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घृणा और हिंसा के प्रति समाज के रवैये से उसकी सभ्यता का स्तर मालूम होता है

-द वायर,

कनाडा के ओंटारियो और भारत के नूह या गाज़ियाबाद या मथुरा का क्या रिश्ता है? यह रिश्ता हिंसा का है या हिंसा के विरोध का?

बीते इतवार यानी 6 जून को कनाडा के ओंटारियो प्रदेश के लंदन शहर में एक 20 साल के कनाडावासी ने पाकिस्तानी मूल के एक परिवार के पांच लोगों पर अपनी गाड़ी चढ़ाकर उन्हें कुचल दिया. चार की मौत हो गई, एक मात्र जीवित बचा नौ साल का बच्चा अस्पताल में मौत से जूझ रहा है.

भारत में इस तरह की घटना नई नहीं है. गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, उन्नाव,मथुरा, सोहना, और भी कितने नाम होंगे शहरों, कस्बों और गांवों के जहां मुसलमानों को मारा गया है या उनके खिलाफ हिंसा की गई हैऔर यह सिर्फ पिछले एक महीने की बात है.

हिंसा हर जगह है. वह कनाडा में है और भारत में है. भारत को हीन महसूस नहीं करना चाहिए कि यहां मुसलमानों और ईसाइयों पर हमले होते रहते हैं और उनकी हत्या भी की जाती रही है. यह, जैसा इतवार के इस वाकये से जान पड़ता है कनाडा जैसे शिक्षित मुल्क में भी होता है.

हिंसा के मामले में हम, भारतीय कोई अतुलनीय नहीं हैं. मुसलमानों के खिलाफ हिंसा सिर्फ भारत में नहीं है. यह एक प्रकार की विश्वव्यापी बीमारी है. कनाडा में भी यह पाई जाती है.

तुलना लेकिन यहां खत्म हो जाती है. यह सच है, जैसा इस हत्याकांड के बाद कनाडा के मेरे मुसलमान मित्रों ने मुझे लिखा, बुरे और हिंसक लोग हर जगह होते हैं. वे भारत में ही नहीं, कनाडा, फ्रांस, अमेरिका में भी होंगे. असली तुलना इसके बाद शुरू होती है.

इस हिंसा पर समाज की, सरकार की, पुलिस की प्रतिक्रिया क्या है, कनाडा में और भारत में, यही तुलना का संदर्भ बनता है. मेरे मित्र ने टोरोंटो से लिखा, ‘…क़ानून यहां बहुत तेजी से काम करता है, दोषी तुरत पकड़ा जाता है और उस पर कानून की सारी सख्त धाराएं लगाई जाती हैं और अगर वह विक्षिप्त नहीं हुआ तो उसे मुनासिब सजा होना तय है.’

दूसरे मित्र ने लिखा, ‘सरकार और प्रशासन के हर स्तर पर इस हिंसा को बहुत गंभीरता से लिया गया है.’ ‘ सारे राजनीतिक दलों ने इसकी भर्त्सना की है,’ पहले मित्र ने लिखा.

लिखने वाले मुसलमान हैं. वे इस भयानक हत्याकांड के बाद जिसमें तकरीबन पूरा परिवार मार डाला गया, अपनी सरकार और गैर मुस्लिम कनाडावासियों पर अपना भरोसा जता रहे हैं.

हां! हर जगह ऐसे लोग होंगे जिनके दिमाग में एक अतार्किक हिंसा होगी, जो शैतान होंगे लेकिन समाज तो उसे किसी तरह बर्दाश्त नहीं करता. सरकार, प्रशासन और पुलिस उसके खिलाफ फौरन सक्रिय हो जाती है.

इस एक हमले के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने ज़रूरी समझा कि वे प्रेस के माध्यम से देशवासियों से बात करें. उन्होंने कहा कि यह दिल तोड़ देने वाली वारदात है. एक परिवार खत्म हो गया है. उन्होंने इस हिंसा पर लीपापोती नहीं की.

उन्होंने कहा कि यह मुसलमान विरोधी घृणा से प्रेरित हिंसा है. उन्होंने स्वीकार किया कि कनाडा में घृणा जीवित है. मुसलमान विरोधी घृणा देश में है. प्रधानमंत्री ने कहा कि घृणा के नतीजे होते हैं. अगर वह दिमाग में हो तो बाहर भी निकलती है.

कनाडा के प्रधानमंत्री ने हिंसा को सामान्य हिंसा नहीं कहा. उन्होंने उसे उसका सही नाम दिया और देशवासियों को सावधान किया कि उन्हें इसे पहचानना और इसके खिलाफ सक्रिय होना चाहिए.

कनाडा के प्रधानमंत्री के शब्द हैं, ‘उन्हें जघन्य, कायराना तरीके से और ढिठाई से मार डाला गया. यह हत्या कोई दुर्घटना नहीं है. यह हमारे समुदायों में से ही एक के दिल में पल रही हिंसा के कारण किया गया आतंकवादी कृत्य है.’

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