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हाथरस ‘सामूहिक बलात्कार’ की घटना का एक साल: गहराता जाति विभाजन, कोर्ट रूम ड्रामा और एक बेटी की यादें

-द प्रिंट,

हाथरस में ‘सामूहिक बलात्कार’ की पीड़िता 20 वर्षीय युवती के घर की दीवारों पर उसकी कोई तस्वीर नहीं लगी है.
बेटी के शव का जबरन दाह संस्कार किए जाने के दिन मां ने जो साड़ी पहनी थी, वह बरामदे की छत पर टंगी नजर आ रही है.

एक तुलसी के पौधे की ओर इशारा करते हुए उसकी मां ने कहा, ‘न्याय मिलने के बाद हम उसकी एक बड़ी तस्वीर बनवाकर लगवाएंगे. तब तक तो मैं उसके लगाए पौधे की देखभाल ही कर रही हूं, यह हमें उसकी याद दिलाता है, और काफी अच्छे से बढ़ रहा है.’

मां ने कहा कि जहां तक साड़ी की बात है तो ‘यह मुझे याद दिलाती है कि कैसे मुझे आखिरी बार उसका चेहरा नहीं देखने दिया गया था. अब तो जब भी मैं उसके बारे में सोचती हूं तो उसके लगाए तुलसी के पौधे को देख लेती हूं.’

एक साल हो गया है जब उत्तर प्रदेश में हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव में चार उच्च जाति के ठाकुर लोगों—संदीप (20 वर्ष), उसके चाचा रवि (35) और उनके दोस्तों रामू (26) और लव कुश (23)- ने 20 वर्षीय दलित लड़की का कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया. बाद में उसकी मौत हो गई थी.

14 सितंबर 2020 की सुबह लड़की अपनी मां के साथ मवेशियों के लिए चारा लेने खेतों की तरफ जा रही थी, जब आरोपियों ने कथित तौर पर उसे पकड़ लिया.

29 सितंबर को नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी और उसे देर शाम गांव लाया गया था. हालांकि, उसके शव का 30 सितंबर को तड़के लगभग 2:25 बजे यूपी सरकार के अधिकारियों ने जबरन अंतिम संस्कार करा दिया था.
घटना को एक साल बीत चुका है लेकिन पीड़िता का परिवार आज भी न केवल अपने दुख से उबर नहीं पाया है, बल्कि पीड़िता के अंतिम संस्कार को लेकर जो रवैया अपनाया गया, उससे आहत भी है.

गांव में पहले से ही कायम जाति विभाजन और ज्यादा गहरा गया है, चारों आरोपी जेल में बंद हैं, लेकिन मुकदमा ‘उच्च जातियों की तरफ से धमकियों’ पर ज्यादा केंद्रित हो गया है. और कभी इस मामले में छाई रहीं सुर्खियां और राजनीतिक दलों की तरफ से दिखाई गई सरगर्मी सब कुछ नदारत हो चुका है.

दिप्रिंट ने पिछले गुरुवार को जब बूलगढ़ी का दौरा किया तो पाया कि सीआरपीएफ कर्मियों की तरफ से दी जा रही सुरक्षा को छोड़ दिया जाए तो परिवार को 20 वर्षीय पीड़िता के बारे में होने वाली कानाफूसी और ‘ऑनर किलिंग’ को लेकर लगाए जा रहे आरोपों से जूझने के लिए उसके हाल पर छोड़ दिया गया है.

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