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पर्यावरण की दशा-दिशा 2020: कितनी बदली हवा?

-डाउन टू अर्थ,

जनवरी 2019 में शुरू किया गया राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी), वायु गुणवत्ता प्रबंधन व अनुपालन के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा बनाने की दिशा में एक कदम है। कार्यक्रम के तहत, पीएम 10 और पीएम 2.5 के लिए राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को पूरा नहीं करने वाले 122 शहरों की पहचान “गैर-प्राप्ति” शहरों के रूप में की गई है। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत शहर गंगा नदी के मैदानी हिस्से में हैं। बाकी अन्य छह प्रमुख जलवायु क्षेत्रों में हैं। इनमें से लगभग 70 फीसदी शहरों की आबादी दस लाख से भी कम है।

अनपरा, गजरौला और रायबरेली उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आते हैं और उनकी आबादी क्रमशः 18,000, 55,045, 1,90,000 है। इसी तरह, बिहार में गया व मुजफ्फरपुर, दोनों की आबादी 5 लाख से कम है। ऐसे शहरी केंद्रों में, स्थानीय कार्रवाई से वायु प्रदूषण से उपजे स्थानीय जोखिम को कम किया जा सकता है, लेकिन अगर उनके बड़े प्रभाव क्षेत्र की उपेक्षा की जाती है, तो इन स्थानों की हवा को एक बिंदु से परे साफ नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित गैर-प्राप्ति शहर डाउन-विंड इलाकों (वैसे शहर जिनकी ओर हवा का बहाव हो) और क्षेत्रों की हवा की  गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।

अतः इन उदाहरणों से साफ है कि हमें अपना ध्यान बड़े एयरशेडों पर लगाने की जरूरत है। लेकिन यह कहना आसान है और करना उतना ही कठिन। एयरशेड कई राज्यों के अधिकार क्षेत्रों और शासन प्रणालियों का एक जटिल मिश्रण है। क्षेत्रीय एयरशेड को चिन्हित करने और पूरे राज्य में कार्रवाई, निगरानी और अनुपालन का एक सामान्य और सामंजस्यपूर्ण ढांचा बनाने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र नहीं है। वैश्विक स्तर पर, सरकारें इस चुनौती का जवाब ढूंढ़ रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, “ट्रांसबाउंड्री” वायु प्रदूषण से संबंधित अंतर-सरकारी संधियां और समझौते हैं। उदाहरण के लिए लांग-रेंज ट्रांसबाउंड्री एयर पॉल्यूशन समझौता।

भारत के एनसीएपी ने एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण व अंतर-राज्य समन्वय के विचार को मान्यता दी है।

एनसीएपी का मानना है कि एक क्षेत्रीय योजना तैयार करने की आवश्यकता है, जिसमें क्षेत्रीय स्रोत आवंटनों के अध्ययनों से लिए गए इनपुट शामिल हैं। इसमें कई ऐसे उपायों को सूचीबद्ध किया है जो कि प्रकृति में क्षेत्रीय हैं और कई संस्थाओं के अधिकार क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं। यह लगातार बाढ़ रहे वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए आवश्यक शासकीय ढांचे और अंतर-राज्य सहयोग को मजबूत करेगा। 

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