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क्यों चीन से अचानक व्यापार बंद करने पर भारत को ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है

-सत्याग्रह,

लद्दाख में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद देश में चीन खिलाफ भारी नाराजगी है. देश भर में लोग चीन के सामना का बहिष्कार कर रहे हैं. लोग सरकार से भी चीन के साथ व्यापार बंद करने की मांग कर रहे हैं. खुदरा व्यापरियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. कैट ने करीब 3000 से अधिक उत्पादों की एक सूची तैयार की है, जो चीन में निर्मित होकर भारत में आयात होते हैं. इन उत्पादों का बहिष्कार कर कैट ने चीनी आयात में करीब एक लाख करोड़ रुपये की कमी लाने का लक्ष्य रखा है.

भारत सरकार ने भी ऐसे कई कदम उठाए हैं जिनसे लगता है कि वह व्यापारिक रास्ते से चीन को सबक सिखाना चाहती है. भारतीय रेलवे ने एक चीनी कंपनी के साथ हुआ 471 करोड़ रुपए का करार खत्म कर दिया है. साल 2016 में हुए इस करार के तहत सिग्‍नलिंग व टेलीकम्‍युनिकेशंस का काम होना था. रेलवे के मुताबिक उसने चीनी कंपनी के खराब प्रदर्शन और कम काम करने के कारण इस करार को खत्म किया है.

भारतीय टेलीकॉम मंत्रालय ने बीएसएनएल को अपने काम में चीनी कंपनियों की उपयोगिता कम करने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने फैसला किया है कि बीएसएनएल की 4जी तकनीक से चीनी कंपनियों को दूर रखा जाएगा. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक टेलीकॉम मंत्रालय ने बीएसएनएल से कह दिया है कि 4जी तकनीक के मामले में जारी किए जा चुके टेंडरों पर नए सिरे से विचार किया जाए.

भारत में भले ही लोग चीन को व्यापारिक मोर्चे पर नुकसान पहुंचाने की बात कर रहे हों. लेकिन अर्थ जगत के जानकारों के मुताबिक अगर भारत सरकार चीन के साथ व्यापार बंद करती है या व्यापारिक मोर्चे पर इस तरह का कोई भी कदम उठाती है तो इसका चीन से ज्यादा बुरा असर भारत पर पड़ेगा और उसे चीन से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा.

भारत चीन पर कितना निर्भर और व्यापार बंद करने पर क्या चुनौतियां सामने आएंगी?

विश्व बैंक के संगठन विश्व एकीकृत व्यापार समाधान (डब्ल्यूआईटीएस) के हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक बीते चार सालों में चीन का भारत में सबसे ज्यादा निर्यात पूंजीगत वस्तुओं (कैपिटल गुड्स) का है. 2014 से लेकर 2018 तक भारत ने करीब 40 फीसदी तक पूंजीगत वस्तुएं चीन से मंगाई हैं. भारत में पूंजीगत वस्तुओं के निर्यात के मामले में चीन दूसरे नंबर पर आता है. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2019 से फरवरी 2020 तक भारत ने चीन से 12.78 बिलियन डॉलर का पूंजीगत सामान आयात किया है. इसमें इलेक्ट्रिकल मशीनरी, सेमी कंडक्टर आधारित मशीनरी, थर्मल पॉवर प्लांट्स की मशीनरी और अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी शामिल है.

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