Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/after-anemia-malnutrition-varanasis-musahar-women-dealing-with-shortage-of-iron-folic-acid-tablets.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | दवाओं की कमी से जूझती वाराणसी की कुपोषित मुसहर महिलाएं | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

दवाओं की कमी से जूझती वाराणसी की कुपोषित मुसहर महिलाएं

-इंडियास्पेंड,

वाराणसी जिले के बड़ागांव ब्लॉक में हमीरपुर गांव की रहने वाली शांति बनवासी अपने पति अर्जुन बनवासी (28 ) और दो छोटे बच्चों के साथ रहती हैं। शांति कुपोषण और एनीमिया ग्रस्त हैं और 22 वर्ष की आयु में ही दो बच्चों की माँ बन चुकी हैं।

शांति के पति अर्जुन मजदूरी करते हैं और अभी काम पर गए हैं। दोपहर के 2:00 बज रहे हैं और शांति के पेट में एक गिलास माड़ के अलावा अभी तक कुछ नहीं गया है। "घर में दाल या सब्जी नहीं है बनाने के लिए। मैंने अपने पति के लिए जो चावल बनाया, उसका ही माड़ पी लिया था। जब वह आएगा तो चावल और अचार खा लेगा," शांति कहती हैं।

शांति की गत वर्ष सितंबर में गैर-संस्थागत डिलीवरी हुई थी। हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एनेमिक और कुपोषित) की श्रेणी में आने के बावजूद भी गर्भावस्था के दौरान शांति को कैल्शियम और आयरन की गोलियां नहीं दी गई थीं। गाँव की आशा या एएनएम आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को ये गोलियां वितरित करती हैं।

शांति दलित समुदाय की मुसहर जाती से आती हैं और उनका परिवार बड़ागांव के मुसहर टोली में एक कमरे के कच्चे मकान में रहता है। मुसहरटोली या मुसहरी के नाम से जाने जानेवाले ये गांव प्रधान मंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास' नारे से काफ़ी अव्यवहारिक दिखाई पड़ते हैं।

वाराणसी जिले के हमीरपुर गांव में घरों के आसपास पानी के जमाव और गन्दगी से निपटने के लिए कोई व्यवस्था दिखाई नहीं देती है। फोटो: जिज्ञासा मिश्रा

शांति की ही तरह बड़ागांव ब्लॉक में रहने वाली कई महिलाएं कुपोषण और एनीमिया ग्रस्त हैं और हाई रिस्क प्रेगनेंसी की श्रेणी में आती हैं, इसके बावजूद भी इन महिलाओं को जरूरी दवाओं से दूर रहना पड़ रहा है।

"आप गांव भर में घूम लो। ये कुपोषित बच्चे और माँए लगभग हर जगह दिखाई देंगी। हमारे यहाँ पर लोगों का ध्यान तब अत है जब चुनाव सर पे नाचते हैं। उसके पहले यहाँ खाना, दवा-दारू पूछने कोई नहीं आता," शांति कहती हैं।

बंदना देवी एक एएनएम हैं और ब्लॉक के सात गांवों में काम करती हैं। वह इंडियास्पेंड को बताती हैं, "जून 2021 में मेरे कार्यक्षेत्र में मौजूद 51 गर्भवती महिलाओं में से मात्र 13 को आयरन व कैल्शियम टैबलेट प्राप्त हुई थी। मैंने अपने हिसाब से सिर्फ़ उन महिलाओं को दवाएं दी जो कुपोषित और ऎनेमिक थीं। इनमें ज़्यादातर मुसहर महिलायें थीं जो कि बाज़ार से खरीदने में सक्षम नहीं होतीं।"

बाज़ार में फ़ॉलिक एसिड या आयरन की 45 गोलियों वाले दवाई के पत्ते की कीमत ₹70 है जबकि कैल्शियम के 15 गोलियों वाले पत्ते की कीमत लगभग ₹80 है।

करोना महामारी के चलते पिछले दो सालों में लोगों की आमदनी में काफी कमी आयी है और इसकी वजह से कई पिछड़े परिवारों ने अपने खाने में कटौती की है। लॉकडाउन के वजह से कई लोग आय अर्जित करने के साधन के बिना, अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ रहे। अधिकांश के लिए, बिना भोजन, या कम से कम भोजन और कम पौष्टिक भोजन एकमात्र विकल्प था। इस दौरान आई खाद्य असुरक्षा ने कुपोषण के खतरे को और भी बढ़ा दिया है।

"पिछले वर्ष के शुरुआत से ही हमें आयरन और कैल्शियम कम मिल रहे हैं। जहां पहले 1,200 से 1,300 की संख्या में टैबलेट मिलते थे वहीं अब मात्र 600 दिए जा रहे हैं। इतनी दवा ज़्यादा से ज़्यादा दो महीने चल जाती थी लेकिन अब तो यही समझना मुश्किल है कि किसको दें और किसको छोड़ें," बंदना देवी बताती हैं।

बंदना देवी जिन सात गांवों में काम करती हैं उनमें करीब 60 गर्भवती महिलाएं हैं जिनमें से करीब 25 हाई रिस्क प्रेगनेंसी की श्रेणी में आती हैं। गर्भावस्था के दौरान एक महिला को 180 गोलियां खानी होती हैं जबकि हाई रिस्क प्रेगनेंसी में 360 गोलियां।

"अभी भी हमें कई महिलाओं को मना करते हुए ये कहना पड़ रहा है कि वो दवा खरीद कर खाएं पर खाएं ज़रूर। हालाँकि हम जानते हैं कि जो तीन टाइम ठीक से पोषण युक्त खाना नहीं खा पा रही वो दवा क्या खरीद के खायेगी। एक-आध घर ही ऐसे होंगे जहाँ ये दवाएं खरीदी गयी होंगी।"

लखनऊ स्थित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलम सिंह इंडियास्पेंड को बताती हैं, "एक गर्भवती और दूध पिलाने वाली माँ को आयरन और कैल्शियम की ज़रुरत किसी आम महिला, बच्चे या पुरुष से ज़्यादा होती है। ये दोनों ही चीज़ें उनको प्राकृतिक खाद्य पदार्थ के साथ साथ सप्लीमेंट्स (दवाओं) से भी मिलते रहने की ज़रुरत होती है। इनके आभाव से स्वास्थ्य में गंभीर दिक्कत के साथ, बुरी से बुरी हालत में महिला की मृत्यु भी हो सकती है।"

साल 2021 में वाराणसी जिले के बड़ागांव ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घोषित किया गया था।

इंडियास्पेंड ने इस स्वास्थ्य केंद्र का दौरा किया तो वहां के एक चिकित्सा कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "हम सरकार द्वारा तय की गई कंपनी से आयरन व कैल्शियम लाते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। कंपनी ने हमें अनौपचारिक रूप से कहा कि ज्यादातर राशि कोरोना वैक्सीन पर खर्च हो रही है, बाकी ज़रूरी दवाओं को अभी नज़र अंदाज किया जा सकता है।"

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.