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कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित असंगठित क्षेत्र को सरकार क्या भूल गई है?

-बीबीसी,

वित्त मंत्रालय में जारी लगातार बैठकों और विचार-विमर्श के बाद मध्यम वर्ग और कॉर्पोरेट जगत को कोरोना से निपटने के लिए एक के बाद दूसरी राहतों का एलान हुआ.

इसके बाद भारत के 50 से अधिक समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों और राजनीतिज्ञों ने केंद्र और राज्य सरकारों को ख़त लिखकर लगभग 40 करोड़ से अधिक दिहाड़ीदारों, खेतिहर मज़दूरों, छोटे किसानों, वृद्धा पेंशन भोगियों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहनेवालों विशेष वित्तीय मदद दिए जाने की अपील की है.

ख़त भेजनेवाले लोगों में से एक समाजसेवी रीतिका खेड़ा कहती हैं काम बंद हो जाने और रोज़ कमाने, रोज़ खानेवाला ये वर्ग महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है लेकिन हुकूमत के ज़रिए दी गई राहतों में 'क्लास बाएस' यानी एक ख़ास वर्ग के लिए पूर्वग्रह साफ़ देखा जा सकता है.

हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार इससे किसी भी तरह से अनजान नहीं और न ही इसे नज़रअंदाज़ करने की कोशिश कर रही है, बल्कि इसे लेकर तैयारी जारी है.

रीतिका खेड़ा कहती हैं, "कामबंदी के बाद इनमें से बहुत के पास तो खाने को नहीं और सात-आठ फ़ुट लंबी और शायद उससे भी कम चौड़ी झुग्गियों में रहनेवालों के लिए सोशल डिस्टैंसिंग महज़ एक लफ़्ज़ है."

19 मार्च को देश को दिए गए संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 इकॉनोमिक रेस्पॉन्स टास्क फ़ोर्स का एलान किया था. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, इसके बाद हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीम लीडर निर्मला सीतारमण ने वित्तीय राहतों को लेकर किसी टाइम टेबल या समय निर्धारित करने की बात से इनकार किया.

हालांकि, उसके बाद निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स रिटर्न्स फ़ाइल करने की तारीख़ को 31 मार्च की जगह 30 जून करने, जीएसटी रिटर्न दाख़िल करने की तारीख़ को भी जून के अंतिम सप्ताह में करने, बैंकों में मिनिमम बैलेंस की ज़रूरत नहीं होने, और बोर्ड मीटिंग करने की अविध में छूट जैसी राहतों का एलान किया. लेकिन इन्हें सीधे असंगठित क्षेत्र में कामगर लोगों को राहत पहुंचाने की श्रेणी में नहीं देखा जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम देश के नाम फिर एक भाषण दिया जिसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र को मज़बूती प्रदान करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, लेकिन उससे ये साफ़ नहीं हो पाया कि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मज़दूर और असंगठित क्षेत्र में काम करनेवाले किस तरह गुज़ारा कर पाएंगे.

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