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मोदी जी, सुधार तो बाद की बात है, किसानों को कैश की जरूरत है

-द क्विंट,

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पांच किस्तों में हमें उन ‘वित्तीय प्रोत्साहन’ और सुधारों का ब्यौरा दिया जिसकी घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने की थी.

तीसरी किश्त में निर्मला ने कृषि क्षेत्र की बात की और ऐतिहासिक सुधारों का ऐलान किया जैसे कि: 1) आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर कृषि सामग्री में छूट देना; 2) कृषि उत्पादन विपणन समित अधिनियम यानी APMC एक्ट के शिकंजे को कतरना ताकि किसान अपनी पैदावार जिसे चाहें उसे बेच सकें और; 3) कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के लिए नया कानून बनाना ताकि कृषि बुनियादी ढांचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर) में निजी निवेश हो सके और मौजूदा APMC को प्रतिस्पर्धा बढ़े.

कृषि क्षेत्र के वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज में ‘गुमराह करने वाले दिखावे’
ये सब खरे तौर पर अविनियमन (Deregulation) के नाम पर किया जा रहा है, जिसकी कृषि क्षेत्र को बेहद जरूरत है. लेकिन इन घोषणाओं का असर दिखने में लंबा समय लगने वाला है, वो भी तब जब इसे पूरी तरह से लागू किया जाए, और वास्तविक रूप में, कथनी और करनी दोनों तौर पर डिरेगुलेशन किया जाए. जहां तक तात्कालिक कृषि और खाद्य राहत की बात है, सरकार ने मुफ्त अनाज के इंतजाम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत 8 करोड़ नए अभावग्रस्त लोगों को जोड़ने का काम जरूर किया है, इसके अलावा ग्रामीण रोजगार योजना (MNREGS) के तहत मिलने वाली मजदूरी भी बढ़ा दी है.

लेकिन ये सब गुमराह करने वाला ‘दिखावा’ है, क्योंकि कृषि क्षेत्र के लिए घोषणा तो 1,63,300 करोड़ रुपये के पैकेज की हुई, असल में सरकारी खजाने से इस साल सिर्फ 6000 करोड़ रुपये ही खर्च किए जाएंगे.

सरकार इससे ज्यादा क्यों नहीं कर सकती?

ये सब सिर्फ ‘दिखावा’ है, क्योंकि कृषि क्षेत्र के लिए घोषणा तो 1,63,300 करोड़ रुपये के पैकेज की हुई, असल में सरकारी खजाने से इस साल सिर्फ 6000 करोड़ रुपये ही खर्च किए जाएंगे.

एक क्षेत्र जिसमें शीध्र नकदी राहत दिए जाने की जरूरत है, और जो कि अब तक अछूता रहा है वो हैं किसान, जो कृषि उत्पादों के दाम गिरने की मार झेल रहे हैं.

वित्त मंत्री ने केन्द्र संचालित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली की कमियों पर कोई ध्यान नहीं दिया, जो कि किसानों की आय सुनिश्चित करने वाले उपायों में से एक है.

क्या हम Direct Benefit Transfer का रास्ता नहीं अपना सकते, कम-से-कम उन किसानों के लिए जिन्हें MSP का फायदा नहीं मिल रहा है?

पिछले कुछ हफ्तों में, कई राज्यों ने मंडियों के बाहर कृषि उत्पादों की डायरेक्ट खरीद-बिक्री की इजाजत दे दी है.

क्या सरकार किसानों को इस संकट से निकालेगी, ठीक उसी तरह जैसे पिछले साल प्याज के दाम बढ़ने पर पूरी सक्रियता दिखाते हुए सरकार ने शहरी ग्राहकों की रक्षा की?

कृषि उत्पादों के दाम गिरने से प्रभावित किसानों को तुरंत कैश की राहत मिलनी चाहिए

एक क्षेत्र जिसमें शीध्र नकदी राहत दिए जाने की जरूरत है, और जो कि अब तक अछूता रहा है वो हैं किसान, जो कृषि उत्पादों के दाम गिरने की मार झेल रहे हैं. खास तौर पर, वित्त मंत्री ने केन्द्र संचालित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली की कमियों पर कोई ध्यान नहीं दिया, जो कि किसानों की आय सुनिश्चित करने वाले उपायों में से एक है.

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