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13 सौ करोड़ रुपए की दाल खरीदी में गड़बड़ी, सरकार कराएगी जांच

भोपाल। बाजार में मूंग,उड़द और अरहर की कीमतों मे भारी गिरावट के बाद सरकार ने समर्थन मूल्य पर इन्हें खरीदने का फैसला किया और देखते ही देखते 13 सौ करोड़ की खरीदी हो गई। इतनी ज्यादा खरीदी पर अब सरकार को शक है कि इसमें गड़बड़झाला हुआ है।

नरसिंहपुर, रायसेन, विदिशा, हरदा, होशंगाबाद सहित कुछ अन्य जिलों में खरीदी की मात्रा अप्रत्याशित होने से अधिकारियों को ये लग रहा है कि व्यापारियों ने किसानों के नाम पर अपना पुराना स्टॉक ठिकाने लगा दिया है।

यही वजह है कि सरकार ने खरीदी की पूरी जांच करने के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं। सरकार ने दलहन फसलें बाजार दर से लगभग दो हजार रुपए क्विंटल ज्यादा में खरीदी है। प्रदेश में गर्मी की मूंग, अरहर और उड़द की बंपर पैदावार और बाजार में उचित कीमत नहीं मिलने के कारण सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया था।

अब तक 5 हजार 225 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 1 लाख 65 हजार टन मूूंग, 5 हजार 50 रुपए क्विंटल में 85 हजार 260 टन अरहर और पांच हजार रुपए क्विंटल में 16 हजार 358 टन उड़द खरीदी कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक सरकार को आशंका है कि कुछ जिलों में सरकारी खरीदी का फायदा उठाकर गड़बड़ियां की गई हैं। इसमें व्यापारियों ने अपने स्टॉक को किसान के नाम से ठिकाने लगा दिया। गाडरवाड़ा में ऐसे दो व्यापारी पकड़े भी जा चुके हैं।

इसके मद्देनजर कृषि विभाग ने कलेक्टरों को ये निर्देश दिए हैं कि वे जिन किसानों से खरीदी की गई है, उनके दस्तावेज की जांच करा लें। मात्रा बहुत ज्यादा होने पर पटवारी से किसानों के खेतों का निरीक्षण कराया जाए। बैंक खातों में हुए भुगतान की पुष्टि भी कराई जाए कि वे खाते उन्हीं के हैं या नहीं। इन खातों से व्यापारियों के खाते में तो राशि ट्रांसफर नहीं की गई।

इन सभी बिन्दुओं पर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में 1 लाख 20 हजार हेक्टेयर में गर्मी की मूंग बोई गई थी। किसान बड़ी मात्रा में मूंग बेच भी चुके थे लेकिन बाजार में कीमत कम होने की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा था। इसके मद्देनजर समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई।

सवा दो लाख हेक्टेयर है मूंग का रकबा

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में गर्मी की मूंग का रकबा सवा दो लाख हेक्टेयर के आसपास है। पिछले साल 3 लाख टन मूंग पैदा हुई थी। इस बार बंपर फसल आई है और बाजार में कीमत नहीं मिलने के कारण किसानों ने सरकार को इसे बेच दिया। संभावना इस बात की है कि जिन किसानों ने अपनी उपज औने-पौने दाम में व्यापारियों को बेच दी थी, उन्होंने अपना स्टॉक किसानों के माध्यम से बिकवा दिया हो।

किसान का हक कोई न मार ले: राजौरा

प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश राजौरा ने बताया कि सरकार ने खरीदी किसानों के हितों को देखते हुए की है। अरहर को छोड़कर मूंग और उड़द की खरीदी अभी चल रही है। किसान का हक कोई और न मार ले, इसके लिए ऐहतियातन कलेक्टरों को पड़ताल करने के लिए कहा।