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असम: पशुपालकों को बर्बाद कर रहा अफ्रीकन स्वाइन फीवर, संक्रमण से अब तक हजारों सुअरों की हुई मौत

-गांव कनेक्शन,

एक तरफ जहां पूरा देश अभी भी कोरोना से निपटने में लगा है, वहीं असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से अब तक 18000 सुअरों की मौत हो गई है और जल्द ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 12000 से अधिक सुअरों को मार दिया जाएगा। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में हजारों परिवारों के कमाई का जरिया ही सुअर पालन है। ऐसे में इन परिवारों के सामने रोजगार का संकट आ गया है। असम के सोनितपुर जिले के घगोरा बस्ती में पोथार एग्रोवेट नाम से फार्म चलाने वाले राजिब बोरा के फार्म में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैलने से पहले 300 के करीब सुअर थे, लेकिन अब सिर्फ पांच बचे हैं। राजिब बोरा गाँव को फोन पर बताते हैं, "हमारे यहां स्थिति बहुत खराब हो गई है, मेरा फार्म तो पूरी तरह से खत्म ही हो गया है। पहले छोटे बच्चे और वयस्क सुअरों को मिलाकर इनकी संख्या 300 थी, अब सिर्फ पांच बच्चे ही जिंदा बचे हैं। बाकी सारे इस बीमारी से मर गए हैं। पिछले कई महीनों से यही सुनने में आ रहा कि सरकार संक्रमित सुअरों को मार देगी, लेकिन अभी तक मारा नहीं गया। इस वजह से संक्रमण बढ़ता ही गया है।" वो आगे कहते हैं, "सरकार कह रही है जिन सुअरों को मारा जाएगा, उसी का मुआवजा मिलेगा, लेकिन कैसे मिलेगा कुछ पता नहीं।

पहले इतने जानवर बीमारी से मर गए उनका भी पता नहीं पैसा मिलेगा की नहीं मिलेगा। तीन साल पहले फार्म की शुरुआत की थी, लगभग तीस लाख का नुकसान हो गया है। अभी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या करेंगे, अभी तो सब ज़ीरो हो गया और बचा ही नहीं।" पशुपालन विभाग असम के अनुसार अप्रैल में सबसे प्रदेश के शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ चारली, डिब्रुगढ़ और जोरहट जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण देखा गया। तभी से संक्रमित सुअरों को मारने की बात की जाने लगी, लेकिन पांच-छह महीने बीत जाने के बाद एक बार फिर दुर्गा पूजा के पहले सुअरों को मारने की बात की जा रही है।

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