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कोविड-19 टीके के लाभार्थियों से पूछे बिना ही बना दी स्वास्थ्य आईडी

-कारवां,

मई 2021 की शुरुआत में 29 वर्षीय श्वेता सुंदर अपने परिवार के तीन सदस्यों के साथ कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक लेने के लिए दक्षिणी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल गई थीं. टीकाकरण केंद्र के कर्मचारियों ने उन्हें पहचान के लिए आधार कार्ड जमा करने को कहा. सरकार ने जो दिशानिर्देश जारी किए हैं उनके अनुसार लाभार्थी छह अन्य प्रकार के सरकारी पहचान पत्र जमा कर सकते हैं. सुंदर ने कहा, “उस समय मैंने वैसा ही किया जैसा मुझे बताया गया था. मैंने इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचा.” जब सुंदर लौट कर घर आईं तो उन्होंने देखा कि उन्हें एक विशिष्ट स्वास्थ्य आईडी या यूएचआईडी जारी की गई थी, जो उनके टीकाकरण प्रमाण पत्र पर लाभार्थी संदर्भ संख्या के ऊपर मुद्रित थी. सुंदर को पता नहीं था कि यह पहचान संख्या क्या है. उनके परिवार के जिन तीन सदस्यों को भी आधार की जानकारी देने के बाद टीका लगाया गया था, उन्हें भी स्वास्थ्य पहचान संख्या जारी की गई थी. सुंदर ने मुझे बताया, "उन्होंने हमें स्वास्थ्य आईडी के बारे में कुछ नहीं बताया था कि वह हमें ऐसा कोई कार्ड जारी कर रहे हैं. इसको लेकर कोई बातचीत भी नहीं हुई, सहमति मांगने की प्रक्रिया की तो बात ही छोड़ दीजिए. जब मुझे यह भी नहीं पता था कि हेल्थ आईडी क्या है, तो मैं सहमति कैसे दे सकती हूं?

यूएचआईडी जो सुंदर और उनके परिवार को उनके टीकाकरण प्रमाण पत्र पर मिली, वह राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन या एनडीएचएम के तहत जारी एक विशिष्ट पहचान कोड है. सरकार ने बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के घोषित उद्देश्य के साथ अगस्त 2020 में यह मिशन शुरू किया. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, एनडीएचएम सहित विभिन्न केंद्रीय स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार सरकारी निकाय, अपनी वेबसाइट पर मिशन का वर्णन इस तरह करता है कि "देश के एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के लिए आवश्यक रीढ़ विकसित करना है." यूएचआईडी को एनडीएचएम के प्रत्येक लाभार्थी को व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटाइज करके, ऑनलाइन फार्मेसीज और टेलीमेडिसिन प्रदाताओं सहित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके एक डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के कई अन्य घटकों से जोड़ना चाहिए. यूएचआईडी को लाभार्थियों को उनके सभी स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसे लैब रिपोर्ट, सुझाव और डिस्चार्ज रिपोर्ट और अन्य सभी व्यक्तिगत स्वास्थ्य डेटा तक पहुंचने की अनुमति देनी चाहिए. एनडीएचएम के तहत साझा किए गए संवेदनशील स्वास्थ्य डेटा की सुरक्षा के एनएचए के आश्वासन के बावजूद, इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि ऐसे डेटा का उपयोग कैसे किया जा सकता है जब भारत में अभी भी डेटा सुरक्षा कानून का अभाव है. सरकार ने यह भी दावा किया है कि एक यूएचआईडी बनाकर और एनडीएचएम से सारे व्यक्तिगत डेटा को हटाने का अनुरोध करके इसे हटवाना पूरी तरह से स्वैच्छिक है. हालांकि, सुंदर जैसे कई लोगों को उनकी सहमति के बिना पहले ही यूएचआईडी आवंटित कर दिया गया था.

27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में एनडीएचएम के राष्ट्रव्यापी लॉन्च की घोषणा की, जिसे अब आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन कहा जाता है. इससे पहले, एनडीएचएम को केवल छह केंद्र शासित प्रदेशों- चंडीगढ़, लद्दाख, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में एक पायलट योजना के रूप में लागू किया गया था. कारवां ने सितंबर 2020 में रिपोर्ट की थी कि कैसे चंडीगढ़ प्रशासन स्वास्थ्य कर्मियों को यूएचआईडी के लिए पंजीकरण करने पर मजबूर कर रहा था और दिसंबर 2020 में अन्य रेसिडेंसियल स्वास्थ्य कर्मियों के बीच पंजीकरण कराने के लिए आक्रामक दबाव डाला था.

अगस्त 2020 में एनडीएचएम पायलट परियोजना शुरू होने से लेकर सितंबर 2021 के अंत तक, जब मिशन को राष्ट्रव्यापी स्तर पर लॉन्च किया गया था, केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर रहने वाले लोगों को एनडीएचएम की वेबसाइट पर स्वास्थ्य आईडी नहीं जारी की जा सकती थी. हालांकि, कारवां ने केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर रहने वाले देश के छह लोगों से बात की, जिन्हें परियोजना के राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च होने से पहले और कोविड-19 टीकाकरण के सत्यापन के दौरान यूएचआईडी जारी की गई थी. सितंबर से पहले सभी छह लोगों ने अपनी पहचान के सबूत के तौर पर अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था. छह में से दो ने कहा कि उनके टीकाकरण केंद्रों ने पहचान प्रमाण के रूप में आधार पर जोर दिया था, एक व्यक्ति ने कहा कि वह नहीं जानता कि वह सबूत के रूप में अन्य दस्तावेज दे सकते थे और तीन लोगों ने स्वेच्छा से अपना आधार विवरण जमा किया.

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