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‘न कोई बैठक हुई, न हमें जमीनों की जानकारी दी गई’: राम मंदिर के ट्रस्टी

-न्यूजलॉन्ड्री, 

6 फरवरी, 2020 में भारत सरकार ने राम मंदिर के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की घोषणा की थी. मणिराम दास की छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास इसके अध्यक्ष बनाए गए. ट्रस्ट के निर्माण के 16 महीने में इसके सदस्यों की सिर्फ चार बार बैठकें हुई हैं.

भाजपा नेता और ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘ट्रस्ट की बैठक में मोटी-मोटी बातें आती हैं. पहली बैठक (फरवरी, 2020) में एक विषय आया था कि मंदिर के वास्तुशास्त्र के लिए कुछ और जमीनें लेनी पड़ेंगी.”

चौपाल आगे बताते हैं, “उस समय तय हुआ कि अयोध्या में रहने वाले ट्रस्ट के पांच सदस्य चंपत राय, अनिल मिश्रा, निर्मोही अखाड़े के प्रमुख दीनेंद्र दास, अयोध्या के राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास की एक समिति बना दी जाए. इन पांचों के ऊपर जमीनों की खरीद करने और इसकी जानकारी ट्रस्ट को देने की जिम्मेदारी दी गई.’’

इस तरह से पांच ट्रस्टियों की एक समिति जमीनों की खरीद के लिए बन गई. ट्रस्ट के कई सदस्यों ने इस बात की पुष्टि की है. नियम से इन पांच लोगों को जमीन खरीदने और ट्रस्ट को उसकी जानकारी देने की जिम्मेदारी दी गई.

ट्रस्ट के एक सदस्य ने हमें बताया, “चम्पत राय और अनिल मिश्रा के अलावा बाकी सदस्यों को न तो जमीनों की खरीद की जानकारी दी गई, न उन्हें कीमत की जानकारी दी गई, ना ही उनसे सलाह मशविरा किया गया. इस पांच सदस्यीय समिति की कोई बैठक भी नहीं हुई है.”

महंत नृत्यगोपाल दास

ट्रस्ट ने जमीन खरीददारी के लिए जिन पांच लोगों की टीम का गठन किया उसमें एक ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास भी हैं. राम मंदिर के शिलान्यास के कुछ दिनों बाद से ही दास अस्वस्थ हैं. उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जाता है. मणि राम दास की छावनी के ऊपरी हिस्से को आईसीयू बना दिया गया है. जहां सुरक्षा में अर्धसैनिक बल के जवान खड़े रहते हैं.

महंत नृत्यगोपाल दास के प्रतिनिधि कमलनयन दास ने हमसे बातचीत में दो तरह की बातें बताई. अव्वल तो उन्होंने स्वीकार किया कि जमीन खरीदने या किसी भी बैठक की जानकारी दास को नहीं दी गई.

दास बताते हैं, ‘‘भूमि पूजन के कुछ दिनों बाद ही महंतजी को कोरोना हो गया. उनके फेफड़े तक इंफेक्शन पहुंच गया. मंदिर में ही उनके लिए आईसीयू का इंतज़ाम किया गया. अब भी वो किसी से नहीं मिलते हैं.’’

क्या ट्रस्ट में जमीन खरीदारी या खर्च संबंधी बातचीत के लिए उनसे कभी संपर्क किया गया. इस सवाल के जवाब में दास कहते हैं, ‘‘हम महंतजी को दुनिया के तमाम प्रपंचों से दूर रख रहे हैं. उन्हें इन सब बातों की कोई जानकारी नहीं दी गई, न हमें खर्च के बारे में बताया गया है. लेकिन हमें ट्रस्ट पर भरोसा है. ट्रस्ट के सदस्य जो काम कर रहे हैं, ठीक ही कर रहे होंगे.’’

स्वामी दीनेन्द्र दास, निर्मोही अखाड़ा

निर्मोही अखाड़े के प्रमुख दीनेन्द्र दास भी उन पांच लोगों में से एक हैं जिन्हें ट्रस्ट ने जमीन खरीदने की जिम्मेदारी दी है. उन्होंने हमें चौंका दिया. दीनेंद्र दास कहते हैं, ‘‘मुझे बस इतना पता है कि और ज़मीन की ज़रूरत है. कब, किससे और कितने रुपए में जमीन खरीदी जा रही है इसकी कोई जानकारी मुझे नहीं है और ना मैंने जानने की कोशिश की.’’

निर्मोही अखाड़े के दफ्तर में स्वामी दीनेंद्र दास के एक शिष्य ने बेहद नाराजगी से हमें बताया, ‘‘वो इनको कुछ नहीं बताते हैं. मीटिंग में बुलाकर चाय, समोसा खिलाकर दस्तखत करवा लेते हैं. महंतजी को कठपुतली बना दिया है. सब कुछ चंपत राय और अनिल मिश्रा कर रहे हैं. कब, किससे और कितने रुपए में जमीन खरीदनी है, ये वहीं लोग तय करते हैं.’’

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