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किसान पर पड़ती जलवायु की मार: भारत में 45 फीसदी तक घट जाएगा डेयरी और मीट उत्पादन

-डाउन टू अर्थ,

बदलती जलवायु जहां एक ओर कृषि और खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गई है। वहीं दूसरी तरफ यह पशुपालकों और उनके पशुधन पर भी व्यापक प्रभाव डाल सकती है। इस बारे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है, उसके चलते सदी के अंत तक भारत में डेयरी उत्पादन 45 फीसदी तक घट जाएगा। वहीं अमेरिका के डेयरी और मीट उत्पादन में करीब 6.8 फीसदी की गिरावट आ सकती है.

गौरतलब है कि भारत दुनिया का एक प्रमुख डेयरी उत्पादक देश है। जहां किसान अपनी जीविका के लिए काफी हद तक अपने मवेशियों पर निर्भर हैं। ऐसे में बढ़ता तापमान उनके लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। इस बारे में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा एक विस्तृत शोध किया गया है जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल द लैंसेट प्लैनेटरी अर्थ में प्रकाशित हुआ है।

इस शोध में वैज्ञानिकों ने मवेशियों पर बढ़ते तापमान के असर को समझने का प्रयास किया है और यह जानने की कोशिश की है कि इससे डेयरी उत्पादन (दूध और मीट) पर कितना असर पड़ेगा। उनके अनुसार तापमान में होती वृद्धि जब मवेशियों के सहन क्षमता से बढ़ जाएगी तो उसका असर उनके वजन, दुग्ध उत्पादन और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

यदि इससे उत्पादकता पर प्रभाव न भी पड़े तो भी गर्मी से पैदा होता तनाव छोटी अवधि में ही सही लेकिन इन जीवों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में यह मुद्दा केवल पशु उत्पादन का ही नहीं बल्कि उनके कल्याण से भी जुड़ा है।  

अपने इस शोध में वैज्ञानिकों ने 2045 और 2085 तक जलवायु परिदृश्य एसएसपी1 - 2.5 और एसएसपी5  - 8.5 के तहत बढ़ते तापमान के आधार पर मवेशियों पर पड़ने वाले असर का पूर्वानुमान किया है। जिसमें यह बताया गया है कि बढ़ते तापमान के पशुओं के आहार पर कितना प्रभाव पड़ेगा, साथ ही इससे डेयरी उत्पादन और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हो सकता है।

यदि भारत में दूध उत्पादन को देखें तो सदी के अंत तक जलवायु परिवर्तन के चलते इसमें प्रति मवेशी 25 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। जहां शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में इसके सबसे ज्यादा 24.6 फीसदी रहने का अनुमान है।

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