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2600 करोड़ की ब्याजमाफी में किसानों की रुचि नहीं, सिर्फ 75 हजार ने भरी पहली किस्त

वैभव श्रीधर, भोपाल। नौकरीशाही के तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्ज के बोझ से दबे किसानों को मुख्यधारा में लाने के लिए 2600 करोड़ रुपए की ब्याज माफी जैसा बड़ा कदम उठाया। उम्मीद थी कि किसान ब्याज की इस भारी-भरकम राशि से छुटकारा पाने के लिए योजना को हाथों-हाथ लेंगे और सहकारी समितियों में आवेदनकर्ताओं की भीड़ लगेगी पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

17 लाख 78 हजार में से सिर्फ 75 हजार किसानों ने ही मूल कर्ज की एक किस्त जमा की यानी लगभग पांच फीसदी। अब सवाल यह उठ रहा है कि किसानों के खातों में तीस हजार करोड़ रुपए पहुंचने के बाद भी वे ब्याज माफी के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे हैें।

सूत्रों के मुताबिक चुनावी साल में सरकार ने कर्ज माफी को लेकर उठ रहे सवालों को काउंटर करने के लिए ब्याज माफी का पांसा फेंका था। उम्मीद थी कि किसान इसे हाथों-हाथ लेंगे, क्योंकि एक किस्त जमा करने से न सिर्फ ब्याज माफी मिल जाती, बल्कि दोबारा शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज लेने की पात्रता भी मिल जाती।

देखा जाए तो यह घाटे का सौदा कतई नहीं था पर योजना वैसी परवान नहीं चढ़ पाई, जिसका अनुमान लगाया जा रहा था। ऐसा भी नहीं है कि किसानों के पास पैसे नहीं हैं। सरकार का दावा विभिन्न् योजनाओं के जरिए किसानों के खातों में बीते एक साल में 30 हजार करोड़ रुपए पहुंचाने का है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि साढ़े पांच लाख किसान सहकारी समितियों में इस बात की सहमति दे चुके हैं कि वे योजना से जुड़ेंगे। लगभग 75 हजार किसान एक किस्त (लगभग 134 करोड़ रुपए) भी जमा कर चुके हैं।

एकमुश्त समझौते जैसे न हो हश्र

सूत्रों का कहना है कि ऋण समाधान योजना का हश्र भी एकमुश्त समझौता योजना जैसे होने के आसार बन रहे हैं। राज्य व जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के 1 लाख 8 हजार किसानों को डिफॉल्टर की श्रेणी से बाहर निकालने के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू की गई थी। इसमें भी किसानों को लगभग 13 सौ करोड़ रुपए की ब्याज माफी मिलती। 90 हजार किसानों ने योजना में शामिल होने के लिए लिखित में सहमति दी पर 15 हजार ने ही मूलधन जमा किया। योजना की अंतिम तिथि भी दो बार बढ़ाई पर नतीजा सिफर ही रहा।

भारी न पड़ जाए कर्जमाफी की घोषणा

सहकारिता विभाग के अधिकारियों को यह डर सता रहा है कि ब्याजमाफी पर कांग्रेस की कर्जमाफी की घोषणा कहीं भारी न पड़ जाए। दरअसल, केंद्र सरकार ने जब कर्जमाफी और राहत योजना की घोषणा की थी, तब दायरे में न आने वाले किसानों ने भी कर्ज की अदायगी बंद कर दी थी। इसकी वजह से प्रदेश का राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक डूब गया। इसे बंद करना पड़ा।

31 जुलाई तक बढ़ेगी मियाद

सूत्रों का कहना है कि योजना की स्थिति को देखते हुए सरकार ने इसकी अंतिम समयसीमा 15 जून से बढ़ाकर 31 जुलाई करने का फैसला किया है। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने बताया कि किसानों के खातों में पहुंच रहे हैं। कुछ दिनों में स्थितियां बदल जाएंगी, इसलिए ऋण समाधान योजना की मियाद 31 जुलाई तक बढ़ाई जा रही है। यह पहली योजना है, जिसमें एक किस्त जमा करते ही किसानों को फिर से कर्ज लेने की पात्रता मिल जाएगी।