Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/50-हजार-परिवारों-की-रोजी-छीन-लेगा-सरदार-सरोवर-7022.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | 50 हजार परिवारों की रोजी छीन लेगा सरदार सरोवर | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

50 हजार परिवारों की रोजी छीन लेगा सरदार सरोवर

नर्मदा घाटी से जितेंद्र यादव। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के केंद्र सरकार और नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी (एनसीए) के फैसले ने मप्र में नर्मदा घाटी के 193 गांवों को डूब से पहले चिंता और दहशत में डुबो दिया है। घाटी के लगभग 50 हजार परिवारों के रोजगार पर संकट के बादल छा गए हैं। बांध की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला दिल्ली और गुजरात से होकर आया है, लेकिन इसका असर घाटी के हर प्रभावित गांव में नजर आ रहा है। डूब प्रभावितों के जेहन में हरसूद की त्रासदी रह-रहकर उभर रही है।

वैसे तो घोषित तौर पर मध्यप्रदेश के 193 गांव डूब में आ रहे हैं, लेकिन खंडवा के हरसूद कस्बे की तरह ही धार जिले का निसरपुर भी अगला हरसूद बनने की कगार पर है। इस डूब में बड़वानी, धार, आलीराजपुर और खरगोन जिले के लगभग 3200 मछुआ परिवारों की रोजी-रोटी भी छिन जाएगी जो नर्मदा पर निर्भर हैं।

लगभग 10 हजार की आबादी वाला निसरपुर कस्बा बांध के कारण नर्मदा की सहायक नदियों उरी व बाघनी के बैक वॉटर में डूब जाएगा। इसके साथ ही आसपास के लगभग 50 गांवों का यह बाजार भी उजड़ जाएगा और उजड़ जाएंगे वे छोटे-छोटे रोजगार-धंधे, जिससे कई परिवारों की रोजी-रोटी चल रही है।

निसरपुर की विधवा मुक्तिबाई कुमरावत और उनकी जेठानी उषाबाई की चूड़ी की वह दुकान भी उजड़ जाएगी, जो महिलाओं के लिए सुहाग का प्रतीक है। दोनों महिलाओं की चिंता यही है कि निसरपुर डूबा तो उस उजाड़ पुनर्वास स्थल पर जाना पड़ेगा, जहां न तो पूरे इंतजाम हैं और न ही रोजगार। यही चिंता किराना व्यवसायी अभिनंदन जैन की भी है। गांव के लगभग 200 कुम्हार परिवारों और 125 मछुआरों की रोजी भी इसी त्रासदी में कहीं गुम हो जाएगी।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मुकेश भगोरिया ने बताया कि बांध की ऊंचाई बढ़ाने के सरकार के फैसले से नर्मदा घाटी के डूब प्रभावितों में दहशत का माहौल है। साथ ही सरकार के प्रति आक्रोश भी है। बिना पुनर्वास लोगों को डुबोना गैरकानूनी है। अधूरी पुनर्बसाहटों पर रहने लोग कैसे जाएंगे?

ये गांव भी होंगे जलमग्न

बांध की डूब में छोटा बड़दा, बगूद, आंवली, पीपरी, धनोरा, खेड़ी, उटावद, अवल्दा, मोरकट्टा, बिजासन, भवती, सोंदूल, जांगरवा, पिछोड़ी, पेंड्रा, नंदगांव, बोरखेड़ी जैसे सहित बड़वानी जिले के लगभग 45 गांव भी जलमग्न हो जाएंगे। धार जिले के चिखल्दा, कड़माल, खापरखेड़ा, कोठड़ा, करोंदिया, गेहलगांव, रसवां, रेट्टी, भंवरिया जैसे लगभग 100 गांव की आबादी और उनकी जमीन भी डूब जाएगी।

डूबेंगे तो जाएंगे कहां?

बांध की ऊंचाई बढ़ी तो प्रदेश के उन हजारों परिवारों के सामने बड़ा संकट यह भी है कि डूबने के बाद वे जाएंगे कहां, क्योंकि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने पुनर्वास के नाम पर बड़ा छल किया है। कई पुनर्वास स्थलों पर पानी, बिजली और सड़क के पूरे इंतजाम नहीं हैं। निसरपुर में पान दुकान चलाने वाले अनूप भावसार कहते हैं कि 12 साल पहले मकान का मुआवजा तो मिला था, लेकिन नया मकान नहीं बना पाए।

पुनर्वास स्थल बाद में बना। अब चिंता यह है कि पुराना घर डूबेगा तो जाएंगे कहां? नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े खापरखेड़ा के देवराम कनेरा बताते हैं कि 2001 में एनवीडीए के अफसर गांव में सर्वे के लिए आए तो हमने सवाल किया कि जमीन के बदले हमें कहां जमीन दी जा रही है? कहां बसाया जाएगा? ऐसे बुनियादी सवालांे पर हमें बांध विरोधी करार दिया जाता है।

इतनी जल्दी क्या होगा...

सरकार इतने सालों में पुनर्वास नहीं कर पाई तो इतनी जल्दी क्या कर लेगी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को विस्थापन का जो एक्शन प्लान सबमिट किया है, उसी पर अमल नहीं कर रही। किसानों को फर्जी रजिस्ट्रियां करने वाले राजस्व और एनवीडीए के अफसर अब तक कुक्षी में जमे हैं। सरकार उनका तबादला तक नहीं कर पाई। इन सबकी जांच होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार के पास भी इच्छाशक्ति ही नहीं है। डूबने वालों को सरकार ने कोई वैकल्पिक आजीविका भी नहीं दी है। - मेधा पाटकर, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता