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20 सितंबर को भारत बंद

नई दिल्ली : डीजल कीमतों में बढोतरी, खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति और सब्सिडीयुक्त घरेलू एलपीजी की संख्या सीमित करने के फैसलों के विरोध में भाजपा और गैर भाजपा विपक्षी दलों सहित सरकार को समर्थन दे रही सपा और जद-एस ने भी 20 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हडताल का आज ऐलान किया.

राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ 20 सितंबर को भारत बंद किया जाएगा. कांग्रेस ने जनता का ध्यान भ्रष्टाचार से हटाने के लिए इस तरह के फैसले किये हैं. हम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हैं. उन्होंने कहा, लगता है कि यह सरकार आत्महत्या करना चाहती है. हमने अन्य राजनीतिक दलों से भी बात की है. सरकार के लिए अच्छा होगा कि वह चुनावों के लिए 2014 तक इंतजार नहीं करे.

उधर संप्रग सरकार पर दबाव बढाने के प्रयास के तहत सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी और जद (एस) वाम दलों, बीजद और तेदेपा के साथ मिलकर खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने और डीजल की कीमतों में वृद्धि के सरकार के फैसले के खिलाफ आगामी गुरुवार को राष्ट्रव्यापी शक्तिशाली प्रदर्शन में शामिल होंगे. संयुक्त वक्तव्य में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और अन्य ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार ने डीजल की कीमतों में वृद्धि, किफायती रसोई गैस की संख्या को सीमित करके, मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार का रास्ता साफ करके और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश की अनुमति देकर लोगों पर एक के बाद एक क्रूर हमला किया है.

संयुक्त वक्तव्य में सरकार के कल के उस फैसले का उल्लेख नहीं किया गया है जिसके तहत उड्डयन और प्रसारण क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति दी गई थी. वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘इन कदमों को रोकने के लिए हम सब एकजुट हों, जिनसे लोगों पर और बोझ पडेगा और उनकी आजीविका छिन जाएगी. हडताल, धरना, प्रदर्शन और गिरफ्तारी देने के कार्यक्रम के जरिए 20 सितंबर को शक्तिशाली प्रदर्शन किया जाए.’’ यादव के अतिरिक्त वक्तव्य पर एच डी देवगौडा (जद-एस), प्रकाश करात (माकपा), एस सुधाकर रेड्डी (भाकपा), नवीन पटनायक (बीजद), चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा), देवव्रत विश्वास (फॉरवर्ड ब्लॉक) और टी जे चंद्रचूडन (आरएसपी) का हस्ताक्षर था. सपा और जद (एस) संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है. वे सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं. उन्होंने इससे पहले मूल्य वृद्धि के मुद्दे पर वाम दलों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को संयुक्त पत्र लिखा था.

वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘उसने (संप्रग) ने डीजल की कीमत पांच रुपये प्रति लीटर बढाकर किसानों पर बोझ डाला है. उसने किफायती गैस सिलिंडर को प्रति परिवार छह पर सीमित कर दिया है और शेष को बाजार दर पर खरीदना पडेगा जो तकरीबन दोगुना ज्यादा है.’’ वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘उसने विदेशी सुपरमार्केट चेनों के लिए बहुब्रांड में खुदरा कारोबार का रास्ता साफ कर दिया है. इसने खुदरा कारोबार में शामिल चार करोड से अधिक लोगों की आजीविका और उपभोक्ताओं को खतरे में डाल दिया है. यह पीएसयू और नवरत्न कंपनियों यथा नालको और ऑयल इंडिया जैसी लाभ में चल रही कंपनियों के शेयर बेच रही है.’’

जनता से इन जन विरोधी कदमों का विरोध करने का आह्वान करते हुए नेताओं ने किसानों, श्रमिकों, महिलाओं, युवकों, ट्रांसपोर्टरों, दुकानदारों, व्यापारियों के संगठनों और सभी देशभक्त नागरिकों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की. इससे पहले राजग और वाम दलों ने 31 मई को पेट्रोल कीमतों में बढोतरी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हडताल की थी हालांकि दोनों ही दलों ने एक ही दिन हडताल करने के बारे में परस्पर किसी तरह का समन्वय होने की बात से साफ इंकार किया था.