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..जहां हर दिन लगती है मजदूरों की बोली

जमशेदपुर: यह शहर मजदूरों का है. इसकी पहचान मजदूरों से है. लेकिन इस शहर में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स समेत बड़ी कंपनियों में काम करने वाले ‘हाइप्रोफाइल मजदूरों’ से अलग एक ऐसे मजदूरों का यहां हर दिन बाजार सजता है, जहां उनके एक दिन के श्रम की बोली लगती है.  

खरीदार आते हैं, बोली लगाते हैं और अपनी सुविधानुसार कारगर मजदूर को अपने साथ ले जाते हैं. मजदूरों को ऊंची कीमत देकर भी काम कराने के लिए ले जाया जाता है. शर्त बस इतनी होती है कि समय से काम शुरू होगा और आठ घंटे के भीतर काम खत्म हो जायेगा और लंच ब्रेक भी देना होगा. मजदूरों का इस तरह का बाजार हर दिन मानगो चौक, सोनारी एरोड्राम एरिया, कदमा भाटिया बस्ती चौक के पास सजता है.

हर दिन यहां लगभग दस हजार मजदूरों की भीड़ जुटती है. जो ठेकेदार होते है, उन्हें अगर बड़ा काम कराना होता है, अपने काम के मुताबिक मजदूरों को ले जाते हैं. सबसे निराशा भरा क्षण उनके लिये होता है, जिनको लंबे इंतजार के बाद भी काम पर नहीं लिया जाता है. वे अन्य मजदूरों की तरह आते हैं. दोपहर तक इंतजार करते हैं, लेकिन जब कोई नहीं आता है तो खाली हाथ लौट जाते हैं. उनकी मजबूरी को समझने वाला कोई नहीं होता. रोज कमा कर खाने वाले ऐसे मजदूरों की दाल रोटी कैसे चलती है, इसके बारे में शायद ही कोई चिंता करता है. उनकी जिंदगी की गाड़ी इसी तरह चलती रहती है और यह बाजार हर दिन सजता रहता है.

यह हमारी मजबूरी है

यह हमारी मजबूरी है. कि इस तरह मजदूरी करने के लिए यहां आते है. पटमदा, पोटका से भी लोग यहां आते हैं. किसी दिन तो बहुत काम देने वाले आ जाते हैं तो किसी दिन कोई बोली लगाने वाला नहीं होता है. खास तौर पर बारिश के मौसम में तो कोई नहीं पूछता है

-रामबहादुर

हर दिन रोजी- रोटी की चिंता बनी रहती है

हर दिन रोजी रोटी की चिंता बनी रहती है. काम कराने के लिए तरह-तरह के लोग आते हैं. अपनी क्षमता और सुविधानुसार हम लोग काम चुनते हैं. रेट यहां फिक्स होता है और किसी तरह की मनमानी करने नहीं देते है.

-रामाशीष