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28 लाख घरों की मांग के साथ आठ प्रमुख शहरों की रहेगी २३ फीसदी हिस्सेदारी

बढ़ेगा मांग-आपूर्ति का अंतर - वर्तमान नियामकीय, आर्थिक और राजनीतिक हालातों के चलते अगले पांच सालों के दौरान मांग की तुलना में घरों की आपूर्ति में व्यापक अंतर देखने को मिल सकता है। आठ प्रमुख शहरों में यह अंतर ४५ फीसदी तक होने का अनुमान है।

जहां एक ओर आने वाले पांच सालों के दौरान देश में आशियाने की जोरदार मांग देखने को मिलेगी वहीं दूसरी ओर संकेत है कि तमाम नियामकीय और आर्थिक मुद्दों के चलते इनकी आपूर्ति में अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड के अनुसार आने वाले पांच सालों के दौरान देश के आठ बड़े शहरों में ही २८ लाख घरों की मांग होगी। हालांकि इस दौरान आपूर्ति पक्ष कमजोर रहने की आशंका है।

सीएंडडब्ल्यू के बयान के अनुसार, २०१३-१७ के दौरान देश भर में कुल १.२ करोड़ घरों की मांग होगी। यह अनुमान भारत में जनसंख्या के विकास के आधार पर लगाया गया है। कुल मांग में से २३ फीसदी हिस्सेदारी देश के प्रमुख आठ शहरों की होगी। ये प्रमुख शहर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरु, पुणे और अहमदाबाद हैं।

सीएंडडब्ल्यू ने कहा,'प्रमुख आठ शहरों की कुल मांग में मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) और उच्च आय वर्ग (एचआईजी) की सर्वाधिक हिस्सेदारी होगी। इन वर्गों में कुल २५ लाख घरों की मांग होगी।' इन मुख्य आर्थिक शहरों में आय का स्तर सुधरने के कारण प्रमुख आठ शहरों में इस अवधि के दौरान निम्न आय वर्ग में कुल महज ३,००,००० घरों की मांग होगी।

वहीं इस दौरान प्रमुख आठ शहरों में एचआईजी और एमआईजी सेगमेंट में आपूर्ति और मांग का अंतर करीब ४५ फीसदी होने का अनुमान है। २०१३-१७ के दौरान प्रमुख आठ शहरों में एमआईजी और एचआईजी सेगमेंट में कुल १४ लाख घरों की आपूर्ति होने का अनुमान है। इनमें से १० लाख आपूर्ति एमआईजी सेगमेंट में जबकि ४ लाख घर एचआईजी सेगमेंट में होंगे।

सीएंडडब्ल्यू के कार्यकारी प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) संजय दत्त ने कहा,'नई मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढऩे की आशंका है क्योंकि वर्तमान आर्थिक, नियामकीय और राजनीतिक परिदृश्य में आपूर्ति में गिरावट देखन को मिलेगी।'

हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भविष्य में कुछ मांग को वर्तमान में खाली पड़े स्टॉक से पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा,'जहां एक ओर घरों की मांग में वृद्धि बढ़ती आबादी के अनुपात में बढ़ेगी वहीं आपूर्ति मीडियम टर्म में उतनी तेज रहने की संभावना नहीं है।

' उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण बिल और रियल एस्टेट नियामक बिल जैसे नए विधेयकों से आपूर्ति में कमी आने की आशंका है। अगले पांच सालों के दौरान एनसीआर में एचआईजी और एमआईजी में मांग और आपूर्ति क्रमश: ७,७७,९१७ घरों के मुकाबले ६,०६,२७४ घरों की रहेगी।