Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/article-19-why-celebs-are-silent-on-farmers-movement.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान? | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

आर्टिकल 19: लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?

-जनपथ,

ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को सुनने के बाद किसी की भी अंतरात्मा जाग उठेगी।

वह महिला भारतीय मूल की एक सामान्य महिला थी, लेकिन उसने किसानों के साथ खड़े न होने की सूरत में विराट कोहली के विराट व्यक्तित्व, विराट दौलत और विराट प्रचारतंत्र को टॉयलेट पेपर पर समेट दिया था। कहा, इससे ज्यादा आपकी हैसियत नहीं रहेगी। आप कह सकते हैं कि ये सिर्फ क्रोध है। आप इसको क्षोभ या कुंठा का भी नाम दे सकते हैं, लेकिन क्या यह उचित होगा? क्योंकि ये बात तो सच है कि जब जनपक्षधरता के साथ खड़े होने की बारी आती है तो अरबों में खेलने वाले सिनेमा, क्रिकेट, मनोरंजन और गायकी के धुरंधर भाग खड़े होते हैं। सवाल तो है कि राष्ट्रवाद के नाम पर हवामहल खड़े करने वालों का राष्ट्र कौन सा है। वो किस देश के नायक हैं और उन्हें नायक क्यों कहा जाए।

फोर्ब्स के रईसों की लिस्ट के मुताबिक विराट कोहली की दौलत 900 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसमें उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा की संपत्ति शामिल नहीं है। आप कह सकते हैं कि अनुष्का को विराट के साथ लाना ठीक नहीं, लेकिन आपको याद होगा कि रद्दी का एक टुकड़ा फेंक देने पर विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया था। इस देश के 15 करोड़ किसानों ने अपने अस्तित्व को पूंजीपतियों के डस्टबिन में फेंके जाने के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है, तो उनके कंठ को काठ मार गया है।

आपको यह भी याद होगा अमिताभ बच्चन को कोरोना हुआ था और वो अस्पताल में भर्ती थे। हजारों लोग उनके लिए दुआ कर रहे थे। तब कहा गया था कि इन देशवासियों को याद रखिएगा बच्चन साहब। जब इन्हें जरूरत पड़े तो बोलिएगा। आपके बोलने से बहुत फर्क पड़ेगा। अपनी हैसियत को पल्स पोलियो और जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं जैसे डायलर ट्यून तक मत सीमित कीजिए। अमिताभ बच्च्न के न बोलने का रिकॉर्ड बहुत पुराना है और इसके टूटने की संभावना बहुत कम थी। इसे उन्होंने किसान आंदोलन में भी गलत साबित नहीं किया।


77 साल के अमिताभ बच्चन की दौलत तीन हजार करोड़ से ज्यादा है। इसे बचाये रखने के लिए वो जो बहुत सारे काम करते हैं उसमें शातिर तरीके से देश के जरूरी मुद्दों पर खामोशी ओढ़े रखना भी शामिल है। उनकी हालत देखकर साल 1973 में आयी सुभाष घई की फिल्म ‘सौदागर’ का वह किसान याद आता है जो किसानी को समझने वाली अपनी बीवी नूतन को छोड़कर लटके-झटके दिखाने वाली पद्मा खन्ना की तरफ आकर्षित हो जाता है। गुड़ बनाने वाले किसान की भूमिका खुद अमिताभ बच्चन ने निभायी थी, लेकिन उस फिल्म का क्लाइमेक्स शायद अमिताभ बच्चन याद न करना चाहें।

शाहरुख खान 5 हजार करोड़ से ज्यादा की दौलत के मालिक हैं। ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’ में सरसों के खेतों में काजोल के पीछे नाचते हुए नायक को देखकर जनता ने नोटों की बरसात कर दी थी। फिल्म की कहानी पंजाब के खेतों से होती हुई गुजरती है, लेकिन जब पंजाब के असली किसान अपनी किसानी छोड़कर दिल्ली की सीमा पर आ डटे हैं तो यश चोपड़ा का राज मल्होत्रा कुछ नहीं बोलता। लता मंगेशकर का पूरा देश दीवाना है। आप पूछेंगे किसानों के आंदोलन से उनका क्या लेना-देना। यही तो सवाल है कि उनका लेना-देना क्यों नहीं है। जब उनके घर के आगे फ्लाइओवर बनने लगता है तो वो कोहराम मचा देती हैं। आलू से अंगोला तक पर खुलकर अपनी राय रखती हैं। तो किसानों ने उनका क्या बिगाड़ा है? लेकिन वो नहीं बोलतीं।

बिरजू महाराज कब्जाया हुआ सरकारी बंगला खाली कराये जाने पर पुरस्कार वापस करने की धमकी दे डालते हैं लेकिन किसानों के अस्तित्व को ही मिटा देने की चाल पर उनका कंठ नहीं खुलता। अमृतसर वाले कनाडाई पाजी पद्मश्री अक्षय कुमार तो सैनिटरी नैपकिन तक के लिए आंदोलन चला देते हैं, लेकिन ढाई हजार करोड़ के राष्ट्रवादी कुमार किसानों से मुंह चुरा लेते हैं।

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.