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30 फीसदी सीटें नहीं भरने वाले इंजीनियिंरंग कॉलेजों पर चलेगी कैंची

रायपुर। इंजीनियरिंग कोर्सेस में लगातार टूटते तिलिस्म से अब ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने भी सीटों की कटौती करने का निर्णय लिया है। जिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में पिछले पांच साल के भीतर 30 फीसदी सीटें नहीं भरी हैं, उन्हें इस साल फिलहाल बंद नहीं किया जाएगा।

 

सत्र 2018-19 में इन कॉलेजों की सीटें आधी कर दी जाएंगी। राज्य के स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (सीएसवीटीयू) के अकिारियों का कहना है कि सीटें कम होने से कॉलेजों का वर्चस्व बना रहेगा। राज्य में 30 फीसदी सीटें नहीं भर पाने वाले 4 से 5 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिन पर खतरा मंडराने लगा है।

 

गौरतलब है कि एआईसीटीई ने देशभर के 800 इंजीनियरिंग कॉलेजों को सीटें नहीं भर पाने के कारण बंद करने का फैसला लिया था। इनमें छत्तीसगढ़ के भी कॉलेज प्रभावित हो रहे हैं।

 

बदलेगा प्रवेश नियम

इस साल इंजीनियरिंग कॉलेजों का प्रवेश नियम भी बदलेगा। एआईसीटीई ने नई पॉलिसी के तहत वेबसाइट पर हैंडबुक प्रोसेसिंग जारी कर दी है। इसमें नए नियमों को देखकर छत्तीसगढ़ में भी इंजीनियरिंग के डिग्री, पॉलिटेक्निक के डिप्लोमा, पीजी कोर्सेस आदि के नियमों को संशोधित किया जाएगा।

 

छत्तीसगढ़ में विभिन्न् कोर्सेस के लिए इतनी सीट

एआईसीटीई ने राज्य में इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक के लिए 72 डिप्लोमा, 60 अंडर ग्रेजुएट, 45 पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम को मान्यता दे रखी है। इनमें डिप्लोमा के लिए 12386, अंडर ग्रेजुएट के लिए 23982, पीजी के लिए 4898 सीटें अप्रूव्ड हैं। कुल अप्रूव्ड सीटों में 41266 है। इसके लिए 119 इंस्टिट्यूट संचालित हैं।

 

लगातार सीटें हो रहीं खाली

प्रदेश में इंजीनियरिंग के 47 कॉलेज हैं। इनमें 17426 सीटें हैं। इस साल 11838 सीटें खाली रह गईं थी। राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेज के हालात बेहद खराब हैं। तीन काउंसिलिंग के बाद जारी प्रवेश सूची के अनुसार 47 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 17 हजार 426 सीटों में से मात्र 35 फीसदी सीटें भर पाई हैं। ऐसे में प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज संचालकों की आफत आ गई है। कुछ कॉलेजों में तो प्रवेश भी शुरू नहीं हो पाया था।

 

इनका कहना है

एआईसीटीई की ओर से सीटें निर्धारित की जाती हैं। वे कॉलेज बंद भले न करें, लेकिन 30 फीसदी से कम वाले कॉलेजों में यदि सीटें कम की जाती हैं तो प्रदेश के कई कॉलेज निश्चित रूप से प्रभावित होंगे।

 -डॉ. एमके वर्मा, कुलपति, सीएसवीटीयू