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43 डिग्री तापमान से लड़कर स्कूल जा रहे बच्चे, डीहाइट्रेशन के हो रहे शिकार

रायपुर। सूरज आग उगल रहा है। पारा रिकॉर्ड तोड़ रहा है। सड़कों पर दोपहर को सन्नाटा पसर जाता है। तभी होती है स्कूल की सुबह वाली पारी की छुट्टी और लगनी शुरू होती है दूसरी पारी। बच्चों को तपती, चिलचिलाती धूप में स्कूल से घर आना पड़ता है, तो दूसरी पारी में लगने वाली कक्षाओं के लिए स्कूल जाना पड़ता है। बच्चे इस गर्मी को सहन नहीं कर पा रहे हैं। वे गर्मी से लड़ नहीं पा रहे हैं। बच्चे डिडाइड्रेशन के शिकार हो रहे हैं, लेकिन सरकार है कि इस तापमान को इतना नहीं मान रही कि स्कूल को बंद करवा दे, जबकि स्कूल बंद करने की मांग उठ रही है।

'नईदुनिया' ने शिशुरोग विशेषज्ञों से बात की। उन्होंने बताया कि इस तापमान में जब बड़े खुद के शरीर को नियंत्रित नहीं रख पाते तो फिर ये तो बच्चे हैं। इतने तापमान में जरा सी चूक से शरीर की तापमान नियंत्रण व्यवस्था फेल हो जाती है, जिसका खमियाजा बीमार होकर भुगतना पड़ता है। अधिक पसीना आने से शरीर में सोडियम क्लोराइड, बाई कार्बोनेट की मात्रा घट जाती है।

पसीने से शरीर में मौजूद अन्य इलेक्ट्रोराइड्स की क्षति हो जाती है। इन सब बातों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। सरकार एक अप्रैल से 15 मई तक छुट्टियां देंगी, लेकिन प्रदेश में 42 से 45 डिग्री तक तापमान है, ऐसी स्थिति में क्या 15दिन पहले छुट्टी देना मुश्किल है, जब बात बच्चों के स्वास्थ्य की है? सरकार को इस बारे में सोचने की जरूरत है।

ये है स्कूल की टाइमिंग-

पहली पारी- सुबह 7.30 बजे से सुबह 11.30 बजे तक

दूसरी पारी- सुबह 12.30 बजे से शाम 04.30 बजे तक

माता-पिता, अभिभावक रखें इन बातों का ख्याल-

बच्चों को घर स्कूल भेजें तो उनके शरीर के प्रत्येक हिस्से को कवर रखें। मुंह में स्कार्फ बांध दें, ताकि मुंह-नाक से गर्म हवा अंदर प्रवेश न करे। पूरे बाहों के कपड़े पहनाएं। स्कूल भेजते वक्त हल्का भोजन दें, कोशिश करें तरल पदार्थ दें। साफ-स्वच्छ पानी अवश्य दें, क्योंकि गंदे पानी से डायरिया और हेपेटाइटिस का खतरा हो सकता है।

ऐसे पहचाने लक्षण-

सिर में भारीपन, दर्द होना। तेज बुखार के साथ मुंह सूखना। चक्कर, उल्टी आना। कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना। शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीना न आना। अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना। बेहोश होना। भूख कम लगना।

विशेषज्ञों की अपील- बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं, तरल पदार्थ दें जैसे फलों का जूस। जरुरत न हो तो धूप में न निकलने दें। घर में खेल में व्यस्त रखें।

क्या कहना है विशेषज्ञों का-

गर्म वायु नाक के रास्ते शरीर में पहुंचने से रक्त धमनियां फूल जाती हैं। रक्त का संचार एकाएक बढ़ जाता है। बच्चे वातावरण के अनुकूल खुद को ढाल नहीं पाते और बाहर का तापमान और शरीर के अंदर का तापमान एक जैसा हो जाता है, जिससे बच्चे हाइपर-पाइरिया के शिकार हो जाते हैं। - डॉ. सुभाष पांडे, शिशुरोग विशेषज्ञ

बच्चे डीहाइड्रेशन के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा। पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो जा रही है, जिसे नजर अंदाज करना खतरनाक है। तापमान बढ़ है तो बुखार के मरीज भी बढ़े हैं। इसलिए ऐसे में माता-पिता, शिक्षक की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। - डॉ. अशोक भट्टर, शिशुरोग विशेषज्ञ