Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/ashish-mittal-writes-on-failure-of-modi-govt-on-lockdown.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | लॉकडाउन या नॉकडाउन | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

लॉकडाउन या नॉकडाउन

न्यूजप्लेटफार्म,

मैं इस बहस में नहीं पडूंगा कि भारत कोरोना के सामुदायिक प्रसार के दौर में है या नहीं क्योंकि यदि नहीं भी है तो बहुत जल्द पहुंच जाएगा. पहले दिन से ही यह स्पष्ट है कि भारत में कोरोना के नियंत्रण के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन किया जाना सही नहीं है. उसकी जनसांख्यिकी, उसकी अर्थव्यवस्था, उसका सामाजिक पिछड़ापन और इस सब से ज्यादा उसके शासन का पिछड़ा रवैया, जवाबदेही का अभाव और दमन इसके अनुकूल नहीं है. मेरा संदर्भ केवल मोदी शासन से कतई नहीं है.

सम्पूर्ण लाक डाउन अमल हो ही नहीं सकता था. लोग भूखे हैं, अभावग्रस्त हैं, करोना से डरे हुए हैं और अपने घरों से दूर असुरक्षा के हाल में रह रहे हैं. उनकी समस्याए और भय रोजाना तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत अपने लोगों को खाना नहीं खिला पा रहा है, वह संदिग्ध लोगों का न ढूंढ पा रहा है ना उनकी जांच कर पा रहा है, ना ही वह समाज भर में जांच करा पा रहा है, ना ही वह लोगों का सही से इलाज करा पा रहा है. लोगों का भय कैसे कम होगा?

व्यवहारिक बात यही है कि यह एक ”नाक डाउन” का ही रूप लेता, जो रूप साफ-साफ अब दिख रहा है और इसकी गति और तीव्रता भी बढ़ रही है. प्रदेशों की ‘सीमा’ को सील कर दिया गया है. अब छोटे शहरों में परचून की दुकानें व सब्जी के ठेले भी बन्द कराए जा रहे हैं. घर लौट रहे प्रवासी मजदूर इस वायरस के संवाहक होने के संदेह के दायरे में हैं. उनको अलग किया जा रहा है और उनपर हलमे भी हो रहे हैं. बिना किसी सुविधा के इन्हें एकान्तवास में रखने की बात कहकर इस भावना को बढ़ाने में सरकार खुद योगदान कर रही है. राज्य तथा सत्तारूढ़ दल उन्हें अपराधी की संज्ञा में खड़ा कर रहे हैं. आखिरकार यह वो सम्पन्न लोग नहीं हैं जिन्हें हवाईजहाज भेज कर परदेस से घर बुलाया गया था.

बुलन्दशहर, उप्र में परिजनों व मित्रों ने मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार ही नहीं किया, करोना के भय से. पर बहादुरी के साथ उसके मुस्लिम ‘मित्रों’ ने, जो आरएसएस की साम्प्रदायिक घृणा का शिकार नहीं थे, इस जिम्मेदारी को निभाया.

जहां शासक करोनो के खतरे के प्रति फरवरी तक बेफिक्र रहे, जबकि विश्व व्यापार संगठन ने जनवरी में ही इसके खतरे की घोषणा कर दी थी, उन्होंने इस वायरस को देश में हवाई मार्ग से घुसने की खुली छूट दे रखी थी. उस समय शासक नागरिकता कानून अमल कराने में व्यस्थ थे और लगातार शाहीन बाग और मंसूर पार्क के प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने में व्यस्थ थे. वे नहीं समझ सके कि करोना वायरस नागरिकता की अर्जी नहीं देगा. वह घुस आएगा. अब, जब उन्होंने इसके खतरे का इस्तेमाल करके इन दोनों स्थानों से मुट्ठी भर प्रदर्शकारियों को ‘लाक आउट’ कर दिया है, वे सारे देशवसियों के साथ ऐसा ही कर रहे हैं.

जहां तक माननीय प्रधानमंत्री जी बी बात है, तो जनता को गुमराह करने के लिए नौटंकी का इस्तेमाल करने में महारथ प्राप्त किसी भी व्यक्ति का इससे ज्यादा दयनीय प्रदर्शन नहीं हो सकता. 20 मार्च को वह भावुक आवाज में अपील कर रहे थे कि ”केवल एक ही दिन का सवल है, इसे अमल करो” और अब, इसे 21 दिनों तक बंदी जारी करने के बाद वे कह रहे हैं कि ”मेरे पास आपकी जान बचाने का और कोई तरीका नही है”. इस ‘मेरे पास’ को बड़े अक्षरों मेें लिखना चाहिये. वे अज्ञानता और बेवकूफी की महारत प्रदर्शित कर रहे हैं, जिसमें विश्व ‘प्रभुत्व’ के लिए उनका एक ही प्रतिद्वंदी है, ट्रम्प.

पूरा लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.