Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-alerts-57/बढ़ती-महंगाई-में-योजना-आयोग-का-मानव-विकास-रिपोर्ट-2011-4108.html"/> चर्चा में.... | बढ़ती महंगाई में योजना आयोग का मानव विकास रिपोर्ट 2011 | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

बढ़ती महंगाई में योजना आयोग का मानव विकास रिपोर्ट 2011

क्या किसी देश का एचडीआर रिपोर्ट सालों से चली आ रही महंगाई और महंगाई की बढ़वार की तुलना में आमदनी की बढ़वार का जिक्र किए बगैर इस फैसले पर पहुंच सकता है कि देश में गरीबों की संख्या घटी है क्योंकि प्रतिव्यक्ति आमदनी के बढ़ने से लोगों की क्रयशक्ति बढ़ी है और वे भोजन,सेहत,शिक्षा सहित रोजमर्रा की बाकी जरुरतों पर पहले की तुलना में ज्यादा खर्च कर रहे हैं ?

एक ऐसे वक्त में जब गरीबों की गणना के बारे में बहुआयामी मानकों(मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स) का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चलन में है, सिर्फ बढ़ी हुई प्रति व्यक्ति आय और उपभोग-खर्च के आधार पर देश के योजना आयोग द्वारा जारी नवीनतम इंडिया ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट 2011-टुअर्डस् सोशल इन्क्लूजन में कुछ ऐसा ही निष्कर्ष निकाला गया है।

इस रिपोर्ट में साल 1999-2000 से 2007-2008 के बीच के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति आय बढ़ने से गुजरे एक दशक में उपभोग-खर्च बढ़ा है,नतीजतन गरीबी-रेखा से नीचे रहने वाली आबादी की तादाद में भारी कमी(1 करोड़ 80 लाख) आई है। (देखें नीचे दी गई लिंक संख्या-1)

गौरतलब है कि रिपोर्ट में जिस अवधि को गणना का आधार मानकर गरीबों की संख्या घटी हुई बतायी गई है उसी अवधि के बारे में कुछ अन्य विश्वसनीय रिपोर्टों के तथ्य एक अलग तस्वीर पेश करते हैं।

मिसाल के लिए  हाल ही में जारी द स्टेट ऑव फूड इन्स्क्यूरिटी इन द वर्ल्ड नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1995-96 में 2006-2008 के बीच भारत में भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या 16 करोड़ 70 लाख थी जो साल 2000-02 में बढ़कर 20 करोड़ 80 लाख हो गई और साल 2006-2008 में इस तादाद में आगे और इजाफा हुआ, भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या  थी 22 करोड़ 40 लाख तक पहुंच गई।(देखें लिंक संख्या-2)

ध्यान रहे कि अवर कॉमन इंट्रेस्ट- एन्डिंग हंगर एंड माल्न्युट्रिशन शीर्षक से जारी द 2011 हंगर रिपोर्टमें भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी का सीधा रिश्ता महंगाई से जोड़ते हुए कहा गया है कि साल 2005 से 2008 के बीच खाद्य-वस्तुओं की कीमतों में 83 फीसदी का इजाफा हुआ,नतीजतन वैश्विक स्तर भोजन की कमी के शिकार लोगों की कुल संख्या में 10 करोड़ और लोग बढ़ गए।

इस रिपोर्ट के अनुसार खाद्य-वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ता है क्योंकि गरीब परिवार अपनी आमदनी का 60 से 80 प्रतिशत हिस्सा खाद्य-वस्तुओं की खरीदारी पर खर्च करते हैं। इसलिए, खाद्य-वस्तुओं की कीमतों में हल्की सी बढ़त से इस बात पर असर पड़ता है कि कोई गरीब परिवार अपनी सेहत के लिए कितना खर्च कर पाएगा अथवा बच्चे की शिक्षा या माता के लिए स्वास्थ्य के लिए जरुरी चीजों की खरीदारी में कितना खर्च पाएगा। (देखें लिंक संख्या-3)

इंडिया ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट 2011 में केवल तीन मानकों उपभोग-खर्च,शिक्षा और सेहत के संयुक्त मानक के आधार पर गरीबों की संख्या में कमी की बात कही गई है जबकि यूएनडीपी द्वारा प्रस्तुत ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट 2011- सस्टेनेबेलिटी एंड इक्यूटी:अ बेटर फ्यूचर फॉर ऑल नामक रिपोर्ट में बहुआयामी निर्धनता निर्देशांकों का इस्तेमाल करते हुए कहा गया है कि भारत में गरीब लोगों की संख्या 61 करोड़ 20 लाख है यानी देश की कुल आबादी का आधे से ज्यादा। यह संख्या बहुआयामी निर्धनता निर्देशांक के हिसाब से उप-सहारीय अफ्रीकी देशों में जितने लोग गरीब हैं उससे ज्यादा है।(देखें लिंक संख्या- 4,5,6,7)

इंडिया ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट 2011 के कुछ महत्वपूर्ण और बहसतलब तथ्य

 

- गरीबों की संख्या में आई हुई नवीनतम कमी(1 करोड़ 80 लाख) आर्थिक-वृद्धि-दर में तेज इजाफे का परिणाम है। आर्थिक वृद्धि-दर साल 2004-5 से बढ़ी है और इसी के अनुकूल स्वास्थ्य और शिक्षा के मद में निवेश भी बढ़ा है।।दरअसल इस कारण से आने वाले सालों में गरीबों की संख्या में और कमी आएगी।

- तेंदुलकर समिति ने साल 2004-05 के लिए गरीबों की संख्या कुल आबादी का 37 फीसदी माना है जो दो कारणों से ज्यादा है- एक तो यह आकलन के लिए अलग पद्धति(यूनिफार्म रिकॉल पीरियड की जगह मिक्स्ड रिकॉल पीरियड) का इस्तेमाल करता है दूसरे इसमें गरीबी-रेखा को तनिक ऊँचा उठा दिया गया है। तेंदुलकर समिति के अनुसार साल 2004-5 से 2009-10 के बीच गरीबों की संख्या 37 फीसदी से घटकर 32 फीसदी हो गई।.

- तकरीबन 60 फीसदी गरीब आबादी बिहार(झारखंड सहित), उड़ीसा,मध्यप्रदेश(छत्तीसगढ़ सहित) और उत्तरप्रदेश में निवास करती है।जाहिर है,विभिन्न राज्यों में गरीबों की संख्या प्रतिशत पैमाने पर घटने के बावजूद कुछ राज्य मसलन उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा,मध्यप्रदेश गरीबों की संख्या घटाने के मामले में बाकी राज्यों की तुलना में पीछे हैं।

- केरल, दिल्ली,हिमाचलप्रदेश,गोवा और पंजाब मानव विकास सूचकांक के पैमाने पर शीर्ष के राज्य हैं। जिन राज्यों ने स्वास्थ्य और शिक्षा के मानक पर बेहतर प्रदर्शन किया है उनका स्थान मानव विकास सूचकांक के हिसाब से भी बेहतर है और इन राज्यों में प्रतिव्यक्ति आय भी अपेक्षाकृत ज्यादा है।

- मानव विकास निर्देशांक के हिसाब से नीचे के स्थान पर रहने वाले राज्यों के नाम हैं- छ्त्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, झारखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और असम। यहां एचडीआई(मानव विकास सूचकांक) राष्ट्रीय औसत से कम है।

- साल 1999-2000 से साल 2007-08 के बीच एचडीआई में 21 फीसदी(0.387 से0.467) का इजाफा हुआ है।

- केरल की एचडीआई बढ़त सबेस ज्यादा( 0.79) जबकि छत्तीसगढ़ की सबसे कम( 0.36) है।

-  स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से देखें तो दिल्ली, हिमाचल, तमिलनाडु और केरल के अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की स्थिति बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश के सवर्ण जाति के लोगों से भी अच्छी है।ठीक इसी तरह दिल्ली और केरल के अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति साक्षरता के मामले में बिहार और राजस्थान के सवर्णों से अच्छी है।

- स्वास्थ्य के मानकों के हिसाब से देखें तो जम्मू-कश्मीर और आंध्रप्रदेश के मुसलमानों की स्थिति इन राज्यों के हिन्दुओं के वनिस्बत ही नहीं बल्कि यूपी, एमपी, बिहार और गुजरात के हिन्दुओं की भी तुलना में बेहतर है।

- पूर्वोत्तर के राज्यों के मुख्यधारा की आबादी, अनुसूचित जनजाति भारत के मध्यवर्ती पूर्वी राज्यों की अनुसूचित जनजाति की तुलना में मानव विकास के सूचकांकों के हिसाब से बेहतर स्थिति में है। बाकी वंचित समूहों के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति के लोग अतिवादी हिंसा से ग्रस्त राज्यों मसलन आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में शेष समुदायों की तुलना में मानव विकास के सूचकांक पर बहुत पीछे हैं। साथ ही देश के अन्य राज्यों की अनुसूचित जनजातियों से भी मानव विकास के पैमाने पर पीछे हैं।

- चूंकि इन राज्यों में देश की अनुसूचित जनजाति का 60 फीसदी और अनुसूचित जाति का 40 फीसदी हिस्सा निवास करता है इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति-जनजाति का स्थान मानव विकास सूचकांक के हिसाब से अन्य समुदाय की तुलना में बहुत पीछे नजर आता है।

-संपदा की मिल्कियत के हिसाब से भारत के ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में भयंकर असमानता है। संपदा की मिल्कियत समाज के शीर्ष पर मौजूद पाँच फीसदी लोगों के हाथ में है। ग्रामीण भारत में समाज के शीर्ष के पाँच फीसदी लोगों के हाथ में 36 फीसदी संपदा है जबकि शहरी क्षेत्र में शीर्ष के पाँच फीसदी के परिवारों के पास 38 फीसदी संपदा।

- एससी और एसटी श्रेणी के परिवारों के पास संपदा की मिल्कियत ना के बराबर है। संपदा की मिल्कियत ज्यादातर स्थितियों में सवर्ण जाति के लोगों के पास है। संपदाविहीनता और शिक्षा का हीनस्तर इन समूहों को बाकी समूहों की तुलना में कहीं ज्यादा गरीब बनाता है।

कृपया विशेष जानकारी के लिए देखें निम्नलिखिति लिंक-

1. http://www.iamrindia.gov.in/media_coverage_compilation/IHD
R_Summary.pdf

2. http://www.fao.org/docrep/014/i2330e/i2330e.pdf:

3. http://www.hungerreport.org/2011/report/chapters/introduct
ion/hunger-crisis

4. http://hdr.undp.org/en/media/HDR_2011_EN_Summary.pdf   

5 http://hdr.undp.org/en/media/PR1-main-2011HDR-English.pdf  

6 http://hdr.undp.org/en/media/PR2-HDI-2011HDR-English.pdf  

7 http://hdr.undp.org/en/media/PR5-Asia-2011HDR-English.pdf: