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देश में 29 में से 2 सूचना आयोग पूरी तरह से निष्क्रिय, सतर्क नागरिक संगठन ने तैयार की रिपोर्ट

सतर्क नागरिक संगठन ने 11 अक्टूबर को जारी की प्रेस विज्ञप्ति

कल (12 अक्टूबर,2022) भारत में आरटीआई अधिनियम कार्यान्वयन के 17 साल पूरे हो जाएंगे। कानून में लाखों लोगों को सूचना प्राप्त करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने का अधिकार दिया है। आरटीआई कानून के तहत, सूचना आयोग अंतिम अपीलीय प्राधिकरण हैं। सूचना आयोग केंद्रीय स्तर (केंद्रीय सूचना आयोग–सीआईसी)और राज्यों (राज्य सूचना आयोग) में स्थापित किए गए हैं।

सतर्क नागरिक संगठन ने देश भर में सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर, आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर, एक रिपोर्ट तैयार की है। "भारत में सूचना आयोगों का प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड, 2021–22" के मुख्य निष्कर्ष संलग्न हैं।


रिपोर्ट भारत में सभी 29 आयोगों के प्रदर्शन के बारे में है। रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

 

  • देश में 2 सूचना आयोग पूरी तरह से निष्क्रिय हैं क्योंकि सूचना आयुक्त के पद रिक्त होने के बावजूद किसी भी नए आयुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है–इस समय झारखंड और त्रिपुरा के आयोग पूरी तरह से निष्क्रिय हैं।
  • 4 आयोग वर्तमान में बिना मुख्य सूचना आयुक्त के काम कर रहे हैं – मणिपुर, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के आयोग।
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  • 25 सूचना आयोग द्वारा 1 जुलाई, 2021 और 30 जून,2022 के बीच 2,12,443 अपीलें और शिकायतें दर्ज की गईं। इसी अवधि के दौरान, 27 आयोगों द्वारा 2,27,950 मामलों का निपटारा किया गया।
  • 26 सूचना आयोगों में 30 जून, 2022 को लंबित अपीलों और शिकायतों की संख्या 3,14,323 थी। आयोगों में अपीलें/शिकायतों का बैकलॉग लगातार बढ़ता जा रहा है। 2019 के आकलन में पाया गया था कि 31 मार्च,2019 तक, 26 सूचना आयोगों में कुल 2,18,347 अपील/शिकायतें लंबित थीं और जून, 2022 को 2,86,325.
  • औसत मासिक निपटान दर और कमीशन में लंबित मामलों का उपयोग करते हुए, अपील/शिकायत के निपटारे में लगने वाले समय की गणना की गई। आकलन से पता चलता कि पश्चिम बंगाल सूचना आयोग को एक मामले को निपटाने में अनुमानित 24 साल और तीन महीने लगेंगे!1 जुलाई, 2022 को दर्ज मामले का निस्तारण वर्तमान मासिक दर पर वर्ष 2046 में होगा!ओडिशा और महाराष्ट्र आयोगों में, निपटान के लिए अनुमानित समय पांच वर्ष से अधिक और बिहार में 2 वर्ष से अधिक है। आकलन से पता चलता है कि 12 आयोगों को किसी मामले को निपटाने में 1 साल या उससे अधिक समय लगेगा।
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  • सूचना आयोगों द्वारा लगाई गई पेनल्टी के विश्लेषण से पता चलता है कि आयोगों ने 95% मामलों में पेनल्टी नहीं लगाई जहां पेनल्टी संभावित रूप से लगाई जा सकती थी।
  • आरटीआई अधिनियम की धारा 25 के तहत प्रत्येक आयोग को अधिनियम के कार्यान्वयन पर वार्षिक रिपोर्ट तैयार करनी होती है। 29 में से 20 आयोगों (69%) ने 2020–21 के लिए वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है।

पूरी रिपोर्ट के लिए कृपया यहाँ क्लिक कीजिये.