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सवा अरब लोगों के लोकतंत्र में सवा करोड़ से ज्यादा 'गुलाम'!

बात विरोधाभासी लग सकती है लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाने वाले भारत में गुलामी की जिन्दगी जीने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार भारत में गुलामी के आधुनिक रुपों से पीड़ित लोगों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख 29 हजार है।(देखें नीचे दी गई लिंक)
 
ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2014 नामक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 30 लाख 24 हजार, पाकिस्तान में 20 लाख 6 हजार , उज्बेकिस्तान में 10 लाख 20 हजार और रुस में 10 लाख 50 हजार व्यक्ति गुलामी के आधुनिक रुपों से पीड़ित हैं। भारत समेत इन पांच देशों में गुलामी के नये रुपों से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या तकरीबन 2 करोड़ 20 लाख है जो कि दासता के शिकार विश्व के कुल लोगों की संख्या का 61 प्रतिशत है। रिपोर्ट में, दुनिया में  दासता के शिकार लोगों की कुल संख्या 3 करोड़ 50 लाख 80 हजार बतायी गई है।
 
वाक फ्री फाऊंडेशन नामक अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था द्वारा प्रस्तुत इस रिपोर्ट में कहा गया है कि  भारत की आबादी के कुल हिस्से का 1.14 प्रतिशत हिस्सा गुलामी के नये बंधनों की जकड़ में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत समेत चीन, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, रुस, नाइजीरिया कांगो, इंडोनेशिया, बांग्लादेश तथा थाइलैंड यानी दुनिया के दस देशों में दासता से पीड़ित दुनिया की कुल आबादी का 71 प्रतिशत हिस्सा रहता है।

गुलामी के आधुनिक रुपों से पीड़ित लोगों की संख्या और उन्हें स्वतंत्र कराने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों के मद्देनजर भारत को रिपोर्ट में 167 देशों के बीच 5 वें स्थान(बहुत नीचे) पर रखा गया है। गौरतलब है कि पिछले साल ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स रिपोर्ट में भारत 162 देशों के बीच चौथे स्थान पर था।

रिपोर्ट के अनुसार दासता के नये रुपों को मापना बहुत कठिन है और इसे हम कई रुपों में जानते हैं जैसे बंधुआ मजदूरी, मानव-तस्करी आदि। रिपोर्ट में गुलामी के आधुनिक रुप की परिभाषा करते हुए कहा गया है कि इसमें एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति पर कुछ इस तरह से अधिकार अथवा नियंत्रण हासिल कर लेता है कि दूसरा व्यक्ति अपनी निजी आजादी का उपयोग नहीं कर पाता। दूसरे व्यक्ति पर यह अधिकार या नियंत्रण उसके शोषण की नीयत से किया जाता है।

गौरतलब है कि गुलामी के नये रुपों ने विश्व में एक बड़े उद्योग का रुप ले लिया है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार लोगों से जबरिया मजदूरी कराके सालाना 150 अरब डॉलर के अवैध लाभ की उगाही की जाती है। दुनिया के कम से कम 58 देशों के 122 वस्तुओं के उत्पादन में लोगों से एक ना एक रुप में गुलामी करवायी जाती है।

ग्लोबल स्लेवरी रिपोर्ट के अनुसार भारत समेत पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आप्रवासी मजदूर शोषण के अनेक रुपों का शिकार होते हैं और उसे एक तरह से बंधुआ मजदूरी या आधुनिक गुलामी का रुप माना जा सकता है। देश के भीतर और बाहर दोनों ही जगह आप्रवासी मजदूरों को शोषण के अनेक रुपों का सामना करना पड़ता है। कभी उनसे काम पर रखने के लिए भारी कीमत वसूली जाती है, कभी गैरकानूनी ढंग से पासपोर्ट पर कब्जा कर लिया जाता है। वेतन रोक लेना, काम के घंटों का ज्यादा होना, काम का परिवेश अस्वास्थ्यकर होना, मानसिक और यौन-प्रताड़ना जैसे व्यवहार से आप्रवासी मजदूर अकसर दो-चार होते हैं। गुलामी की आशंका के मामले में रिपोर्ट में भारत को 167 देशों के बीच  56.7 अंकों के साथ 63 वें स्थान पर रखा गया है।

गौरतलब है कि भारत में मानव-तस्करी की जांच के लिए 215  इकाइयां काम कर रही हैं। मानव-तस्करी को रोकने के ऐसे प्रयास के बावजूद बीते साल मात्र 13 लोगों को मानव-व्यापार के मामले में दोषी सिद्ध किया जा सका। साल 2014 में गृह-मंत्रालय ने मानव-तस्करी निरोधी गतिविधियों के संबंध में सूचना देने के लिए एक एंटी-ट्रैफिकिंग पोर्टल बनायी गई लेकिन इस पोर्टल पर बंधुआ मजदूरी से संबंधित जानकारी नदारद है।.

दो साल पहले(15 अक्तूबर 2012) सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मजदूरी अधिनियम के हवाले से राज्यों से कहा था कि जिला स्तरीय निगरानी समितियां बंधुआ मजदूरों की पहचान और रिहाई के लिए सर्वेक्षण करें लेकिन कर्नाटक को छोड़कर अन्य किसी भी राज्य में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं हुआ है।


ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स रिपोर्ट के मुख्य तथ्य :


•    भारत की आबादी का 1.14 प्रतिशत हिस्सा यानी तकरीबन 1 करोड़ 40 लाख लोग गुलामी के आधुनिक रुपों के शिकार हैं।.

•    दासता की आशंका के मामले मं भारत 56.7 अंकों के साथ 167 देशों में 63वें स्थान पर है।

•    भारत में सर्वाधिक सामाजिक सुरक्षा से सर्वाधिक वंचित दलितजन हैं। शोषण के दुष्चक्र और दासता के आधुनिक रुपों से जकड़ने की सर्वाधिक आशंका दलितों के बारे में है।.

•    भारत में तकरीबन 90 फीसदी कामगार अर्थव्यवस्था के अनियोजित क्षेत्र में काम करते हैं. अनियोजित क्षेत्र में काम की दशाएं अत्यंत अनियत हैं.

•    सरकारी प्रयासों द्वारा दासता के विभिन्न रुपों को समाप्त करने के मामले में भारत 167 देशों के बीच 59 वें स्थान पर है।
 
•    2013 में प्रकाशित ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स की तुलना में 2014 के स्लेवरी इंडेक्स रिपोर्ट में दासता में जकड़े लोगों की संख्या बढ़ी हुई दर्ज की गई है। वर्ष 2013 की रिपोर्ट में दासता के आधुनिक रुपों में जकड़े लोगों की संख्या 29.8 मिलियन थी जो 2014 में बढ़कर 35.8 मिलियन हो गई है।

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक--

 

The Global Slavery Index 2014, prepared by Walk Free Foundation (Please click here to access)

 

Methodology to prepare Global Slavery Index 2014 (Please click here to access)

 

Detailed Methodology to prepare Global Slavery Index 2014 (Please click here to access)

 

India is now the world's slave capital: Global Slavery Index 2014 -Kounteya Sinha, The Times of India, 17 November, 2014 (Please click here to access) 

 

Global Report on Trafficking in Persons 2014 by United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC) (Please click here to access) 

 

The Global Slavery Index 2013 (Please click here to access)

(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर के लिए हम बीबीसी हिन्दी सेवा के आभारी हैं. तस्वीर इस लिंक http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/10/131017_modern_slavery_vt पर उपलब्ध है)