Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/1300-किसानों-को-सिंचाई-नलकूपों-के-लिए-मिलेगी-मदद-2884.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | 1300 किसानों को सिंचाई नलकूपों के लिए मिलेगी मदद | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

1300 किसानों को सिंचाई नलकूपों के लिए मिलेगी मदद

रायपुर.इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चारा घोटाला सामने आया है। वहां मवेशियों के चारे के लिए मिले 20 लाख रुपए कहीं और खपा दिए गए।

राज्य शासन के कोष लेखा एवं पेंशन संचालनारायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने 1300 किसानों को सिंचाई नलकूपों के लिए मदद देने का फैसला किया है जिसके लिए राज्य में लगभग नौ करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि किसानों को सिंचाई सुविधा दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ में चालू वित्त वर्ष में 1300 नलकूप खुदाई का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए राज्य सरकार ने आठ करोड़ 75 लाख रुपये बजट का प्रावधान किया है। इस लक्ष्य के तहत जून 2010 तक 141 नलकूपों का खनन कर लिया गया है।

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किसानों के लिए निजी उथले नलकूपों की यह योजना विभाग की हितग्राही मूलक योजना है। इस योजना के तहत विभाग द्वारा नलकूपों का निर्माण पूर्ण कर किसानों को सौंपा जाता है। प्रत्येक नलकूप के निर्माण में लगभग 50 हजार रुपये की लागत आती है। लागत की लगभग 50 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में किसानों को दी जाती है। शेष राशि किसानों द्वारा स्वयं वहन की जाती है।

अधिकारियों ने बताया कि नलकूपों के निर्माण के दौरान आवश्यक विद्युत लाईन और निर्माण के बाद नलकूपों के संचालन, संधारण तथा विद्युत प्रभार किसान स्वयं वहन करता है। दो हजार गैलन प्रति घंटा एवं इससे अधिक जल क्षमता वाले नलकूप सफल माने जाते हैं। दो हजार गैलन प्रति घंटा से कम जल क्षमता वाले नलकूप विफल माने जाते हैं, ऐसे प्रकरणों में किसानों को मात्र एक हजार रुपये ही वहन करना पड़ता है।
य की जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। विभाग ने इसे वित्तीय अनियमितता माना है। इसमें चारा से ज्यादा राशि मजदूरों के नाम पर खर्च की गई है।

विभाग ने वेटरनरी हॉस्पिटल एवं कॉलेज अंजोरा के खर्च का परीक्षण किया। इसमें कॉलेज को पशु आहार और चारा मद से 20 लाख रुपए का आबंटन बजट में किया गया।

इसमें से 75 फीसदी राशि चारा खरीदी में खर्च की जानी थी, लेकिन अफसरों ने केवल 25 प्रतिशत राशि का चारा खरीदा, शेष राशि इसे खिलाने में लगने वाले मजदूरों के भुगतान में दिखा दिया है।

कॉलेज ने 6 लाख 60 हजार 829 रुपए का पशु आहार और चारा खरीदा। इसके अतिरिक्त 16 लाख सात हजार 198 रुपए अन्य मद में खर्च किए गए। यानी कुल 22 लाख 68 हजार 27 रुपए खर्च किए गए, जबकि बजट आबंटन केवल 20 लाख रुपए का था। इस प्रकार दो लाख 68 हजार 27 रुपए अधिक व्यय किया गया

मापदंड के अनुसार दें चारा

कोष लेखा संचालनालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कृषि विभाग के निर्धारित मापदंड के अनुसार मवेशियों को चारा दिया जाना चाहिए। कॉलेज में पशु आहार मद में प्राप्त आबंटन का केवल 25 प्रतिशत खर्च किया गया।

मजदूरी में 75 प्रतिशत व्यय किया गया है। इससे स्पष्ट है कि पशुओं के आहार में अपेक्षाकृत कम व्यय किया जा रहा है, जिससे पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

एक वाहन की मरम्मत में एक लाख खर्च

कृषि विवि ने अनुसंधान संचालक के कार क्रमांक सीजी-04 एमए 4930 के मरम्मत के लिए मेसर्स मंगलम सर्विसेज को एक लाख 1533 रुपए का भुगतान किया गया है। इस संबंध में कोष लेखा एवं पेंशन संचालनालय के अंकेक्षण दल ने परीक्षण के लिए अभिलेख और वाउचर मांगे, लेकिन अनुसंधान संचालक ने इसे उपलब्ध नहीं कराया।

इससे यह पता नहीं चल सका कि उपरोक्त राशि का भुगतान हुआ है या नहीं। संचालनालय ने इसे वित्तीय अनियमितता माना है। इस संबंध में अनुसंधान संचालक डा. एसके पाटिल का कहना है कि उन्होंने अंकेक्षण दल को सारे अभिलेख और वाउचर दिखाए हैं। कार का एक्सीडेंट होने के कारण उसमें ज्यादा खर्च आया। इसका बीमा क्लेम भी किया गया। बीमा से विवि को 70 हजार रुपए मिले।

160 मवेशी,50 मजदूर

विवि प्रबंधन के अनुसार अंजोरा वेटरनरी कॉलेज में कुल 160 मवेशी हैं। इनके रखरखाव के लिए 50 मजदूर रखे गए हैं। इसमें से 25 मजदूर दूध निकालने के लिए डेयरी में तैनात हैं। शेष मजदूर मवेशियों को चराने के लिए हैं।

इन्हें कलेक्टर रेट पर 86 रुपए के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यदि साल भर इन मजदूरों से काम लिया जाए तब भी उनकी मजदूरी 16 लाख रुपए नहीं पहुंचेगी।

"अंजोरा में मवेशियों को घास खिलाई जाती है। नेचुरल घास ज्यादा फायदेमंद होती है। फार्म में मवेशियों को चराने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ती है। इसी मद में राशि खर्च हुई। ये मेरे कार्यकाल का मामला नहीं है। मजदूरों को बंद नहीं किया जा सकता।"

केपीसी सिंह, डीन शासकीय वेटनरी कालेज दुर्ग