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405 करोड़ का धान लिया, नहीं दिया चावल

पटना: राइस मिल मालिकों ने राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) को 405 करोड़ से अधिक राशि के धान से चावल तैयार कर नहीं लौटाया है.  2011-12 में किसानों से धान खरीद कर 1091 मिल मालिकों को चावल तैयार करने के लिए दिया गया था. इन्हें 100 क्विंटल धान के बदले 67 क्विंटल चावल (67 प्रतिशत) तैयार कर देना था. मिल मालिकों ने धान तो ले लिया, लेकिन 28 लाख 42 हजार 355 क्विंटल धान गबन कर दिया, जिसकी कीमत 405 करोड़ से अधिक होती है. इससे मिलनेवाले चावल से राज्य के लगभग एक करोड़ 33 लाख बीपीएल परिवारों को 15 किलो की दर से एक माह का चावल पीडीएस से दिया जा सकता था.


इस गबन में सरकारी कर्मियों ने भी मिल मालिकों की सहायता की. अब आनन-फानन में सरकार ने 241 मिल मालिकों पर प्राथमिकी और सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया है. अस्तित्व में मिल नहीं रहने के बाद भी कई जगहों पर मिल मालिकों ने फर्जी तरीके से एसएफसी से कुटाई के लिए धान ले लिया. भोजपुर में दो सरकारी कर्मियों को इस मामले में निलंबित किया गया है. मधुबनी और शेखपुरा में दो मिल मालिकों को गिरफ्तार भी किया गया है. कटिहार में 11, किशनगंज में चार, सहरसा में दो, औरंगाबाद में एक, भोजपुर और नालंदा में तीन-तीन सरकारी कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

कैसे दिया गया धान
जानकारी के मुताबिक, जिला प्रशासन की अनुशंसा पर एसएफसी ने मिल मालिकों को धान दिया. एसएफसी को धान का 67 प्रतिशत चावल लौटाना था. यह चावल एफसीआइ के माध्यम से पीडीएस में जाना था. एसएफसी ने जिला प्रशासन की अनुशंसा पर बिना जांच के ही मिल मालिकों को धान दे दिया. धान कुटाई के लिए मिल मालिकों प्रति क्विंटल 10 रुपये अतिरिक्त राशि भी दी गयी.

2011-12 में राज्य में पैक्सों और एसएफसी के माध्यम से 21.96 लाख टन धान 1150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया था. पटना में मुख्य सचिव और खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रधान सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से जिलों में अधिकारियों को राइस मिल मालिकों को धान कुटाई के लिए तुरंत उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.