसों को पशुगणना में ‘अन्य' की श्रेणी में रखा गया है, मतलब तीन साल या इससे ज्यादा उम्र की इन भैंसों के बारे में दूध देने, बिसूखने या बिआन करने- ना करने के लिहाज से नहीं सोचा जा सकता.


ठीक इसी तरह यूपी में नर भैंसों की संख्या लगभग सवा 49 लाख है और उनमें केवल 14 लाख (कुल1408142) नर भैंसों से प्रजनन या परिवहन का काम लिया जा रहा है.


संक्षेप में कहें तो यूपी में पशुगणना के वक्त(2012) 48 लाख से ज्यादा मादा भैंस और करीब 35 लाख नर भैंस अनुत्पादक हैं.


क्या भैंस प्रजाति के पौने 1 करोड़ से ज्यादा पशुओं का भरण-पोषण यूपी का किसान-परिवार कर सकता है ?


इस प्रश्न का उत्तर है-नहीं ! अगर आपका सवाल है क्यों तो एक बार फिर से नीचे लिखे तथ्यों पर गौर कीजिए !


देश के लगभग 9 करोड़ किसान-परिवारों में सबसे ज्यादा संख्या सीमांत और छोटी जोत के किसानों की है. 0.01 हैक्टेयर से लेकर 2 हैक्टेयर की जोत के किसान-परिवारों की तादाद देश में साढ़े 7 करोड़ (7,57,19900) है.


नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से कोई भी परिवार पशुपालन से महीने में 600 - 800 रुपये ( 621 रुपये से 818 रुपये) से ज्यादा नहीं कमाता.


यूपी देश में सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य तो है ही, यहां की आबादी में खेतिहर परिवारों की संख्या भी देश में सबसे ज्यादा है. यूपी के सीमांत और छोटी जोत वाले किसान परिवार पशुपालन से हासिल औसत मासिक आमदनी का सारा हिस्सा किसी एक अनुत्पादक पशु(भैंस) पर खर्च करे तो रोजाना के हिसाब से यह रकम 20 से 28 रुपये होगी.


यूपी के किसान के लिए किसी अनुत्पादक पशु पर इतनी रकम खर्च करने का अर्थ होगा अपनी मासिक आमदनी (4152 रुपये से 7348 रुपये) का लगभग दसवां हिस्सा खर्च करना जबकि लगभग इतनी ही रकम उसके पास अपने मासिक खर्च से ज्यादा बचती है !

 

एक बड़ा प्रश्न मांस के निर्यात से होने वाली आमदनी में कमी, बेरोजगारी और मांसाहारी आबादी की भोजन की जरुरत की पूर्ति का भी है !

 

देश के कुल मांस-उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी बाकी राज्यों की तुलना में ज्यादा है. भारत सरकार के पशुपालन विभाग के नये आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 में देश के कुल मांस-उत्पादन में यूपी ने 19.59 फीसद का योगदान किया. 

 

यूपी के मांस-उत्पादन में सबसे ज्यादा हिस्सा भैंस प्रजाति के पशु के मांस का है. प्रदेश के पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014-15 में यूपी के वैध बूचड़खानों में भैंस के मांस का 7515 लाख किलोग्राम उत्पादन हुआ. जबकि बकरी के मांस का 1771 लाख किलोग्राम, भेड़ के मांस का 231 लाख किलोग्राम और सुअर के मांस का 1410 लाख किलोग्राम उत्पादन हुआ.


समाचारों में मांस-निर्यात के व्यापार से जुड़े अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि यूपी में अवैध बूचड़खानों पर पाबंदी जारी रही तो आने वाले दिनों में देश से होने वाले मांस के निर्यात में 50 से 60 फीसद की कमी आयेगी. 

 

मांस-उद्योग के जानकारों का आकलन है कि देश में फिलहाल 2 करोड़ 20 लाख लोगों मांस-उद्योग में रोजगार हासिल है और यूपी इस मामले में सभी राज्यों में अव्वल है. यूपी में डेढ़ करोड़ लोगों को मांस-उद्योग में रोजगार हासिल है. अवैध बूचड़खानों पर रोक के जारी रहने से इन लोगों की जीविका पर असर पड़ने की आशंका है. 


जनगणना के नये आंकड़ों के मुताबिक यूपी की आबादी में 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के 55 प्रतिशत पुरुष और 50 फीसद महिलाएं मांसाहारी हैं. चूंकि देश के मांस-निर्यात में यूपी की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है इसलिए निर्यात किए जाने वाले मांस की मात्रा को हटाकर देखें तो ऐसा नहीं लगता कि वैध बूचड़खानों में होने वाला रोजाना के भैंस के मांस-उत्पादन से  यूपी की मांसाहारी आबादी की जरुरत को पूरा किया जा सकेगा.

 

ध्यान रहे कि यूपी के वैध बूचड़खानों में 2015-16 में औसतन प्रतिदिन प्रतिभैंस 137 किलोग्राम  मांस का उत्पादन हुआ और 2013-14 की तुलना में यह तकरीबन 9 किलो( 125. 422 किलोग्राम) ज्यादा है. 

 


माना जा सकता है कि, यूपी की मांसाहारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अवैध रुप से चल रहे कटराघरों से होने वाले भैंस के मांस की आपूर्ति पर निर्भर है. अवैध कटराघरों के एकबारगी बंद होने से इस आबादी की भोजन की जरुरत पर असर पड़ने की आशंका है.

 


समाचारों के मुताबिक अवैध बूचड़खानों को बंद करने का प्रभाव वैध बूचड़खानों पर भी पड़ा है और उनकी उत्पादन क्षमता घट गई है. आशंका जतायी जा रही है कि मांस-उत्पादन कम होने का असर मुर्गे, बकरी और सुअर के मांस की कीमतों पर भी पड़ेगा और इनकी कीमत आम आबादी की पहुंच के बाहर हो जायेगी.

 

पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार- इंडियन एक्सप्रेस

स्रोत-- http://indianexpress.com/article/india/india-news-india/madhya-pradesh-cops-searh-for-stolen-buffalo-on-farmers-online-plea-2891845/