Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/bihar-elections-coronavirus-lockdown-bjp-pm-modi-nitish-kumar-susil-modi.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | बीजेपी का चुनावी पोस्टर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर’ बढ़ा रहा अजमेरिना और रामचंद्र महतो का दुःख | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

बीजेपी का चुनावी पोस्टर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर’ बढ़ा रहा अजमेरिना और रामचंद्र महतो का दुःख

-न्यूजलॉन्ड्री,

बिहार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का एक पोस्टर जगह-जगह लगा हुआ है. पोस्टर पर ‘श्रमिकों को पहुंचाया अपने घर बिहार’ लिखा है और उसके बगल में प्रधानमंत्री मोदी की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर है. पोस्टर के नीचले हिस्से में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत बिहार बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं.

बीजेपी ने बिहार के वोटरों को लुभाने के लिए यह पोस्टर लगाया है लेकिन यह कई लोगों को चिढ़ा ही नहीं रहा बल्कि उनकी तकलीफें बढ़ा रहा है. इस पोस्टर पर लिखे वाक्य को जब हमने बेगूसराय के अजमेरिना खातून और रामचंद्र महतो को बताया तो उनके चेहरे पर उदासी और तकलीफ़ जम गई. अजमेरिना खातून अपने गोद में अपनी दो साल की बेटी को लिए खामोशी से हमें देखने लगी तो रामचंद्र महतो फफक-फफक कर रोने लगे. कोरोना को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन में सरकारी लापरवाही की वजह से एक ने अपना पति खोया है तो दूसरे ने अपना सबसे बड़ा बेटा.

बिहार के मज़दूरों को उनके घर पहुंचाने का बीजेपी का दावा असत्य तो है ही जिसकी तस्दीक उस दौरान की तमाम वो वीडियो और तस्वीरें करती हैं जिसमें दिख रहा था कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और गुजरात से बिहार के मज़दूर गिरते पड़ते पैदल अपने घरों को लौट रहे हैं.

23 मार्च की रात को प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी. उसके बाद मज़दूरों का अपने घरों की तरफ लौटना शुरू हो गया. सरकार पर मज़दूरों और प्रदेश से बाहर पढ़ रहे छात्रों को वापस लाने का दबाव बढ़ता रहा. पहले तो बिहार सरकार ‘जो जहां है वहीं पर रहे’ का राग अलापती रही लेकिन किरकिरी होने के बाद छात्रों के लिए बसों का इंतज़ाम किया गया. मज़दूरों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस चलाने का इंतज़ार करती रही. श्रर्मिक एक्सप्रेस मई महीने से चलनी शुरू हुई तब तक मज़दूरों का पैदल आना जारी रहा.

बीजेपी के इस चुनावी पोस्टर पर सुशील मोदी की भी तस्वीर लगी है जिन्होंने उस दौरान कहा था कि राज्य सरकार के पास मज़दूरों को वापस लाने के लिए साधन नहीं है. बिहार सरकार की साधन की अनुपलब्धता ने यहां के कई परिवारों का सहारा ही छीन लिया. न्यूजलॉन्ड्री ने ऐसे ही दो परिवारों से मुलाकात की.

हम आखिरी बार उसे देख भी नहीं पाए

लॉकडाउन के दौरान रामजी महतो की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. मुंह खुला हुआ और आंखें निकली हुई. शर्ट का एक मात्र बटन लगा हुआ था, जिससे पीठ से चिपका पेट साफ़ दिख रहा था. गर्दन के आसपास की हड्डियों को आसानी से गिना जा सकता था. लॉकडाउन लगने के बाद 25 मार्च को दिल्ली से पैदल निकले रामजी महतो की 16 अप्रैल को वाराणसी में मौत हो गई थी. ड्राइवर का काम करने वाले महतो की आखिरी तस्वीर से साफ़ समझ में आ रहा था कि उन्हें इस दौरान खाने को नहीं मिला जिस कारण उनकी मौत हो गई थी.

रामजी महतो की मौत के छह महीने बाद भी हम उनकी मां चंद्रावती देवी और पिता रामचंद्र महतो से बेगूसराय के उनके गांव कोठियारा में मिले. सड़क किनारे हमें लेने पहुंचे रामचंद्र महतो घर तक जाते हुए बातचीत के दौरान कहते हैं, ‘‘बड़ा बेटा था. आप जानते हैं कि बड़े बेटे से कितना लगाव रहता है. हम सबकी देखभाल भी वही करता था. आखिरी बार देख भी नहीं पाए.’’

रामजी महतो के निधन के वक़्त लॉकडाउन का पालन सख्ती से हो रहा था. उनकी मौत के बाद वाराणसी पुलिस ने परिजनों को शव लेने आने के लिए कहा लेकिन आसपास के लोगों के मना करने और आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने की स्थिति में परिवार शव लेने नहीं पहुंचा. इसके बाद उसका वाराणसी में ही पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया. आखिरी बार बेटे को नहीं देख पाने की तकलीफ चंद्रावती देवी और रामचंद्र महतो को अब तक परेशान किए हुए है.

रामजी महतो जैसे कुछ और लोगों की कहानी आप यहां पढ़ सकते हैं जो पैदल घर जाने के लिए निकले लेकिन पहुंच नहीं पाए.

गलियों से होते हुए हम रामजी महतो के घर पहुंचे. सामने एक दुबला-पतला शख्स नज़र आता है. उसकी तरफ इशारा करते हुए रामचंद्र महतो कहते हैं, ‘‘मेरे तीन बेटे थे. एक तो मर गया. यह दूसरा बेटा है. इसे एड्स है, इलाज चल रहा है. तीसरा बेटा पंजाब में कमाता है.’’

बातचीत के दौरान एक महिला छत से उतरती नज़र आई. उनकी तरफ देखकर वे कहते हैं, ‘‘ये उसकी मां है. डायबिटीज़ की मरीज है. हर रोज इन्सुलिन की सुई देनी होती है. जब से रामजी गया तब से इनकी स्थिति और खराब हो गई. क्या करें सर रोज मर रहे हैं हम लोग. बड़ा बेटा न था.’’ यहां हमें ‘बड़ा बेटा था न’ बार-बार सुनने को मिलता है.

चंद्रावती देवी को जैसे ही इस बात की भनक लगती है कि हम रामजी के बारे में जानने आए हैं वो फूट-फुटकर रोने लगती हैं. रोते-रोते वो कहती हैं, ‘‘बड़का बेटा रहय. गाड़ी घोड़ा बंद रहय. आखिरी में मुंह नय देख सक लिए.’’

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.