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2011 से 2017 के बीच हुए कुछ बड़े बैंक घोटाले

देश के राष्ट्रीयकृत बैंकों में उद्योग लगाने या कारोबार के लिए कर्ज लेकर पचा डालने की परिपाटी बीते पांच साल में तेजी से बढ़ी है। पिछले वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा रकम लेकर लोगों ने नहीं चुकाई और कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल समेत कई जगह इस मामले में मुकदमे भी दायर किए गए हैं। अधिकांश मुकदमे कंपनी की दयनीय हालत के मद्देनजर कर्ज माफी या दिवालिया घोषित करने को लेकर हैं। तय नियमों के अनुसार, हर वित्त वर्ष के आखिर में तमाम बैंक अपनी रिपोर्ट केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक भेजते रहे। घोटालों की दास्तान फाइलों में दफन होती रही है।


ऐसे घोटालों का आंकड़ा अकेले पांच साल में 61 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुका है। 2016-17 के बाद के आंकड़े जुटाए जाने बाकी हैं। ये आंकड़े सामने आने पर कारोबारियों द्वारा कर्ज धोखाधड़ी चौंकाने वाली संख्या पर पहुंच सकती है। बैंक अधिकारियों का संगठन आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन इन आंकड़ों के आधार पर यह मांग कर रहा है कि कारोबारी कर्ज के मामले में बैंकों के साथ ही रिजर्व बैंक की भूमिका की भी जांच की जाए। बैंकों ने रिजर्व बैंक को जो जानकारियां भेजी हैं, उसके अनुसार रकम का आंकड़ा 61,260 करोड़ रुपए बैठता है। इसमें से सिर्फ 8670 करोड़ रुपए के गबन के मामलों में ही बैंकों ने जांच एजंसियों का दरवाजा खटाखटाया है।


बैंकिंग क्षेत्र के पेशेवर मान रहे हैं कि सटीक जांच की जाए तो नीरव मोदी घोटाला तो समुद्र की एक बूंद साबित होगा। 14 फरवरी को पंजाब नेशनल बैंक के जरिए साखपत्रों का इस्तेमाल तक नीरव मोदी और उनके साझेदार मेहुल चौकसी की कंपनियों के द्वारा कम से कम 11,400 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा सामने आया है। आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव थॉमस फ्रैंको के अनुसार, रिजर्व बैंक के आंकड़ों से स्पष्ट है कि रसूखदार उद्योगपतियों और कारोबारियों ने सधे तरीके से घोटालों को अंजाम दिया।


देश के 21 राष्ट्रीयकृत बैंकों में से 20 बैंकों के 2012-13 से लेकर 2016-17 के आंकड़े हासिल हुए हैं। बैंकों ने अपनी रिपोर्ट में ‘कर्ज घोटाला' शब्द का प्रयोग किया है। ‘कर्ज घोटाला' शब्द का आशय यह है कि कर्ज लेने वाले ने जानबूझकर बैंक को धोखे में रखा, फर्जी कागजात जमा कराए और कर्ज का भुगतान नहीं किया। इन आंकड़ों में एक लाख रुपए या उससे अधिक के कर्ज के मामले ही दर्शाए गए हैं। बैंक घोटाले हाल के वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2012-13 में 6357 करोड़ रुपए के कुल घोटालों की जानकारी रिजर्व बैंक तक पहुंची थी। वहीं, 2016-17 में यह आंकड़ा बढ़कर 17,634 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इन आंकड़ों में पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले का आंकड़ा शामिल नहीं है। रिजर्व बैंक ने बैंकों की शिकायतों पर क्या कदम उठाए, इस बात की जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन जून 2017 की अपनी वित्तीय रिपोर्ट में आरबीआई ने बैंक घोटालों में तेजी से बढ़ता हुआ खतरा बताया था। रिजर्व बैंक के मुताबिक, नकदी के प्रवाह और नकदी के मुनाफे, फंड के स्थानांतरण, दोहरे वित्तीयकरण और ऋण पर निगरानी में चूक होती रही है।


घोटालों में कौन आगे

बीते पांच वर्षों में पंजाब नेशनल बैंक को सबसे ज्यादा घपलेबाजी का शिकार होना पड़ा। कुल 389 मामले सामने आए हैं, जिनमें 6562 करोड़ रुपए की रकम शामिल है। पंजाब नेशनल बैंक के बाद बैंक आॅफ बड़ौदा का नंबर आता है, जहां 4473 करोड़ रुपए के 389 मामले सामने आए हैं। इसी तरह बैंक आॅफ इंडिया में 4050 करोड़ के 231 मामले सामने आए हैं। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया में 1069 मामले सामने आए हैं, लेकिन रकम का खुलासा नहीं हुआ है।