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गुजरात के गिर में 5 माह में 92 शेरों की मौत

-डाउन टू अर्थ,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 10 जून को एशियाई शेरों की आबादी (2015 और 2020 के बीच 151) में 29% की ऐतिहासिक वृद्धि का जश्न मना रहे थे, उसी दौर में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी से लेकर अबतक गुजरात के गिर लॉयन लैंडस्केप (जीएलएल) में 92 एशियाई शेरों की मौत हो चुकी है.

कुछ शेर आपस में लड़कर मर गए और कई कैनाइन डिस्टें पर वायरस (सीडीवी) की वजह से मर गए. मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र, जिनके पास यह पूरी रिपोर्ट है,ने डाउन टू अर्थ को बताया कि जस धर रेसक्यू सेंटर में समिति को दो शेर दिखाए गए, जो सीडीवी से पीड़ित थे.

92 में से 36 शेरों की मौत मई महीने में हुई, जबकि अप्रैल में 24, मार्च में 10, फरवरी में 12 और जनवरी में 10 शेरों की मौत हुई थी. डाउन टू अर्थ के पास इसके आंकड़े हैं.आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मरने वालों में 19 शेर, 25 शेरनियां, 42 शावकऔर 6 अज्ञात शेर शामिल हैं. इनमें से सबसे अधिक 59 शेरों की मौत गिर के ईस्ट डिवीजन, धारी में हुई, जहां 2018 में सीडीवी का प्रकोप हुआ था.

दिलचस्प बात यह है कि सितंबर 2018 में जब सीडीवी का प्रकोप हुआ था, उस महीने 26 शेरों की मौत हुई थी, जबकि मई में उससे अधिक शेरों की मौत हुई है.

एशियाई शेरों के विशेषज्ञ एवं भारतीय जैव विविधता एवं स्वास्थ्य सेवाओं के आंकड़े उपलब्ध कराने वाली गैर लाभकारी संस्था मेटा स्ट्रिंग फाउंडेशन के सीईओ र.विचेल्लम के अनुसार, “गिर लॉयन लैंडस्कैप में शेरों की मृत्युदर का कोई बेसलाइन डाटा उपलब्ध नहीं है. मार्च 2018 में गुजरात सरकार ने कहा था कि दो सालमें 184 शेरों की मौत हो गई. इसबार पांच महीनों में 92 की मौत हुईहै, जबकि 60 की मौत सिर्फ अप्रैलऔर मई में हुई है.”

हालांकि, गुजरात वन विभाग ने सीडीवी की उपस्थिति से इनकार किया है. जूनागढ़ वन्यजीव सर्किल के मुख्य वन संरक्षक डीटी वासवदा ने कहा कि गिर में कोई सीडीवी नहीं है. हमने अप्रैल में बेबेसिया और सीडीवी के लिए बड़ी संख्या में नमूनों का परीक्षण करने के लिए भेजा था, लेकिन अभी तक परिणाम नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि सीडीवी का मुद्दा गुजरात सरकार के खिलाफ मीडिया द्वारा उछाला गया है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है.

मंत्रालय ने 29 मई को एक समिति का गठन किया. इसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सहायक महानिरीक्षक, मंत्रालय के वन्यजीव विभाग के संयुक्त निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रतिनिधि और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली के एक पशु चिकित्सक शामिल है.

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