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1000 फीट पर भी नहीं मिल रहा पानी

रांची में पानी का संकट गहराता जा रहा है. कई इलाकाें में पाताल से भी पानी नहीं मिल पा रहा है. हजार फीट से अधिक डीप बाेरिंग कराने के बावजूद पानी नहीं िनकल रहा है. माेरहाबादी स्थित टैगाेर हिल इलाके में कम से कम सात अपार्टमेंट में कई बार जगह बदल कर डीप बाेरिंग करायी गयी, पर पानी निकला ही नहीं. इस इलाके में वाटर सप्लाई भी बंद है. 40 लाख से अधिक कीमत पर फ्लैट खरीदनेवालाें काे अब साल में चार लाख का पानी खरीदना पड़ रहा है. इसके चलते कई लाेग फ्लैट छाेड़ कर शिफ्ट करने लगे हैं.

रांची: टैगोर हिल रोड में सात अपार्टमेंट हैं. यहां छह-सात साल से पानी संकट है. पर, बारिश कम हाेने व जल संरक्षण के लिए कदम नहीं उठाये जाने के कारण पिछले तीन साल से यहां के लोगों को पानी खरीदना पड़ रहा है. सालाना तीन से चार लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. पानी मिले, इसको लेकर प्रत्येक अपार्टमेंट में पैसे खर्च कर तीन से चार डीप बोरिंग करवायी गयी, लेकिन सभी फेल हो गये. हजार फीट से अधिक बाेरिंग किये जाने के बावजूद पाताल से पानी नहीं निकला. हालत यह है कि प्रत्येक दिन 900 रुपये जमा कर नगर निगम के टैंकर से पानी मंगाया जा रहा है. प्रत्येक माह एक हजार रुपये पानी पर खर्च करने पड़ रहे हैं. अपार्टमेंट के लोगों ने बताया, किसी दिन टैंकर नहीं आया, तो स्थिति और बिगड़ जाती है. पीने के लिए 40 रुपये में मिनरल वाटर का जार मंगाना पड़ता है. प्रत्येक घर में औसतन दो जार पीने के पानी की खपत है. 

भाड़ेदार भी नहीं आ रहे हैं : पानी की सुविधा नहीं होने से कई लोग अपार्टमेंट छोड़ रहे हैं. लोग बताते हैं कि अपार्टमेंट में नये भाड़ेदार भी नहीं आ रहे हैं. पानी की परेशानी को लेकर अपार्टमेंट के लोगों का कहना है कि 40 लाख रुपये में फ्लैट खरीदा. अब पानी खरीदना पड़ रहा है. घर का बजट बढ़ गया है. पानी संकट के चलते छोटा आयोजन करने से भी लोग परहेज कर रहे हैं. सरकार भी कुछ नहीं कर रही है. इस इलाके में अपार्टमेंट के अलावा और भी छोटे-छोटे घर हैं, वहां भी पानी का संकट बढ़ता जा रहा है. 

नहीं है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम 
टैगोर हिल रोड में लगभग हर अपार्टमेंट में 16 परिवार रहते हैं. हरेक परिवार में तीन से चार सदस्य हैं. सात अपार्टमेंट में लगभग एक हजार से अधिक सदस्य रहते हैं. अपार्टमेंट के अलावा कई छोटे-छोटे घर भी है़ं इन घरों में भी गंभीर संकट है़. किसी अपार्टमेंट में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है़. दो-तीन अपार्टमेंट में जैसे-तैसे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनायी गयी है़.


20 हजार रुपये देकर सर्वे भी कराया था
अपार्टमेंट के लोगों ने मिल कर बनारस से विशेष सर्वे दल को बुला कर इस इलाके में सर्वे भी कराया था. लेकिन, वह भी फेल कर गया. इसके लिए दल को 20 हजार रुपये भी दिये गये थे.

घर छोड़ने को मजबूर हैं विजय गुप्ता
विजय गुप्ता पिछले पांच वर्षों से मां तारामणि अपार्टमेंट में रह रहे हैं. अब थक चुके हैं. अपार्टमेंट में भाड़े में रह रहे हैं. पर, अब इसे छोड़ कर रातू रोड शिफ्ट कर रहे हैं. यहां फ्लैट खरीदना चाह रहे थे लेकिन, अब उन्होंने तय कर लिया है कि इस इलाके में फ्लैट नहीं लेंगे.


पाइप लाइन बिछी हुई है, पर पानी नहीं आता 
टैगोर हिल रोड में सप्लाइ के लिए पाइप लाइन भी बिछी हुई है, पर उसमें पानी नहीं आता है. कई अपार्टमेंट में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी है, पर बारिश नहीं हाेने से वह काम नहीं करता है. 

सरकार से शिकायत का भी िनराकरण नहीं 
यहां के लाेगाें ने बताया कि उन्हाेंने मुख्यमंत्री के शिकायत कोषांग में भी कई बार शिकायत की, लेकिन कोई निराकरण नहीं हुआ. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह को भी कई बार पत्र के माध्यम से स्थिति से अवगत कराया गया, पर कुछ नहीं हुआ. इस बारे में रांची के उप महापौर संजीव विजयवर्गीय को भी बताया गया. आश्वासन भी मिला, पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

निगम को प्रस्ताव भी दिया था
पीएचइडी के गोंदा डिवीजन कार्यपालक अभियंता द्वारा एक-एक लाख गैलेन पंप व इएसआर निर्माण कराने संबंधी प्रस्ताव नगर निगम को दिया गया था. इस पर 4.35 करोड़ रुपये खर्च होंगे. प्रस्ताव पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.



स्थिति भयावह 
नहीं चेते, तो पूरी रांची का यही हाल होगा


पाताल से भी नहीं मिलेगा पानी
जल संरक्षण और पानी बचाने को लेकर प्रभात खबर लगातार मुहिम चला रहा है़. मोरहाबादी में पेयजल संकट इसकी बानगी है़. यहां डीप बोरिंग भी फेल है़. पानी की बरबादी करनेवालाें काे इससे सबक लेने की जरूरत है. प्रभात खबर पहले से ही जल संरक्षण के लिए लाेगाें काे आगाह करता रहा है. पानी बचायें, नहीं तो हमारा कल सुरक्षित नहीं है़.


क्या कहते हैं अपार्टमेंट के लोग
रिश्तेदार भी नहीं आते
पानी नहीं होने की वजह से अपने सगे-संबंधियों का आना भी कम हो गया है. जिस दिन टैंकर नहीं आता, उस दिन खाना बनाने के लिए मिनरल वाटर का जार खरीदना पड़ता है.

फ्लैट लेकर फंस गये
40 लाख रुपये में फ्लैट खरीदा है. बैंक को प्रत्येक माह 18 हजार रुपये किस्त दे रहे हैं. होल्डिंग टैक्स भी चुकाते हैं. पर, पानी नहीं मिल रहा है. सत्येंद्र सिंह

तीन-तीन बोरिंग करायी गयी
हर अपार्टमेंट में एक नहीं तीन-तीन बोरिंग करायी गयी, लेकिन पानी नहीं निकला. बार-बार विभागीय मंत्री व नगर निगम के अधिकारियों को स्थिति से अवगत भी कराया गया, पर कुछ नहीं हुआ. बीएन सिंह