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बाढ़ का गणित : 64 सालों में कब कितना हुआ नुकसान, पढ़े इस न्यूज एलर्ट में

क्या आप जानना चाहते हैं कि बाढ़ या भारी बारिश के कारण देश में हर साल कितने लोगों की जान जाती है, कितने मवेशी मौत का शिकार होते हैं, कितने मोल की फसल मारी जाती है और देश को हर साल कितनी संपत्ति का नुकसान होता है ?

 

आपके इन सवालों के जवाब छुपे हैं केंद्रीय जल आयोग के नये आंकड़ों में. बीते 64 सालों में बाढ़ और भारी बारिश से होने वाले नुकसान का एक आकलन आयोग ने पिछले मई महीने में प्रकाशित किया.

 

राज्यवार तथा अखिल भारतीय स्तर के इन आंकड़ों के मुताबिक 1953 से 2016 के बीच भारी बारिश या बाढ़ से हर साल औसतन 3.2 करोड़ लोगों को जान-ओ-माल का नुकसान उठाना पड़ा है, सालाना 1648 लोगों की जान गई है और इस अवधि में हर साल औसतन 94,104 पशु मौत के शिकार हुए हैं.

 

आयोग के नये आंकड़ों का एक संकेत यह भी है कि पिछले दशक (2007-2016) में बाढ़ और भारी बारिश के असर में आये लोगों की संख्या में पिछले दशक(1997-2006) के मुकाबले कमी आयी है लेकिन मौत के शिकार हुए लोगों की संख्या बढ़ी है.

 

पिछले दशक में हर साल औसतन 2.6 करोड़ लोग भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में आये और सालाना 1904 लोगों की इस आपदा की वजह से मौत हुई जबकि इसके पहले के दशक(1997-2006) में बाढ़ की चपेट में आये लोगों की तादाद सालाना 3.4 करोड़ थी और मृतकों की संख्या सालाना 1695 रही.

 

अगर फसलों को हुए नुकसान के लिहाज से देखें तो आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण से जाहिर होता है कि बीता दशक (2007-2016) पिछले दशक(1997-2006) की तुलना में ज्यादा नुकसानदेह साबित हुआ है.

 

बीते दशक में बाढ़ और बारिश के कारण हर साल औसतन तकरीबन 5403.1 करोड़ रुपये की फसलों का नुकसान हुआ जबकि 1997-2006 के दशक में औसतन सालाना 2429.3 करोड़ रुपये की फसलों का नुकसान हुआ था .गौरतलब यह भी है कि साल 2015 में देश को बाढ़ और भारी बारिश के कारण 17,044 करोड़ के मूल्य के फसलों का नुकसान हुआ.

 

जहां तक निजी संपदा(जैसे घर) को हुए नुकसान का सवाल है बाढ़ और भारी बारिश के कारण 2007 से 2016 के बीच सालाना औसतन 2636.8 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि साल 1997 से 2006 की अवधि में इस मद में नुकसान का आंकड़ा इससे तकरीबन आधा ( हर साल औसतन 1031.1 करोड़) का है.

 

बीते दो दशकों में निजी संपदा के नुकसान के लिहाज से सबसे कठिन साल 2009 का रहा जब बाढ़ और भारी बारिश के कारण 10,809.8 करोड़ की निजी संपदा का नुकसान हुआ.

 

अगर बाढ़ और भारी बारिश के कारण सार्वजनिक सेवाओं को होने वाले कुल वित्तीय क्षति का आकलन करें तो केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2007 से 2016 के बीच सालाना कुल 13894.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि 1997-2006 के बीच ऐसे नुकसान का आंकड़ा सालाना 4112.0 करोड़ रुपये का है.

 

साल 2013 का साल बाढ़ और भारी बारिश के कारण सार्वजनिक सेवाओं को होने वाले नुकसान के लिहाज से सबसे मुश्किल साबित हुआ. इस साल साल सार्वजनिक सेवाओं को बाढ़ और भारी वर्षा के कारण 38,937.8 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

 

अगर फसलों, घरों और सार्वजनिक सेवाओं को होने वाले नुकसान को एकसाथ मिलाकर देखें तो 2007 से 2016 के बीच बाढ़ या भारी बारिश के कारण हर साल देश को 21,961.2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि 1997-2006 का दशक आर्थिक नुकसान के लिहाज से कहीं बेहतर साबित हुआ. इस दशक में बाढ़ और भारी बारिश के कारण हर साल औसतन 7572.4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

 

अगर नुकसान के उपर्युक्त आंकड़ों को विश्वबैंक के थोक मूल्य सूचकांक (2010= 100) के अनुकूल समायोजित करें तो पता चलता है कि 2007 से 2016 के बीच बाढ़ और भारी बारिश के कारण हर साल घर, सार्वजनिक सेवा तथा फसलों को हुई क्षति के मद में 198.2 करोड़ रुपयों का नुकसान (स्थिर मूल्यों पर) हुआ है जबकि 1997-2006 के बीच प्रतिवर्ष आर्थिक नुकसान का आंकड़ा 116.0 करोड़ का है.