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51 प्रतिशत एफडीआई को हरी झंडी

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को मल्टी ब्रैंड रीटेल में एफडीआई को मंजूरी दे दी है.सरकार ने यह कहा है कि यह राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वे इसको लागू करने के लिए मॉडलिटीज पर कैसे काम करती हैं.

सरकार ने बहुब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दी है. विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी की अनुमति दी है वहीं प्रसारण सेवा उद्योग की विभिन्न गतिविधियों में विदेशी कंपनियों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की अनुमति है.

मल्टी रिटेल ब्रांड में विदेशी निवेश को लेकर सरकार को विपक्ष के साथ साथ सहयोगी दलों के भी विरोध का सामना करना पड़ेगा. एनडीए और वामपंथी दल पहले ही इसको लेकर अपना विरोध जता चुके हैं. एनडीए ने विरोध स्वरूप देश भर में बंद कर चुकी है. तृणमूल कांग्रेस ने भी मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई का विरोध किया था. इसके चलते सरकार को फैसले को टालना पड़ा था. टीएमसी ने सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. टीएमसी का साफ तौर पर कहना है कि सरकार अगर फैसला वापस नहीं लेती है तो टीएमसी सरकार के विरूद्ध कड़ा फैसला लेगी. मंगलवार को टीएमसी ने संसदीय दल की बैठक की घोषणा की है. -भारतीय एयरलाइंनों में अब 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ले सकती हैं विदेशी एयरलाइंने-

विदेशी विमानन कंपनियां अब भारत की नागर विमानन सेवा कंपनियों में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी ले सकती हैं. इससे नकदी के संकट से जूझ रहे विमानन कंपनियों को जबरदस्त प्रोत्साहन मिलने की संभावना है. विमानन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय की उम्मीद में आज बंबई शेयर बाजार में किंगफिशर का शेयर 7.88 प्रतिशत, स्पाइसजेट का शेयर 4.39 प्रतिशत और जेट एयरवेज का शेयर 1.97 प्रतिशत की बढत लेकर बंद हुआ.

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विदेशी एयरलाइंस को घरेलू एयरलाइंस में हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी. बैठक के बाद नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ मंत्रिमंडल ने विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन कंपनियों में 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने का प्रस्ताव आज मंजूर कर लिया.’’

वर्तमान एफडीआई नियमों के तहत गैर-विमानन क्षेत्र के विदेशी निवेशकों को भारतीय विमानन कंपनियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से 49 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति है, लेकिन विदेशी एयरलाइंस को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी लेने की अनुमति नहीं थी. उल्लेखनीय है कि विमान ईंधन पर अत्यधिक कर, बढते हवाईअड्डा शुल्क, महंगे ऋण, खराब ढांचागत सुविधाओं और गलाकाट प्रतिस्पर्धा के चलते ज्यादातर भारतीय विमानन कंपनियां घाटे में चल रही हैं. इंडिगो को छोडकर सभी विमानन कंपनियों को बीते वित्त वर्ष में घाटा हुआ.

-चार सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश को हरी झंडी-    

सरकार ने आज सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों-हिंदुस्तान कॉपर, आयल इंडिया, एमएमटीसी तथा नाल्को में विनिवेश को मंजूरी दे दी है. इससे सरकार को 15,000 करोड रुपये जुटाने में मदद मिलेगी. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की आज हुई बैठक में हालांकि नेवेली लिग्नाइट के शेयरों की बिक्री पर कोई फैसला नहीं हुआ. नेवेली का मामला भी एजेंडा में था. सूत्रों ने बताया कि सरकार ने आयल इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री तथा हिंदुस्तान कॉपर लि. में 9.59 प्रतिशत विनिवेश को मंजूरी दी है.

इसके अलावा नाल्को की 12.15 प्रतिशत तथा एमएमटीसी की 9.33 फीसद हिस्सेदारी बिक्री की मंजूरी कंपनी की ओर से बिक्री का प्रस्ताव (ओएफएस) के जरिए करने के प्रस्ताव को मंजूर किया गया है. सूत्रों ने बताया कि नेवेली लिग्नाइट के 5 प्रतिशत विनिवेश पर सीसीईए ने विचार नहीं किया. वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले महीने अधिकारियों से विनिवेश की प्रक्रिया तेज करने को कहा था जिससे सरकार को चालू वित्त वर्ष के लिए 30,000 करोड रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिले. चालू वित्त वर्ष के पांच माह बीतने के बावजूद सरकार अभी तक एक भी सार्वजनिक निर्गम नहीं ला पाई है.

राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए विनिवेश के जरिये धन जुटाना काफी  जरुरी है. खाद्य, ईंधन और उर्वरक सब्सिडी बिल की वजह से इस पर दबाव पड रहा है. शेयर बाजार में खराब हालात की वजह से सरकार ने इससे पहले राष्ट्रीय इस्पात निगम (आरआईएनएल) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) टाल दिया था. आरआईएनएल का 2,500 करोड रुपये का आईपीओ पहले जुलाई में आना था.  

‘मल्टी.ब्रांड खुदरा में एफडीआई से लाखों छोटे दुकानदार हो जाएंगे बर्बाद’     
नई दिल्ली (कोलकाता): मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र, प्रसारण और उड्डयन के क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों के लिए रास्ता खोलने के मंत्रिमंडल के फैसले का विरोध करते हुए वाम दलों ने आज संप्रग सरकार पर जनता पर बोझ बनने का आरोप लगाया. माकपा ने कहा कि एफडीआई के फैसले से लाखों छोटे दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे.
   
तीन क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति और सार्वजनिक क्षेत्र के चार उपक्रमों के विनिवेश के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले पर कडी प्रतिक्रिया देते हुए माकपा, भाकपा, आरएसपी और फारवर्ड ब्लॉक ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार आम आदमी के हितों के खिलाफ काम कर रही है जिनके विरोध में देश भर में प्रदर्शन होंगे. माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कोलकाता में कहा कि मल्टी.ब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत एफडीआई लाने के मंत्रिमंडल के फैसले से लाखों छोटे दुकानदार बर्बाद हो जाएंगे.
   
उन्होंने यहां एक समारोह में सरकार के फैसले पर आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘‘अधिकतर राज्य सरकारें मल्टी.ब्रांड खुदरा के खिलाफ हैं.’’     पार्टी की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने कहा कि संप्रग सरकार नौकरी नहीं दे सकती लेकिन कार्पोरेटों को खुश करने के मकसद से तथाकथित सुधारों के जरिये लोगों की   नौकरी छीन जरुर रही है. उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘यह सरकार जनता पर बोझ बन गयी है. हम इस सरकार के खिलाफ एक संयुक्त आंदोलन आयोजित करने की दिशा में पहले ही काम कर रहे हैं.’’