Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/Trying-to-create-an-atmosphere-like-the-nineties-again-in-the-name-of-Ram.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | राम के नाम पर देश में फिर नब्बे के दशक जैसा माहौल बनाने की कोशिश! | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

राम के नाम पर देश में फिर नब्बे के दशक जैसा माहौल बनाने की कोशिश!

-न्यूजक्लिक, 

सदियों से करोडों लोगों के लिए श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर एक बार फिर देश को सांप्रदायिक तौर पर गरमाने और नफरत फैलाने का अभियान शुरू हो गया है। विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में 1990 के दशक जैसा जहरीला और तनावभरा माहौल बनाने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में हो चुकी है, जहां कुछ कस्बों में सांप्रदायिक झडपें हुई हैं।

कोई सवा साल पहले जब दशकों पुराने अयोध्या विवाद का जैसे-तैसे अदालती निबटारा हुआ था यानी नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था तो यह माना गया था कि अब इसको लेकर देश में किसी तरह का दंगा-फसाद नहीं होगा। तमाम तरह के विरोधाभासों से भरा फैसला होने के बावजूद देश के मुसलमानों ने भी देश की सबसे बडी अदालत के आदेश का एहतराम किया था। इसलिए माना गया कि अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर का निर्माण करने में अब किसी तरह की बाधा नहीं है।

सचमुच, मंदिर निर्माण में अब कोई बाधा नहीं है, लेकिन लगता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) अभी भी इस मसले को लेकर अब तक हुए खून-खराबे से संतुष्ट नहीं हैं। उनका मकसद मंदिर बनाने से ज्यादा इस मसले पर अपनी विभाजनकारी राजनीति करना है। वे अभी भी इस मामले को अपने राजनीतिक एजेंडा के तौर इस्तेमाल करने यानी सांप्रदायिक नफरत और तनाव फैलाना का इरादा रखते हैं। इस सिलसिले में उनका नया उपक्रम है राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए देश में चंदा उगाही करना।

विहिप का यह अभियान 15 जनवरी से शुरू होकर 27 फरवरी तक चलेगा। इस काम में भाजपा के सांसद, विधायक, पार्षद, पार्टी पदाधिकारी और नेता आदि भी मदद करेंगे। इसे 'मंदिर आंदोलन पार्ट टू’ भी कह सकते हैं और लोकप्रिय बंबइया फिल्मों की भाषा में 'मंदिर आंदोलन रिटर्न’ भी। इस बार विश्व हिन्दू परिषद ने तय किया है और वह छह लाख गांवों में 13 करोड़ हिन्दू परिवारों तक जाएगी और मंदिर निर्माण के लिए चंदा मांगेगी। विहिप की ओर से कहा गया है कि जो मुसलमान भगवान राम को 'इमाम-ए-हिन्द’ मानते हैं, वे भी मंदिर निर्माण के लिए चंदा दे सकते हैं।

विहिप ने 'राम शिलापूजन’ के नाम से ऐसा ही अभियान इससे पहले 1989 में चलाया था। पूरे देश में यह अभियान तीन साल चलता रहा था। उसी दौर में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की राम रथयात्रा निकाली थी, जिसने देश के कई इलाकों को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने का काम किया था। उस समय भी उत्तर भारत के शहरों, गांवों और कस्बों में विहिप, बजरंग दल और भाजपा के कार्यकर्ताओं का हुजूम भडकाऊ नारे लगाते हुए निकलता था। विहिप और भाजपा के इन अभियानों की अंतिम परिणति अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के रूप में हुई थी।

संविधान और सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखा कर बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के उस संगीन आपराधिक कृत्य के बाद मामला अदालत में चलता रहा। दूसरी ओर विहिप की ओर से मंदिर निर्माण की तैयारियां भी जारी रहीं। उस समय भी पूरे देश से चंदा वसूला गया था और करोडों रुपये मंदिर निर्माण के लिए जुटाए गए थे। जिसका कोई लोकतांत्रिक लेखा-जोखा आज तक देश के सामने पेश नहीं किया गया है। उस पैसे का क्या हुआ, आज तक किसी को नहीं मालूम। सवाल है कि क्या वह पैसा मंदिर निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं है और इसलिए चंदा इकट्ठा करने का अभियान चलाना पड़ रहा है या कोई और मकसद है? गौरतलब है कि मंदिर आंदोलन से जुडे कई संतों और उस दौर में विहिप के महत्वपूर्ण नेता रहे प्रवीण तोगडिया तो उस चंदे में घपले के आरोप भी लगा चुके हैं।

वैसे भी मंदिर निर्माण के लिए चंदा वसूलने की क्या जरुरत है? जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मंदिर का शिलान्यास किया है तो इसे सरकारी खर्च से क्यों नहीं बना दिया जा रहा है? जैसे प्रधानमंत्री ने दिल्ली में नए संसद भवन की नींव रखी या 31 दिसंबर को गुजरात के राजकोट में एम्स की नींव रखी है तो इनका निर्माण सरकार करा रही है।

यह बहुत हैरान करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री भूमिपूजन और शिलान्यास करे और निर्माण जनता के चंदे से हो! वैसे उत्तर प्रदेश में तो राज्य सरकार करोड़ों खर्च कर सरयू के किनारे भगवान राम की मूर्ति बनवा रही है। करोड़ों रुपये की लागत से कहीं हनुमान जी की मूर्ति बननी है तो कहीं लक्ष्मण और सीता की मूर्ति बनाने की बात हो रही है। जब भगवानों की मूर्तियां सरकारी खर्च से बन सकती है, अयोध्या में दीपोत्सव और बनारस में गंगा आरती का खर्च सरकारी खजाने से दिया जाता है, प्रधानमंत्री का सारा धार्मिक पर्यटन सरकारी खर्च पर होता है तो मंदिर भी सरकारी खर्च से क्यों नहीं बना लिया जाता? कौन रोक सकता है?

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.