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33 लाख साल में तुलना में 2025 तक बहुत अधिक होगा कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर

-डाउन टू अर्थ,

कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान दुनिया भर में सीओ2 के उत्सर्जन में कमी आने का दावा किया गया। इस दौरान दुनिया भर में ऊर्जा की मांग में व्यापक बदलाव हुआ। कई अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद हो गईं और लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों तक सीमित हो गए। जिससे यातायात कम हो गया, उद्योग धंधों पर भी इसका प्रभाव पड़ा, जिससे खपत पैटर्न में भी बदलाव आया। लेकिन यह एक अस्थायी चरण था, जैसे ही दुनिया भर में लॉकडाउन खोले गए सीओ2 का उत्सर्जन फिर से बढ़ने लगा है।   

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन के नए शोध के अनुसार, 2025 तक, वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का स्तर पिछले 33 लाख वर्षों की सबसे गर्म अवधि से अधिक होने की आशंका है। यह शोध नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।

टीम ने कैरेबियन सागर के गहरे समुद्र के तलछट से एकत्र किए गए बहुत छोटे आकार के, छोटे जीवाश्मों की रासायनिक संरचना का अध्ययन किया है। उन्होंने लगभग 30 लाख साल पहले प्लियोसीन युग के दौरान, पृथ्वी के वायुमंडल में सीओ2 की सांद्रता के बारे  में जानने के लिए आंकड़ों का उपयोग किया। जब हमारा ग्रह बहुत कम ध्रुवीय बर्फ से ढका था और दुनिया भर में समुद्र-स्तर बढ़े हुए थे, आज की तुलना में उस समय का तापमान 3 सेंटीग्रेड से अधिक था।

अध्ययन की अगुवाई करने वाले डॉ. एलविन डी ला वेगा ने कहा भूवैज्ञानिक अतीत के दौरान सीओ2 के स्तर के बारे में जानने में बहुत रुचि रखते है, क्योंकि यह हमें बताता है कि जलवायु प्रणाली, बर्फ की चादरें और समुद्र-स्तर पहले बढ़े हुए सीओ2 स्तरों से किस तरह मुकाबला करते थे। हमने विशेष अंतराल का अध्ययन किया क्योंकि यह हमारे वर्तमान जलवायु के लिए प्रासंगिक जानकारी प्रदान करता है।

वायुमंडलीय सीओ2 को जानने के लिए, टीम ने बोरॉन तत्व और इसके समस्थानिक संरचना का उपयोग किया है। जो स्वाभाविक रूप से ज़ोप्लांकटन खोल में अशुद्ध रूप में मौजूद होती है, जिसे फोरामिफेरा या संक्षेप में 'फोरम' कहा जाता है। ये जीव आकार में लगभग आधे मिलीमीटर के होते हैं और धीरे-धीरे समुद्र के किनारों पर भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं। जो पिछली जलवायु किस तरह की रही होगी इसपर जानकारी का खजाना बन जाती है। उनके खोल में बोरान के समस्थानिक संरचना समुद्री जल की अम्लता (पीएच) पर निर्भर करती है जिसमें फोरम रहते थे। वायुमंडलीय सीओ2 और समुद्री जल के पीएच के बीच घनिष्ठ संबंध होता है, जिसका अर्थ है कि प्राचीन चट्टानों में बोरॉन की सावधानीपूर्वक मापने से पिछले सीओ2 की गणना की जा सकती है।

सह-शोधकर्ता डॉ. थॉमस चाक ने कहा कि पिछले गर्म मध्यांतर पर ध्यान केंद्रित करे जब सूर्य से आने वाली लू वैसी ही थी, जैसा कि आज हमें इस अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी सीओ2 की अधिकता का किस तरह से मुकाबला करती थी। एक महत्वपूर्ण परिणाम जो हमने पाया है कि प्लियोसीन का सबसे गर्म भाग वायुमंडल में प्रति मिलियन सीओ2 के 380 और 420 भागों के बीच में था। यह आज के बराबर है, जोकि प्रति मिलियन लगभग 415 भागों के समान है। यह दर्शाता है कि हम पहले से ही ऐसे स्तरों पर हैं जो अतीत में तापमान और समुद्र-स्तर से जुड़े थे जो आज की तुलना में काफी अधिक है। वर्तमान में, हमारे सीओ2 का स्तर प्रति वर्ष लगभग 2.5 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) बढ़ रहा है, जिसका अर्थ है कि 2025 तक हम पिछले 33 लाख साल में देखे गए सीओ2 के स्तर को पार कर चुके होंगे।

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