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Resource centre on India's rural distress
 
 

स्किल इंडिया मिशन : दूर का सपना और नजदीकी सच्चाई

क्या अगले सात सालों में 40 करोड़ लोगों को रोजी-रोजगार हासिल कर सकने लायक हुनर सिखाने का स्किल इंडिया मिशन का लक्ष्य सच्चाई कम और दूर का सपना ज्यादा है ?

 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट के तथ्य इसी आशंका को बल देते हैं. (देखें नीचे दी गई लिंक)

 

रिपोर्ट के अनुसार साल 2011-12 में देश में 15 साल और इससे ज्यादा उम्र के केवल 2.4 प्रतिशत लोगों ही किसी किस्म की तकनीकी डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट स्तर की शिक्षा हासिल कर पाये थे.

 

देश के ग्रामीण इलाकों की हालत तकनीकी शिक्षा-प्राप्त लोगों के मामले में और भी पतली है.

 

रिपोर्ट के अनुसार शहरों में पंद्रह साल या इससे ज्यादा उम्र के केवल 1.1 प्रतिशत व्यक्ति किसी किस्म की तकनीकी डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट स्तर की शिक्षा हासिल कर पाये थे जबकि शहरी अंचलों में ऐसे लोगों की तादाद 5.5 प्रतिशत है.

 

गौरतलब है कि नई जनगणना में 15-59 वर्ष के लोगों की कुल संख्या तकरीबन 73 करोड़ बतायी गई है जो कि देश की कुल आबादी का लगभग 60 प्रतिशत है.(देखें नीचे दी गई लिंक)

 

नेशनल सैपल सर्वे के 68 वें दौर की गणना पर आधारित सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट में गांवों में तकनीकी शिक्षा प्राप्त महिलाओं की संख्या 1 प्रतिशत से भी कम(0.5 प्रतिशत) है, शहरों में स्थिति इससे तनिक बेहतर है जहां तकनीकी शिक्षा हासिल करने वाली 15 साल या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं की संख्या 3.3 प्रतिशत है.

 

रिपोर्ट से रोजगारपरक पेशेवर शिक्षा(वोकेशनल एजुकेशन) प्राप्त लोगों के बारे में भी कोई उत्साहवर्धन तस्वीर नहीं बनती. 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के केवल 2.2 प्रतिशत लोगों को औपचारिक तौर पर सीधे रोजगार से जुड़ी कोई प्रशिक्षण हासिल हुआ है जबकि 8.6 प्रतिशत लोगों ने रोजगारपरक प्रशिक्षण अनौपचारिक रुप से हासिल किया है. ( तकनीकी शिक्षा और रोजगारपरक पेशेवर शिक्षा की परिभाषा के लिए देखें हमारा अंग्रेजी न्यूज एलर्ट)

 

हाल की एक सरकारी रिपोर्ट(एनएसएसओ) में भारत में कुल कार्यबल में पाँच प्रतिशत से भी कम(4.69 फीसदी) लोगों को औपचारिक स्तर का प्रशिक्षण हासिल है जबकि अमेरिका में ऐसे लोगों की तादाद 52 प्रतिशत, ग्रेट ब्रिटेन में 68 प्रतिशत, जर्मनी में 75 प्रतिशत तथा जापान और कोरिया में क्रमशः 80 और 96 प्रतिशत है.

 

अनेक विशेषज्ञों की राय है कि भारत में हुनरमंद लोगों की फिलहाल कमी है. समाचारों में जनगणना के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि साल 2022 तक श्रमबाजार में 10 करोड़ से ज्यादा नये लोग शामिल होंगे और तकरीबन 30 करोड़ अन्य लोगों को इस अवधि में हुनर को निखारने के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरुरत होगी.

 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य

 

---- रोजगारपरक औपचारिक पेशेवर शिक्षा हासिल करने वाले या हासिल कर रहे 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के 58.3 प्रतिशत लोग रोजगारशुदा हैं, 5.9 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं और ऐसे 35.8 प्रतिशत व्यक्ति श्रमबाजार में शामिल नहीं है.

 

------ रोजगारपरक औपचारिक पेशेवर शिक्षा हासिल करने वाले या हासिल कर रहे 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में 25.1 प्रतिशत कंप्यूटर-ट्रेड के क्षेत्र में प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं, ड्राइविंग और मोटर मैकेनिक का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या ऐसे लोगों में 12.2 प्रतिशत है जबकि इलेक्ट्रिकल तथा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ऐसे लोगों की संख्या 11.2 प्रतिशत है.

 

• ग्रामीण क्षेत्र में 18-2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 5.9 प्रतिशत परिवारों में 15 साल या इससे अधिक उम्र का एक भी व्यक्ति ना पढ़ा लिखा नहीं है यानी वह ना तो कोई एक संदेश ठीक-ठीक लिख सकता है ना ही समझ सकता है.

 

• देश में 7 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों के बीच साक्षरता दर साल 2011-12 में 74.7 प्रतिशत थी..

 

• शहरों में इस आयु वर्ग में साक्षरता दर 86 प्रतिशत और गांवों में 86 प्रतिशत थी.

 

• तकरीबन 79.1 प्रतिशत ग्रामीण पुरुष 60.6 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं साक्षर हैं. शहरी इलाकों में पुरुषों के बीच साक्षरता दर 91.1 प्रतिशत तथा महिलाओं में 80.3 प्रतिशत है.

 

• 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के कुल 2.4 प्रतिशत लोगों ने तकनीकी शिक्षा डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट स्तर की हासिल की है. गांवों में ऐसे लोगों की संख्या 1.1 प्रतिशत तथा शहरों में 5.5 प्रतिशत है.

 

• तकनीकी शिक्षा प्राप्त लोगों में सर्वाधिक संख्या डिप्लोमाधारी लोगों की है. शहरों में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों में डिप्लोमाधारियों की संख्या 80.2 प्रतिशत है तो गांवों में 91.9 प्रतिशत.

 

• 5 साल से 29 साल के आयुवर्ग में आनेवाले कुल 57.7 प्रतिशत लोग फिलहाल किसी ना किसी शैक्षिक संस्थान में जा रहे हैं. ग्रामीण इलाके में इस आयु वर्ग के 57.4 प्रतिशत तो शहरी इलाके में 58.5 प्रतिशत लोग किसी ना किसी शैक्षिक संस्थान में जा रहे हैं.

 

• 5-29 साल के आयुवर्ग के लगभग 64.5 प्रतिशत लोग सरकारी या फिर स्थानीय निकायों से संबद्ध शैक्षिक संस्थानों में जा रहे हैं जबकि 12.3 प्रतिशत लोग निजी संस्थानों में शिक्षा हासिल करने के लिए जा रहे हैं.

 

• किसी भी किस्म के शिक्षा संस्थान में ना जाने वाले लोगों में से 70 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि वे परिवार की आमदनी की जरुरतों को पूरा करने की वजह से शिक्षा संस्थान नहीं जा रहे जबकि शिक्षा संस्थान ना जाने वाली महिलाओं के लिए सबसे बड़ा कारण घर के कामकाज में हिस्सा बंटाना है.

 

• ग्रामीण इलाके में 27 प्रतिशत और शहरी इलाके में 26.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे कभी किसी शिक्षा संस्थान में नहीं गये क्योंकि शिक्षा को अनिवार्य नहीं माना गया.

 

• ग्रामीण इलाके में 3.6 प्रतिशत और शहरी इलाके में 3.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि शिक्षा संस्थान दूर होने की वजह से वहां जाना नहीं हो सका.

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक--

 

Status of Education and Vocational Training in India, NSS 68 Round (July 2011-June 2012), released in September 2015, please click here to access

Prime Minister Launches SKILL INDIA on the Occasion of World Youth Skills Day, Press Information Bureau/ Ministry of Skill Development and Entrepreneurship, 15 July, 2015, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=123296   

National Skill Development Mission, Press Information Bureau, 2 July, 2015, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=122929  

Skilling India at scale, with MOOCs-Austin Thomas, The Financial Express, 5 October, 2015, please click here to access 

Uphill task for Skill India mission -Rukmini S, The Hindu, 24 September, 2015, please click here to access 
 

Why Modi’s new Skill India mission will mean nothing for workers -Anumeha Yadav, Scroll.in, 19 July, 2015, please click here to access 

 

Narendra Modi’s ambitious Skill India Mission targets 40.2 crore workers by 2022 -Surabhi, The Indian Express, 15 July, 2015, please click here to access