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निजी क्षेत्र के समर्थन के दावे को पूरा करने के लिए मोदी सरकार को इन 5 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा

-द प्रिंट,

सरकार की आर्थिक रणनीति में बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र पर भरोसा जताया है. बुधवार को सरकार ने दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए एक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरू की, जिसमें 13 सेक्टर शामिल हैं और माना जा रहा है कि इससे वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र भारत की ओरआकर्षित हो सकेगा. यह विशेष रूप से आयात पर उच्च निर्भरता वाले श्रम-प्रधान क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने वाले आत्मनिर्भर भारत पैकेज का हिस्सा है.

किसी भी नीति में निजी क्षेत्र के विकास को प्रभावित करने वाला सबसे अहम तत्व नीतिगत परिवेश का होता है. निजी उद्यमी मुख्यतया विनियामक ढांचे, पर्यावरण नियमों, कर व्यवस्था, पूंजी नियंत्रण आदि के आधार पर निवेश का निर्णय लेते हैं. यदि इनमें बारंबार बदलाव किया जाता हो, या उससे भी बदतर यदि ऐसा भूतलक्षी प्रभाव से किया जाता हो, तो निजी क्षेत्र के फलने-फूलने और सरकार की उम्मीदों को पूरा करने की क्षमता धराशाई हो जाएगी. सरकार को एक स्थिर और निश्चित नीतिगत परिवेश की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी.

लेकिन क्या प्राइवेट सेक्टर उससे लगाई जा रही उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा? इसका जवाब उन पांच अहम क्षेत्रों में निहित है, जहां ये ज़रूरी है कि सरकार की नीतियां निजी उद्यमों के अनुकूल हो ताकि घरेलू और विदेशी दोनों ही वर्ग की कंपनियों के उत्पादन में सुधार के वास्ते सही परिवेश का निर्माण हो सके.

1. सरलीकृत कर व्यवस्था
एक स्थिर, निश्चित और सरलीकृत कर व्यवस्था भारत में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने में मददगार होती है. दूसरी ओर जटिल कर व्यवस्था ईमानदार करदाताओं के लिए नियमों का अनुपालन मुश्किल बनाने और करवंचकों की राह आसान करने का काम करती है. कर प्रोत्साहनों, उपकरों और अधिभारों की संख्या को कम करने तथा कम टैक्स स्लैब वाली सरलीकृत कर व्यवस्था की दिशा में कदम उठाने से न केवल कारोबारी माहौल में सुधार होगा बल्कि राजस्व में भी वृद्धि होगी.

इस बार के बजट में कर प्रावधानों का अनुपालन आसान बनाने वाले उपायों की घोषणा की गई है, जैसे छोटे व्यवसायों के लिए टैक्स ऑडिट की सीमा बढ़ाना और स्टार्टअप कंपनियों को कर राहत देना. बाजार ने टैक्स दरों को ‘अपरिवर्तित’ रखे जाने का खुलकर स्वागत किया है. निजी क्षेत्र के लिए कारोबारी माहौल को और बेहतर बनाने के लिए, आगे एक सरलीकृत और छूट-रहित कर व्यवस्था हेतु रोडमैप तैयार करने की ज़रूरत होगी.

2. अनुबंधों को लागू कराना
किसी भी अर्थव्यवस्था में निजी उद्यमी और व्यवसाय सुचारू रूप से कार्य करें इसके लिए अनुबंधों का प्रवर्तन और विवादों का समयबद्ध निपटारा अनिवार्य है. हालांकि भारत ने कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अनुबंधों के प्रवर्तन के क्षेत्र में यह अभी भी पिछड़ रहा है. यह भारत के न्यायिक तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है. व्यावसायिक विवाद के समाधान की प्रक्रिया धीमी है. अदालती कामकाज को सुव्यवस्थित करने, नवीनतम केस मैनेजमेंट प्रथाओं एवं तकनीकी साधनों को अपनाने तथा न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण से वाणिज्यिक विवादों के अधिक समयबद्ध निस्तारण और अनुबंधों के प्रवर्तन में मदद मिल सकती है.

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