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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे : यूपी में सामान्य से कम वजन की व्यस्क आबादी सबसे ज्यादा !

अगर आप यूपी सरकार के सलाहकार होते तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्देश के बारे में क्या कहते जिसमें याद दिलाया गया है कि जीवन, जीविका और भोजन की पसंद पर पाबंदी नहीं लगायी जा सकती?

 

शायद आप यूपी की योगी-सरकार को कहते कि कोर्ट के निर्देश को गंभीरता से लीजिए क्योंकि यूपी देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और इसी यूपी में भोजन और पोषण की कमी के मारे लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है.

 

जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा ! देश में सामान्य से कम वजन वाले व्यस्क स्त्री-पुरुषों का अनुपात यूपी में सबसे ज्यादा है. नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के नये आंकड़ों के मुताबिक 2015-16 में इस सूबे के 25.9 फीसद व्यस्क पुरुष और 25.3 फीसद महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स(बीएमआई) सामान्य से कम था.

 

मतलब प्रदेश की एक चौथाई व्यस्क आबादी भोजन और पोषण की कमी के कारण सामान्य से कम वजन की है !

 

इस मामले में प्रदेश के नये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव-क्षेत्र गोरखपुर की हालत कुछ खास बेहतर नहीं. गोरखपुर जिले में 25.1 फीसद व्यस्क पुरुष और 22.2 फीसद व्यस्क महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है. (नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के लिए यहां क्लिक करें.

 

गोरखपुर से थोड़ी सी अच्छी हालत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय चुनाव-क्षेत्र बनारस की है. यहां 21.5 फीसद व्यस्क पुरुषों का बीएमआई सामान्य से कम है लेकिन कम बीएमआई वाली व्यस्क महिलाओं की संख्या(23.8 प्रतिशत) बनारस में गोरखपुर से ज्यादा है.

 

सवाल उठता है कि आखिर बीएमआई कौन सी शै है ? सीधे-सरल शब्दों में कहें तो बीएमआई किसी व्यक्ति के देह के वजन की एक खास तरह की माप को कहते हैं. किसी व्यक्ति के कुल वजन में उसकी लंबाई के वर्गफल से भाग दे दीजिए तो बीएमआई निकल आयेगा. बीएमआई निकालने के लिए वजन को किलोग्राम में मापते हैं और लंबाई को मीटर में.

 

यदि किसी व्यक्ति का बीएमआई 18.5 किलोग्राम/ प्रति वर्गमीटर से कम हो तो कहा जा सकता है कि उस व्यक्ति का वजन सामान्य से कम है. कम वजन की कई वजहें गिनायी जाती हैं जिसमें बीमारी, कुपोषण, खाने-पीने की खराब आदतें या दवाइयों का सेवन आदि प्रमुख हैं.

 

विभिन्न राज्यों और संघशासित प्रदेशों में पोषण की स्थित---

 

नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक 15-49 आयु वर्ग के 20 फीसद से तनिक ज्यादा स्त्री-पुरुषों का बीएमआई सामान्य से कम है.

 

राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 22.9 फीसद महिलाओं और 20.2 फीसद पुरुषों(15-49 आयु वर्ग) का बीएमआई 18.5 किलोग्राम प्रतिवर्ग मीटर से कम है

 

नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-3 के मुताबिक साल 2005-06 में 33 फीसद महिलाओं और 28.1 प्रतिशत पुरुषों का बीएमआई सामान्य से कम था.

 

कम वजन की समस्या से जूझ रही महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा झारखंड में है. झारखंड में 31.5 फीसद महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है. इसके बाद बिहार का स्थान है जहां 30.4 फीसद महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है. मध्यप्रदेश(28.3 प्रतिशत), गुजरात(27.2 प्रतिशत) और राजस्थान(27.0 प्रतिशत) में भी कम वजन की समस्या से जूझ रही महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है.

 

सामान्य से कम बीएमआई की महिलाओं की सबसे कम संख्या सिक्किम में है. यहां 6.4 फीसद महिलाओं का बीएमआई सामान्य से कम है. इसके बाद मिजोरम(8.3 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश(8.5 प्रतिशत), मणिपुर(8.8 प्रतिशत) और केरल(9.7 प्रतिशत) का स्थान है.

 

तुलनात्मक रुप से देखें तो 2015-16 में मध्यप्रदेश में सामान्य से कम बीएमआई वाले पुरुषों की संख्या सबसे ज्यादा(28.4 प्रतिशत) है. इसके बाद उत्तरप्रदेश(25.9 प्रतिशत), बिहार(25.4 प्रतिशत), गुजरात(24.7 प्रतिशत) और छतीसगढ़(24.1 प्रतिशत) का स्थान है.

 

सामान्य से कम बीएमआई वाले पुरुषों की सबसे कम संख्या सिक्किम में है. यहां केवल 2.4 फीसद पुरुषों का बीएमआई सामान्य से कम है. इसके बाद मिजोरम(7.2 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश(8.3 प्रतिशत) और गोवा(10.8 प्रतिशत) का स्थान है.

 

सामान्य से कम बीएमआई वाले स्त्री-पुरुषों के बीच सबसे ज्यादा अन्तर वाला राज्य झारखंड है. इसके बाद ओड़ीशा, असम और बिहार, हरियाणा तथा महाराष्ट्र का स्थान है.

 

यहां बताते चलें कि सभी राज्यों और संघशासित प्रदेशों के नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के तथ्य अबऑनलाइन मौजूद हैं.