Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/assam-is-protesting-against-eia-2020-here-is-the-reason-explanation.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील

-गांव कनेक्शन,

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्टविवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (ईआईए,2020) को एंटी-नॉर्थइस्ट (पूर्वोत्तर विरोधी) कहा जा रहा है। वैसे तो ईआईए में संशोधित प्रस्तावाओं का देशभर में विरोध हो रहा है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ईआईए के अपने निहितार्थ है। असम और ड्राफ्ट ईआईए 2020 1984 भोपाल गैस त्रासदी के बाद 1986 में पहली बार भारत में पर्यावरण संरक्षण कानून बनाया गया था। इसी कानून के तहत साल 1994 में पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) नियमों का जन्म हुआ। इसके पहले तक भारत ने पर्यावरण पर स्टॉकहोम डेक्लरेशन 1972, जल नियंत्रण 1974 और वायु प्रदूषण 1981 के संबंध में कानून बनाया था। ईआईए के तहत विभिन्न परियोजनाओं का पर्यावरणीय आकलन होता था।

ईआईए की शर्तों का अनुपालन किए जाने की स्थिति में ही परियोजनाओं को शुरू करने की मंजूरी मिल पाती थी। वर्ष 2006 में 1994 की ईआईए अधिसूचना में बदलाव किए गए। अब केंद्र सरकार इसी 2006 की अधिसूचना में बदलाव करने का मसौदा लेकर आई है। हालांकि यह भी सत्य है कि पूर्ववर्ती सभी सरकारों ने ईआईए को कमजोर ही किया है। जिस ईआईए अधिसूचना की परिकल्पना पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए की गई थी, उसका पर्यावरण विरोधी गतिविधियों को मंजूरी देने के लिए धड़ल्ले से बेजा इस्तेमाल किया गया। ईआईए अधिसूचना का एक सबसे जरूरी भाग ये है कि पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं को मंजूरी के पहले परियोजना से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन रिपोर्ट पेश करना होता है। लेकिन बीते वर्षों में तमाम ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कंपनियों को न सिर्फ मंजूरी मिलती है बल्कि उन्हें जवाबदेहियों से भी जैसे मुक्त कर दिया जाता है। साल दर साल ईआईए अधिसूचना में संशोधन करके विभिन्न परियोजनाओं अथवा उद्योगों को इसके दायरे से बाहर करने के प्रयास किए जाते हैं। सरकारें इसे "इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस" कहती रही हैं। कंपनियों के साथ-साथ सरकार का भी तर्क होता है कि पर्यावरण प्रभाव आकलन जैसे नियमों की वजह से उद्योग लगाने में देरी होती है, लालफीताशाही बढ़ जाती है। असम के संदर्भ में ईआईए ड्राफ्ट और भी बारीक अध्ययन की मांग करता है।

ईआईए 2020 में ऑनशोर (तटवर्ती) और ऑफशोर (अपतटीय) तेल व गैस ड्रिलिंग से जुड़ी सभी गतिविधियों को बी2 कैटेगरी में चिन्हित किया गया है। इस कैटेगरी में शामिल परियोजनाओं को किसी भी तरह की इंवॉयरमेंट क्लियरेंस रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। इसका मतलब यह भी हुआ कि भविष्य में होने वाले तेल व गैस संबंधी ऑपरेशन्स के लिए किसी तरह का इंवॉयरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट लेने की जरूरत नहीं होगी। नये ड्राफ्ट के अनुसार कंपनियों को प्रत्येक वर्ष खुद ही इंवॉयरमेंट मैनेजमेंट रिपोर्ट देना होगा। पहले यह प्रक्रिया हर छह महीने में करना अनिवार्य था। इससे होगा कि प्रोजेक्ट से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करना मुश्किल होगा। पर्यावरण संरक्षण के नियमों की अनदेखी करने पर कंपनियों की कोई जवाबदेही तय नहीं की जा सकेगी। नये ड्राफ्ट के मुताबिक ऐसे कई प्रोजेक्ट बिना मंजूरी यानि ईआईए के भी शुरू किया जा सकता है। जबकि यह खुद ही एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। वहीं कई प्रोजेक्ट के लिये जन सुनवाई की जरुरत को ही खत्म करने का प्रस्ताव है। बी2 कैटेगरी के प्रोजेक्ट्स को जन सुनवाईयों की जरूरत से मुक्त कर दिया गया है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.