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10 साल की बच्ची को नौकरानी बनाने वाला परिवार फंसा

अम्बाला. लुधियाना की 10 वर्षीय अनीता को घरेलू नौकरानी के तौर पर रखने वाले सहगल परिवार के तीन सदस्यों के खिलाफ आखिर मामला दर्ज हो गया है। तीन दिन से अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे थे।

अब श्रम अधिकारी की शिकायत पर महेशनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट, मारपीट, जान से मारने की धमकी देने और बच्चे को डरा-धमकाकर रखने की धाराएं लगाई हैं।


महेशनगर थाने के जांच अधिकारी सुरेश ने बताया कि इस मामले में मुकेश मोहन सहगल, उनके एडवोकेट बेटे ऋषि सहगल और ज्योति सहगल को नामजद किया गया है। अनीता अभी मदर टेरेसा होम में ही है।

बच्ची को किसके हवाले करना है, इसका निर्णय प्रशासन करेगा। अनीता के पिता पार्थ राम ने बच्ची की सुपुर्दगी मांगी थी। 3 नवंबर को अनीता अपने मालिक की चंगुल से निकल भागी गई थी।


भटकते-भटकते वह मॉल रोड पर जा पहुंची थी जहां एक रिक्शा चालक उसे कहीं ले जा रहा था। इसी बीच लालकुर्ती निवासी महिला कमलेश ने संवेदना दिखाते हुए बच्ची को लालकुर्ती पुलिस के हवाले कर दिया था।


पुलिस के सामने बच्ची ने आपबीती बताई थी। पुलिस ने आरोपी परिवार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय बच्ची को चाइल्ड हेल्प लाइन के हवाले कर अपना पल्लू छुड़ा लिया था।

उसके बाद से चाइल्ड लाइन की बच्ची की लड़ाई लड़ रही थी। बाल कल्याण समिति ने बच्ची को डीसी के सामने पेश किया था। बच्ची की कहानी सुनने के बाद डीसी ने सीटीएम को जांच के आदेश दिए थे।


रखें सावधानी : घरेलू नौकर रखने से पहले उसका आयु प्रमाणपत्र देख लें। यदि ऐसा कोई प्रमाणपत्र नहीं है तो मेडिकल जांच से आयु का पता लगाया जा सकता है। पुलिस की वेरिफिकेशन भी करा लें।

अगर बच्चे को किडनैप या तस्करी कर लाया गया होगा तो पता चल जाएगा। नौकर का एकाउंट खुलवाकर चेक के माध्यम से पेमेंट करें। 18 साल से कम उम्र के नौकर से अगर आठ घंटे से ज्यादा काम कराएं तो यह क्रूरता के दायरे में आता है और जेजे एक्ट के तहत मामला दर्ज हो सकता है।


कैसे होगा बच्ची का पुनर्वास


पुलिस ने चार साल तक बच्ची को नौकरानी बनाकर रखने वाले परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। एक पहलू पूरा हो गया है लेकिन अनीता का क्या होगा?

अपने बचपन के चार साल गवां चुकी इस बच्ची का भविष्य कैसे बनेगा और कौन बनाएगा, इन सवालों का जवाब मिलना अभी बाकी है। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी अनीता ने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है।

पिता चौकीदारी करता है। आर्थिक हालात कमजोर हैं। हालांकि पिता ने प्रशासन ने बेटी की सुपुर्दगी मांगी लेकिन प्रशासन अभी तय नहीं कर पाया कि बच्ची उन्हें दी जाए या नहीं।

ऐसे में समाज से जुड़े संगठन अहम भूमिका निभा सकते हैं। बच्ची का भविष्य संवारने का जिम्मा ले सकते हैं ताकि एक जगह से मुक्ति मिलने के बाद बच्ची दोबारा कहीं प्रताडऩा का शिकार न हो। बाउंडिड चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत सरकार से मदद का प्रावधान है लेकिन इस केस में यह धारा नहीं लगाई गई।


गैर जमानती धारा है


अक्टूबर 2006 में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर 14 साल तक के बच्चों से घरेलू नौकर, ढाबे, रेस्त्रां, होटल, चाय की दुकान या मनोरंजन केंद्र में काम लेना प्रतिबंधित किया था। बाल श्रम कानून 14 साल तक ही बच्चा मानता है।

जुवेनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट में 18 साल की उम्र तक ही बच्चा माना जाता है। ऐसे में अगर कोई 18 साल से कम उम्र के बच्चे को घरेलू नौकर रखता है और उसके साथ अमानवीय बर्ताव करता है तो जेजे एक्ट की धारा 23 के तहत मामला बनता है।

जिसमें छह माह तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान है। धारा 26 के तहत तीन साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। जेजे एक्ट के अपराध संज्ञेय हैं।

पुलिस इसका संज्ञान लेकर गिरफ्तार कर सकती है। एक्ट की धारा 26 गैर जमानती है। इसमें पुलिस जमानत नहीं देगी कोर्ट जाना होगा।