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193 करोड़ रु. में समतल होगी 65 करोड़ की जमीन

भोपाल. खंडवा में प्रस्तावित 1200 मेगावाट के मालवा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए अधिगृहित 65 करोड़ रुपए की लगभग 1100 हैक्टेयर जमीन को समतल करने पर 193 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मजेदार बात यह है कि जमीन की कीमत से लगभग तीन गुना राशि उसे समतल करने पर खर्च करने के प्रस्ताव पर पिछले महीने कैबिनेट ने भी अपनी मुहर लगा दी। हैदराबाद की इस कंपनी के प्रस्ताव का किसी ने विरोध नहीं किया। लगभग 6 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को जुलाई 2012 तक पूरा किया जाना है।



सूत्रों के मुताबिक समतलीकरण पर इतनी अधिक राशि खर्च करने पर वित्त विभाग ने कड़ी आपत्ति जताई थी। उसने कुछ सवाल भी उठाए थे। इस पर ऊर्जा विभाग के अफसरों ने पहले तो वित्त विभाग के अफसरों को यह समझाने की कोशिश की कि प्रोजेक्ट के लिए चयनित जमीन ऊबड़-खाबड़ है। इसलिए उसे समतल करने पर ज्यादा खर्च आ रहा है।



वित्त अधिकारियों की आपत्ति थी कि जमीन की खुदाई और भराई क्यूबिक फीट में होती है न कि हैक्टेयर और एकड़ में। इस पर जब ऊर्जा विभाग के अधिकारी निरुत्तर हो गए तो उन्होंने पिछले महीने कैबिनेट के सामने एक प्रस्ताव रखा जिसमें इस पॉवर प्लांट की लागत बढ़ने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी ले ली। शेष x पेज 10




इसके साथ ही जमीन खरीदी के तीन गुना से भी ज्यादा राशि समतलीकरण पर खर्च करने के फैसले पर भी कैबिनेट की मुहर लगवा ली।
सूत्रों ने बताया कि जब कैबिनेट बैठक में ऊर्जा और वित्त विभाग के अफसर उलझने लगे तो एक उच्च अधिकारी के हस्तक्षेप से विवाद का पटाक्षेप हुआ। उन्होंने तर्क दिया कि प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिगृहित करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इसे विवाद न बनाएं।



प्रश्न और तर्क
जब वित्त विभाग के अफसरों ने प्रoA किया कि ऐसी जमीन चुनी क्यों गई? इस पर ऊर्जा विभाग के अफसरों ने तर्क दिया कि गढ्डों में कहीं प्लांट की राख भर देंगे तो कहीं पोखर बना लेंगे। जहां प्लांट लगाना है, उसे एक स्तर तक समतल करेंगे।



फ्लैश बैक
ऊर्जा विभाग ने 600 मेगावाट के दो थर्मल पॉवर प्लांट लगाने के लिए 975 हैक्टेयर जमीन अधिगृहित की, जिसकी कीमत लगभग 33 करोड़ 23 लाख रुपए थी। इसी प्रोजेक्ट के लिए लगभग 130 हैक्टेयर राजस्व और वन भूमि अधिगृहित की गई। जिसका मुआवजा लगभग 11 करोड़ 27 लाख रुपए दिया गया। बाकी 45 हैक्टेयर जमीन बाद में अधिगृहित की जाएगी। इस पर 15 करोड़ रुपए से अधिक खर्च आने का अनुमान है। इसमें पुनर्वास और वन्य प्राणियों को सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का खर्च मिलाकर कुल भार 65 करोड़ रुपए आ रहा है। पहाड़ी जमीन पर पॉवर प्लांट लगाने की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम एल एंड टी कंपनी को सौंपा गया था। जिसने समतलीकरण के साथ कुछ निर्माण कार्यो को जोड़कर इसकी अनुमानित लागत 192.41 करोड़ रुपए बताई थी। दो दफे टेंडर बुलाने के बाद दोनों ही बार मेसर्स प्रसाद एंड कंपनी हैदराबाद ठेका हासिल करने में कामयाब रही।