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1 पैसे प्रति लीटर में शुद्ध होगा पानी

इंदौर. गंगा-यमुना हों या खान नदी..सभी मैली हो चुकी हैं। इनके पानी में प्रदूषण हद से गुजर चुका है। परंतु राहत की बात यह है कि इनका पानी सिर्फ एक पैसे प्रति लीटर में शुद्ध किया जा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार को सौंपी गई गंगा नदी घाटी प्रबंधन योजना की रिसर्च रिपोर्ट में यह तथ्य बताया गया है।

यह रिपोर्ट आईआईटी कानपुर में इन्वायरन्मेंट इंजीनियरिंग मैनेजमेंट साइंस के विभागाध्यक्ष डॉ.विनोद तारे के नेतृत्व में सातों आईआईटी के 150 प्रोफेसर ने तैयार की है। हालांकि यह पानी पीने में इस्तेमाल न हो सकेगा, लेकिन इसकी शुद्धता पेयजल के बराबर ही होगी।

गंगा शुद्धीकरण के लिए केंद्र सरकार की गंगा नदी घाटी प्रबंधन योजना के तहत शोध कर रहे डॉ. तारे मूलत: इंदौर के रहने वाले हैं और एसजीएसआईटीएस के छात्र रह चुके हैं। वे कहते हैं 1985 में भी गंगा को शुद्ध करने का प्रयास किया गया था लेकिन सफल नहीं हो पाया। हमने कारण ढूंढा तो पाया कि अन्य पहलुओं के साथ ही स्थानीय निकायों का प्रबंधन कमजोर था।

उसमें भी 0.3 पैसा मुनाफा

रिपोर्ट में बताया गया कि अगले 10-15 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना बड़े व्यवसाय की तरह उभरेगा। इसमें सिर्फ सरकार को इस मॉडल पर काम करने की जरूरत है। डॉ. तारे ने कहा कि इंदौर में भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है।

प्लांट लगाने की जवाबदारी प्राइवेट कंपनी की। कंपनी को शुद्ध पानी की लागत लगभग 0.7 पैसा प्रति लीटर पड़ेगी और इसमें 0.3 पैसा मुनाफा मिल सकता है।
इस काम को करवाने की जवाबदारी नगर निगम की हो।
यह पानी निगम एक पैसा प्रति लीटर के हिसाब से खरीदे। इसके लिए केंद्र या राज्य सरकार अनुदान दे।
पानी शुद्ध हो रहा है या नहीं, इसकी मॉनीटरिंग के लिए कमेटी बनाई जाए, जिसमें शहर के प्रबुद्ध लोग हों।
पानी की शुद्धता जांचने के लिए प्लांट के पास में छोटा सा गड्ढा खोदा जाए। उसमें कुछ विशेष प्रकार की मछलियां छोड़ी जाएं। पानी अशुद्ध होगा तो मछलियां मर जाएंगी।
नदी-तालाबों में पानी दोबारा कैसे इस्तेमाल होगा
जहां नया ढांचा विकसित होगा,वहां पेयजल और अन्य इस्तेमाल के लिए दो पाइप लाइन डाली जाएं।
पुराने शहरों में प्लांट से साफ किए गए पानी को नाले और नदियों में छोड़ने, सड़क या अन्य विकास कार्यो, मॉल एवं मकान निर्माण सहित औद्योगिक क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाए। इससे नगरीय निकाय भी राजस्व कमा सकते हैं।

इंदौर में सीवरेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट

इंदौर में सीवरेज पानी की निकासी 180 मिलियन गैलन प्रतिदिन होती है, जबकि प्लांट से 90 एमएलडी यानी 9 करोड़ लीटर पानी शुद्ध किया जाता है।

खर्चा एक करोड़ रुपए सालाना

नर्मदा प्रोजेक्ट के डिप्टी इंचार्ज धर्मेद्र वर्मा के अनुसार अभी नगर निगम खेती के लिए यह पानी मुफ्त में ही उपलब्ध करवाता है। लोग टैंकर से इसे ले जाते हैं।