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दयनीय दशा में बच्चे- स्टेट ऑव द वर्ल्ड चिल्ड्रेन 2011

अगर जानना चाहें कि कोई देश प्रगति के किस मुकाम तक पहुंचा है तो पैमाना बनाइए उस परिवेश को जिसमें वहां बच्चे बड़े हो रहे हैं। परिवेश कुपोषण, भुखमरी, अस्वास्थ्यकर अड़ोस-पड़ोस और जबरिया बाल-मजदूरी का हो तो देश को प्रगति के क्रम में बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।द स्टेट ऑव वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट के तथ्यों से पता चलता है कि विश्व के भावी नागरिकों के हक में बड़ा कम निवेश किया जा रहा है। इस साल की रिपोर्ट का शीर्षक है एडोलेसेन्स- एन् एज ऑव आपर्च्युनिटी और रिपोर्ट में अध्ययन का केंद्र 10-19 साल के उन 1 अरब 20 करोड़ किशोरों को  जो बचपन की उम्र लांघ चुके हैं मगर जिनके लिए व्यस्क व्यक्ति कहलाने की उम्र अभी थोड़ी दूर है।  

इस रिपोर्ट की मुख्य सिफारिश है- किशोरों पर निवेश कीजिए क्योंकि यह निवेश गरीबी, गैर-बराबरी और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ चल रही लड़ाई को गति दे सकता है। साल 2010 में दुनिया के कुल गरीब कामगारों में 15-24 साल की उम्र के लोगों की तादाद एक चौथाई थी।साल 1998 से 2009 के बीच यानी एक दशक में युवाओं के बीच बेरोजगारी की दर 9 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी हो गई। साल 2009 में दक्षिण एशिया में किशोर उम्र के लोगों की संख्या 33 करोड़ 50 लाख थी और जहां तक गरीबी के पीढीगत संक्रमण का सवाल है सबसे ज्यादा गरीबी किशोर उम्र की लड़कियों में पायी गई है।

स्टेट ऑव द वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट 2011 में भारत के बारे में दिए गए कुछ तथ्यों से एक चिन्ताजनक तस्वीर उभरती है- साल 2005-2009 के बीच जितने बच्चों ने जन्म लिया उसमें 28 फीसदी बच्चे जन्म के समय सामान्य से कम वज़न के थे। साल 2003 से 2009 के बीच 5 साल या उससे कम उम्र के 20 फीसदी बच्चे औसत या फिर गंभीर किस्म के कुपोषण का शिकार थे  और इसी अवधि में इस आयु वर्ग के 48 फीसदी बच्चों की लंबाई कुपोषण जनित कारणों से कम थी। साल 2003-2009 की अवधि में मात्र 51 फीसदी परिवारों में आयोडीन मिले नमक का इस्तेमाल हो रहा था और पाँच साल या उससे कम आयु के केवल 66 फीसदी बच्चों को ही परिपूरक आहार के रुप में विटामिन-ए की दो खुराक नसीब हो सकी थी।

सर्वाधिक आबादी वाले दुनिया के दो देशों में पुरुषों की विवाहयोग्य आयु स्त्रियों की विवाहयोग्य आयु से अधिक है। चीन में यह आयु क्रमश 22 साल और 20 साल है जबकि भारत में क्रमश 21 और 18 साल। भारत में 56 फीसदी किशोरउम्र लड़कियां(15-19 साल) एनीमियाग्रस्त हैं जबकि इसी आयु वर्ग की 47 फीसदी लड़कियां सामान्य से कम वज़न की हैं।.

रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट(2003) के हवाले से कहा गया है असुरक्षित गर्भपात की 14 फीसदी घटनाएं( तकरीबन ढाई लाख असुरक्षित गर्भपात प्रतिवर्ष) विकासशील देशों में होती हैं और इस गर्भपात को झेलने वाली महिलाओं की उम्र होती है 20 साल या उससे कम। भारत में 15-19 साल की उम्र की 1 फीसदी महिलाओं और 63 फीसदी पुरुषों ने गुजरे 12 महीनों में असुरक्षित यौन-संबंध बनाये हैं जो एड्स् के संक्रमण के लिहाज से गंभीर बात मानी जाएगी।.

वैश्विक स्तर पर देखें तो 15-19 साल के आयु वर्ग में एडस् की बीमारी मृत्यु का आठवां बड़ा कारण है और 10-14 साल के आयु वर्ग में छठवां। दुनिया में एचआईवी संक्रमण के बहुत से नए मामले 15-24 साल के आयु वर्ग के लोगों में पाये गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी के विस्फोटक विस्तार के कारण भारत में किशोर उम्र के लोगों के निजी जीवन में गोपनीयता, अभिव्यक्ति की आजादी और शारीरिक-मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां पेश आ रही हैं। भारत में युवा आबादी का तकरीबन 31 फीसदी (यानी 8 करोड़ 70 लाख) हिस्सा मोबाइल फोन और इंस्टेंट मैसेजिंग की सुविधाओं का उपभोक्ता है। इसके अतिरिक्त सोशल नेटवर्किंग का चलन भी युवाओं में बढ़ रहा है। गूगल सोशल नेटवर्किग साइट ऑरकुट, को साल 2007 में एमटीवी इंडिया यूथ आईकॉन 2007 के रुप में नवाजा गया। जो भारतीय युवा अंग्रेजी भाषा में लिखना-पढ़ना सहज अनुभव नहीं करते, फेसबुक का सोशल नेटवर्किंग साइट उनके लिए बंगाली,हिन्दी,मलयालम,पंजाबी,तमिल और तेलुगु भाषा में उपलब्ध है।

 

स्टेट ऑव द वर्ल्ड चिल्ड्रेन 2011 रिपोर्ट में भारत-विशेषी कुछ तथ्य--:

 

पाँच साल या उससे कम उम्र के बच्चों की मृत्यु-दर साल 1990 से 2009 के बीच तेजी से घटी। साल 2009 में इसकी तादाद प्रति हजार शिशुओं(प्रसव के समय जीवित) में 117 थी जो साल 2009 में घटकर 66 हो गई।

नवजात शिशुओं की मृत्यु-दर( जन्म के 28 दिनों के भीतर मरने की संभाव्यता) साल 2009 में 39(प्रति हजार में) थी।

1 साल के आयु वर्ग के शिशुओं में मृत्यु-दर साल 1990 में 84 थी, साल 2009 में 50। 

भारत में साल 2009 में आयु-संभाविता(लाइफ एक्सपेक्टेंसी) 64 साल थी।

साल 2009 में भारत में प्रजनन दर 2.7 थी।(प्रजनन योग्य आयु तक जीवित महिला द्वारा मानक समयावधि में शिशु जनने की दर).

साल 2008 में भारत में 88 फीसदी आबादी परिष्कृत(इम्प्रूव्ड) पेयजल स्रोतों का इस्तेमाल कर रही थी। शहरी आबादी का 96 फीसदी हिस्सा और ग्रामीण आबादी का 84 फीसदी हिस्सा)

भारत में साफ सफाई की परिष्कृत सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाली आबादी की तादाद साल 2008 में 31 फीसदी थी। शहरी आबादी में 54 फीसदी और ग्रामीण आबादी में 21 फीसदी)

साल 2009 में भारत में 15-24 के आयु वर्ग की युवा आबादी में 0.1 फीसदी तादाद एचआईवी संक्रमित थी।.

साल 2000-2009 की अवधि में 20-24 आयु वर्ग की 22 फीसदी महिलाएं 18 साल से कम उम्र में मां बनीं।.

 

इस विषयवस्तु पर कुछ जरुरी लिंक--

State of the World's Children 2011,  

http://www.unicef.org/publications/index_57468.html

 

Madhya Pradesh CM launches World’s Children report, 26 February, 2011, http://www.indiablooms.com/NewsDetailsPage/newsDetails260211e.php

 

TIMOR-LESTE: Chronic malnutrition among world's highest, 25 february, 2011, http://www.irinnews.org/Report.aspx?ReportId=92039

 

Gender disparities: Empowering adolescent girls for social change, UNICEF, http://www.unicef.org/infobycountry/india_57719.html