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बीतते दिनों के साथ लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर निकलता भारत

-न्यूजक्लिक,

18 मई को कोविड-19 को लेकर पूरे भारत में लागू होने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय निर्देश एक निर्धारिक पल को चिह्नित करते हैं। देश ने सफलतापूर्वक एक चुनौतीपूर्ण अवधि से पार पा लिया है। चीनी दार्शनिक कन्फ़्यूशियस ने एक बार कहा था, "कामयाबी पिछली तैयारी पर निर्भर करती है, और इस तरह की तैयारी के बिना नाकाम होना तय होता है।"

आख़िरी चरण में प्रवेश कर रहे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को रक्षात्मक क़िलेबंदी में डालने के लिए "पिछली तैयारी" का बेहतर तौर पर इस्तेमाल किया गया है। अब हमलावर इसे चतुराई के साथ मात दे सकता है और रक्षात्मक क़िलेबंदी की सीमा रेखा सिर्फ़ असुरक्षा की झूठी भावना को प्रेरित कर सकती है या नहीं, यह तो समय ही बतायेगा। ठोस क़िलेबंदी, बाधायें और उपाय करने वाले प्रतिष्ठानों की प्रभावशीलता, रक्षकों की दृढ़ता और लचीलेपन पर उतनी ही निर्भर करती है, जितना कि इस पुराने वायरस के छद्म और अस्थिरता पर निर्भर करती है। फिर भी, जीवन में कुछ भी नहीं होने के बनिस्पत कुछ बातों को लेकर संतुष्ट होना बेहतर होता है।

आज से पचपन दिन पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “अपने दरवाज़े के बाहर एक लक्ष्मण रेखा खींच लीजिए और याद रखिए कि इसके बाहर बढ़ाया गया एक क़दम भी आपके घर में कोरोनावायरस को ले आयेगा। कोरोना यानी कोइ रोड पर न निकले।”

जब मोदी ने भारतीय सामूहिक चेतना में ख़ास तरह के आवेग को जगाने के लिए रामायण के प्राचीन महाकाव्य से चकित कर देने देने वाले रूपक का आह्वान किया था, तो मौजूदा हालात प्रकाश वर्ष दूर लगते थे।

लेकिन,12 मई को मोदी ने लोगों से राष्ट्र के नाम अपने हालिया संबोधन में कहा था, “कोरोना को हमारे साथ रहना है… लेकिन हम अपने जीवन को कोरोना से नियंत्रित नहीं होने दे सकते। हमें इसके साथ ही रहना होगा। हम मास्क पहनेंगे और फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग को बनाये रखेंगे, लेकिन अपने सपनों को बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे।”

आठ हफ़्ते की अवधि के दौरान वायरस से नफ़रत से लेकर वायरस के साथ रहने तक की आधिकारिक सोच में आया यह गहरा बदलाव सरकार की लॉकडाउन रणनीति की कामयाबी को रेखांकित करता है। लॉकडाउन की इस अवधि ने एक तरफ़ जहां महामारी को धीमा करने में मदद की, वहीं दूसरी तरफ़ आगे की अवधि में इस संक्रमण के प्रसार में किसी भी संभावित रोक की प्रत्याशा में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मज़बूत करने में भी मदद कर रही है। इन सबसे ऊपर, यह उस हर भारतीय के रोज़-ब-रोज़ के जीवन में महामारी को लेकर जागरूकता की एक तीक्ष्ण चेतना लेकर आया, चाहे वह शहरी या ग्रामीण, साक्षर या अनपढ़, अमीर या ग़रीब ही क्यों न हो। यह आधी लड़ाई जीतने जैसा है।  

इस कामयाबी ने सरकार को लॉकडाउन के दौरान लगाये गये प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाये जाने के लिए प्रेरित किया है। गृह मंत्रालय की तरफ़ से जारी हालिया राष्ट्रीय निर्देश नागरिकों के सामान्य जीवन को बहुत हद तक धीरे-धीरे पटरी पर लाने की कोशिश का एक अहम मोड़ है, लेकिन इस बात को लगातार याद रखने की ज़रूरत है कि यह "नयी सामान्य" स्थिति न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर बहाल होनी शुरू हो गयी है। इस बीच, सहारा देने के लिए एक अभूतपूर्व आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की गयी है, इसके ज़रिये कई हफ़्तों की निष्क्रियता के बाद अर्थव्यवस्था को जुंबिश देकर शुरू किया जा रहा है।

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