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2006 से 2008 में यूपीए के कार्यकाल के बीच बंटे कर्ज ही डूबे : राजन

नई दिल्ली। बैंकों ने जो कर्ज 2006 से 2008 के बीच बांटे, उनमें से ही अधिकतर फंसे कर्ज में तब्दील हो गए। यह जानकारी रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने दी। उन्होंने यह बात फंसे कर्ज यानी नॉन परफॉर्मिंंग असेट (एनपीए) पर अपना पक्ष रखते हुए संसद की आकलन समिति के सामने रखी। उन्होंने इन तीन वर्षों में आवंटित किए गए कर्जों को सबसे बुरा कहा।


गौरतलब है कि तब केंद्र में कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उन्होंने यह भी कहा कि उस सरकार के समय हुआ कोयला घोटाला ही राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं की बड़ी वजह बना। कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने वाली यह बात राजन ने डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली आकलन समिति को बताई।


राजन ने बताया कोयला खदानों के संदिग्ध आवंटन की जांच की आशंका के कारण परियोजना की लागत बढ़ी और वे अटकने लगीं। इससे कर्ज की अदायगी में समस्या हुई। इसके कारण राजकाज से जुड़ी कई समस्याएं पैदा हुईं और एनपीए पर तबकी संप्रग सरकार ही नहीं, बल्कि बाद में राजग सरकार में भी निर्णय लेने में देरी हुई। राजन ने बताया कि उन्होंने बड़े बकाएदारों की सूची पीएमओ को दी थी, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की गई।


राजन का यह बयान पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में भगोड़े नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी के संबंध में काफी अहम है। इन दोनों हीरा कारोबारियों पर करीब 14,000 करोड़ रुपए का चूना लगाने का आरोप है। राजन सितंबर, 2016 तक आरबीआई गवर्नर थे। वह इस पद पर तीन साल रहे। फिलहाल वे शिकागो स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्तीय मामलों के प्रोफेसर हैं।


राजन ने कहा कि एनपीए में तब्दील हुए अधिकतर कर्ज 2006-2008 के बीच में तब दिए गए, जब देश में आर्थिक विकास काफी मजबूत था। बैंकों ने पूर्व में हुए विकास और भविष्य के प्रदर्शन का गलत तरीके से आकलन किया। अपने अनुभव बताते हुए राजन ने कहा कि एक प्रमोटर ने एक बार मुझे बताया कि बैंकों ने चेकबुक लहराते हुए कहा है कि जितनी राशि भरने की इच्छा है, भर लो।


एनपीए की समस्या के रहस्य से पर्दा उठाते हुए राजन ने कहा कि देश के सरकारी बैंक एक टाइम बम पर बैठे हैं। इस बम को निष्क्रिय नहीं किया गया तो इसे फटने से कोई रोक नहीं सकता। राजन के मुताबिक, कर्ज देने के बाद बैंकों ने समय-समय पर कंपनियों द्वारा कर्ज की रकम खर्च किए जाने की सुध नहीं ली, जिसके चलते ज्यादातर कंपनियां कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल करने लगीं। इस तरह जहां बैंकों ने कर्ज बांटने में लापरवाही बरती, वहीं ऐसे लोगों को कर्ज देने का काम किया जिनका नहीं लौटाने का इतिहास रहा है। यह बैंकों की बड़ी गलती थी और देश में बुरे तरीके से कर्ज देने की शुरुआत थी।


केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर के बयान पर कांग्रेस को घेरा है। उन्होंने कहा, "राजन के बयान से साबित हो गया है कि कांग्रेस ही बढ़ते एनपीए के लिए जिम्मेदार है।" उन्होंने राजन की रिपोर्ट को कांग्रेस के भ्रष्टाचार का खुला एलान बताया है। ईरानी ने कहा कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी एक ऐसी सरकार का नेतृत्व कर रही थीं, जिसने भारतीय बैंकिंग प्रणाली के सबसे अहम हिस्से पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि रघुराम राजन ने खुद बताया है कि वर्ष 2006-08 के बीच भारतीय बैंकिंग ढांचे में एनपीए बढ़ाने का काम संप्रग सरकार ने किया है।