Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/100-से-200-साल-में-डूब-जायेंगे-कोलकाता-और-मुंबई-मिथिलेश-झा-8923.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | 100 से 200 साल में डूब जायेंगे कोलकाता और मुंबई-- मिथिलेश झा | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

100 से 200 साल में डूब जायेंगे कोलकाता और मुंबई-- मिथिलेश झा

महाप्रलय के बारे में अब तक लोगों ने किताबों और कहानियों में पढ़ा और सुना है. लेकिन, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और जर्मनी के पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के वैज्ञानिकों ने जो शोध पेश किया है, वह एक बार फिर महाप्रलय के आने की आशंका जाहिर कर रहे हैं. इसकी वजह प्राकृतिक नहीं, मानवजनित है. जी हां, हमने खुद उन परिस्थितियों का निर्माण किया है, जिससे हमारी धरती को खतरा उत्पन्न हो गया है. अपनी मातृभूमि और करोड़ों-अरबों जीव-जंतुओं को शरण देनेवाली धरती को बचाने की कोशिश नहीं हुई, तो सब कुछ बरबाद हो जायेगा.

मिथिलेश झा
फ्रांस में 30 नवंबर से 11 दिसंबर, 2015 के बीच जलवायु परिवर्तन पर मंथन शुरू होने से पहले ग्लोबल वार्मिंग पर एक साथ दो अध्ययन सामने आया है. नासा और पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के अध्ययन बताते हैं कि कि धरती को बचाने के लिए अब भी कुछ नहीं किया, तो बहुत देर हो जायेगी. धरती को खत्म होने से कोई नहीं बचा पायेगा. हालांकि, इसमें थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन बरबादी तय है. बहरहाल, उम्मीद है कि फ्रांस में जुट रहे 200 देशों के प्रतिनिधि जीवाश्म ईंधन को छोड़ अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ने का रास्ता तलाशेंगे.

कयामत के दिन का पता लगाने के लिए नासा ने समुद्रतल, उसके अंदर बदलावों और उसके संभावित असर का अध्ययन शुरू किया है. मिशन को नाम दिया है ओएमजी (द ओशन मेल्टिंग ग्रीनलैंड). यह बताता है कि अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड कितनी तेजी से पिघल रहे हैं. यदि इनके पिघलने की यही रफ्तार रही, तो समुद्र का जलस्तर एक मीटर तक बढ़ जायेगा और कोलकाता, मुंबई समेत कई शहर जलमग्न हो जायेंगे. इसमें ज्यादा से ज्यादा 100 से 200 साल लगेंगे. समुद्र का जलस्तर बढ़ने से तटीय शहरों में तूफान और बाढ़ का प्रकोप बढ़ेगा. जल्दी-जल्दी तूफान आयेंगे और भारी तबाही होगी.

नासा ने कहा है कि जलस्तर का सीधा संबंध ग्लेशियर और बर्फ के पिघलने से है. ग्रीनलैंड का पिघलना हर समस्या की जड़ है. शाश्वत रूप से ग्रीनलैंड 303 गीगाटन (पिछले 10 वर्ष में) पिघल रहा है, जबकि अंटार्कटिक 118 गीगाटन प्रति वर्ष. नासा 17 लाख वर्ग मीटर में फैली आइस शीट का अध्ययन कर रहा है, जो अमेरिका के क्वींसलैंड प्रांत के बराबर है और समुद्र के नीचे 1.6 किलोमीटर तक जमा है. नासा के मुताबकि, यदि यह पूरा क्षेत्र पिघल जाता है, तो समुद्र का जलस्तर छह मीटर तक बढ़ जायेगा. यह धरती के खत्म होने से कम नहीं होगा.

60 मीटर तक बढ़ जायेगा जलस्तर
जर्मनी में स्थित पोस्टडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च के शोधकर्ता रिकार्डा विंकलमैन और कारनेगी के रिसर्चर केन कालडेरा कहते हैं कि यदि धरती के सारे जीवाश्म ईंधन जला दें, तो सागर का जलस्तर 60 मीटर तक बढ़ जायेगा और धरती तबाह हो जायेगी. साइंस एडवांसेज में छपे इस शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एकाएक या एक-दो दिन में नहीं होगा, लेकिन, जब भी होगा, इसका असर भयावह होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें 10,000 वर्ष तक लग सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र का जलस्तर बढ़ने में अंटार्कटिक की हिस्सेदारी इस वक्त महज 10 फीसदी है. लेकिन, पश्चिमी अंटार्कटिक का बड़ा भाग लगभग एक साल पहले ही पिघल चुका है. यह भी कहा गया है कि यदि विश्व को बचाने के लिए दुनिया भर के देशों ने तापमान को दो डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक नहीं बढ़ने दिया, तो भी समुद्र का जलस्तर बढ़ना नहीं रुकेगा. हां, इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ेगी.